आजकल अपनी फिल्मों से अधिक अपनी पत्नी व बच्चों के चलते चर्चा में रहने वाले सैफ अली खान पिछले 6 साल से एक अदद हिट फिल्म के लिए तरस रहे हैं। उनकी हालिया रिलीज फिल्म ‘लाल कप्तान’ ने भी निराश ही किया। एक ओर जहां ऋतिक रोशन व टाईगर श्रॉफ स्टारर ‘वॉर’ ने पहले दिन 50 करोड़ से अधिक की कमाई कर ली, वहीं सैफ अभिनीत ‘लाल कप्तान’ 3 करोड़ तक जाते—जाते हांफ गई।
पिछले साल ‘बाजार’ और ‘कालाकांडी’ के पिटने के बाद इस साल सैफ को लाल कप्तान से बड़ी उम्मीद थी। उम्मीद का कारण था कि 2013 में ‘गो, गोवा गॉन’ व ‘रेस—2’ के बाद पटौदी के नवाब से किसी हिट फिल्म का मुंह नहीं देखा। 2013 के बाद इन 6 सालों में एक—एक कर सैफ की 13 फिल्में पिट गईं। बांबे वॉल्वेट से शुरू हुआ यह दु:स्वप्न लाल कप्तान तक जारी है। बीच में फैंटम (2015) ने थोड़ी राहत जरूर दी। लेकिन, वह भी सुपरहिट का तमगा नहीं प्राप्त कर सकी थी। हमशकल्स, रंगून, शेफ…. कोई भी फिल्म सैफ के करिअर को पुश नहीं कर पायी। हालांकि, इस बीच ‘सैक्रेड गेम्स’ नाम की वेब सीरीज में उनकी तारीफ जरूर हुई। लेकिेन, उसके दूसरा सीजन वह जादू बरकरार नहीं रख पाया।
1993 में अभिनय पारी की शुरूआत करने वाले सैफ को 8 साल बाद ‘दिल चाहता है’ से सफलता मिली। फिर ‘कल हो ना हो’ और ‘हम—तुम’ के बाद वे स्टार बन गए। ‘हम—तुम’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। 2006 में विशाल भारद्वाज की ‘ओमकारा’ में लंगड़ा त्यागी का किरदार निभाकर समीक्षकों का दिल जीता था। फिर 2009 में इम्तियाज अली की ‘लव आजकल’ के रूप में एक और हिट फिल्म उनके खाते में आई। 2011 में प्रकाश झा की ‘आरक्षण’ और 2012 में होमी अदजानिया की ‘कॉकटेल’ आयी।
बस, उसके बाद से सैफ की करिअर को ग्रहण लग गया, जो आजतक जारी है। नवंबर में उनकी एक और फिल्म ‘दिल बेचारा’ आ रही है। कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा अपनी निर्देशकीय पारी शुरू कर रहे हैं। शायद मुकेश उनके लिए लकी साबित हों!