पटना : केंद्र और राज्य सरकार ने लोगों को दीपावली की शुभकामना देते हुए उनसे अपील की है कि वे पर्यावरण का खास ख्याल रखते हुए चाइनीज पटाखों से परहेज करें। इसकी जगह वे सिर्फ ग्रीन पटाखों का ही इस्तेमाल करें। दिवाली से ठीक पहले आम लोगों के लिए ग्रीन पटाखे जारी किये गए हैं। इन ग्रीन पटाखों में अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी और सुतली बम जैसे पटाखे हैं। दावा है कि ग्रीन पटाखों से 30 फीसदी तक कम प्रदुषण होगा। आइए जानते हैं क्या होते हैं ग्रीन पटाखे।
कोर्ट से आम पटाखों पर लगा है बैन
सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल ही पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से ही ग्रीन पटाखों को बाजार में जारी करने पर विचार किया जा रहा था। भारत में साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने ग्रीन पटाखों को तैयार किया। सरकार ने इन ग्रीन पटाखों को जारी करते हुए कहा कि इनमें धूल सोखने की क्षमता है और इन पटाखों से होने वाले उत्सर्जन का स्तर भी बेहद कम होता है।
ऐसे तैयार होते हैं इको फ्रेंडली पटाखे
इन पटाखों को तैयार करते वक्त कुछ ऐसा फॉर्मुला तैयार किया गया है, जिससे वॉटर मॉलिक्यूल्स यानी पानी के अणु उत्पन्न हो सकते हैं। इससे धूल व खतरनाक तत्वों को कम करने में मदद मिलेगी। इनमें 30 से 90 फीसदी तक बेरियम नाइट्रेड का इस्तेमाल किया जाता है। ग्रीन पटाखों की पहचान के लिए एनईईआरआई ने ग्रीन लोगो और क्यूआर कोड भी दिया है।
बाजार में कैसे पहचानें ग्रीन पटाखों को
ग्रीन पटाखों पर हरे रंग का एक स्टिकर और बारकोड दिया होता है। हरे रंग के ये स्टीकर दशार्ते हैं कि ये ग्रीन पटाखे हैं। जबकि, बारकोड को स्कैन करने से पता चल सकता है कि इन्हें कहां बनाया गया है और इसके निर्माता ने कौन से केमिकल का इस्तेमाल किया है। हालांकि ग्रीन पटाखे बाजार में आसानी से मिलने वाले पटाखों के मुकाबले महंगे होते हैं।