पटना : रविवार 27 अक्टूबर को दिवाली है। कई संयोग एक साथ घटित हो रहे हैं जो इस दीपावली को खास बनाते हैं। एक तो रविवार यानी सूर्यदेव का दिन। दूसरे चित्रा नक्षत्र और अमावस्या। यह संयोग दीपावली को खास बना देता है। कार्तिक माह में वर्ष की सबसे अंधेरी रात को दिवाली का मुख्य त्योहार मनाया जाता है।
लक्ष्मी जी से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी दिवाली के दिन पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं और इसी समय वो लोगों के घरों में भी जाती हैं। यही वजह है कि लोग दिवाली से पहले घर की साफ सफाई करते हैं, रंग रोगन करवाते हैं और घर की सजावट करते हैं।
धार्मिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का आगमन हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म दिवस होता है। कुछ स्थानों पर इस दिन को देवी लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राम के अयोध्या आगमन की खुशी
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम इसी दिन लंका पर विजय प्राप्त कर और अपने 14 वर्ष का वनवास पूरा करके वापस अयोध्या लौटे थे। उनके आने की खुशी में पूरे राज्य को दीपों से सजाया गया था। तभी से यह त्योहार मनाने की परंपरा शुरू हुई और लोग इसे काफी उत्साह से मनाते हैं।
दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त
- इस बार दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त शाम के वक्त है। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजाकर 42 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 11 मिनट तक चलेगा।
- दिवाली के दिन प्रदोष काल में पूजा करनी भी शुभ मानी जाती है. प्रदोष काल शाम 5 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 11 मिनट तक चलेगा।
- वृषभ काल शाम 7 बजकर 42 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 37 मिनट तक चलेगा।
- अमावस्या तिथि 27 अक्टूबर को दिन के 12 बजकर 23 मिनट से लग जाएगी।
- अमावस्या तिथि का समापन 28 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर होगा।