संगीत हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचारक : प्रो रामानंद
दरभंगा : प्रकृति का कण-कण संगीतमय है। प्राचीन काल से ही त्योहारों, उत्सवों एवं मेलों आदि के अवसर पर जन-मनोरंजन हेतु उच्च स्वर में गाने की प्रथा रही है। संगीत का प्रभाव मानव पर ही नहीं, वरन पशु-पक्षियों पर भी सदा सकारात्मक पड़ता है। उक्त बातें भारत विकास परिषद्, विद्यापति शाखा,दरभंगा के तत्वावधान में एपेक्स फाउंडेशन के पश्चिम दिग्धी, दरभंगा स्थित कार्यालय में आयोजित राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग की पूर्व अध्यक्षा प्रो पुष्पम नारायण ने कहा। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता में कोई व्यक्ति हारता नहीं है, बल्कि कोई जीतता है तो कोई सीखता है। हर व्यक्ति में कोई न कोई स्वभाविक गुण होता है जो ऐसे अवसरों पर प्रस्फुटित होता है।
प्रतियोगिता का शुभारंभ करते हुए परिषद् के प्रांतीय महासचिव राजेश कुमार ने कहा कि संगीत हमारे जनजीवन से अभिन्न रूप से संबद्ध रहा है। यह सदा समाज को एक-दूसरे से जोड़ता है। मिथिला की सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन में संगीत का महत्व सर्वोपरि है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहा है। विषय प्रवेश कराते हुए परिषद् के सचिव डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि मिथिला की संस्कृति संगीतमय रही है। संगीत की परंपरा अत्यंत प्राचीन एवं समृद्धशाली रही है। यह नर को नारायण से जोड़ता है। संगीत मनोरंजन का उत्तम साधन तो है ही साथ ही यह हमारे जीवन में टॉनिक का भी काम करता है।
परिषद् के सेवा संयोजक सुशील कुमार ने कहा कि संगीत भक्ति का सशक्त माध्यम है।सभ्यता के विकास साथ ही संगीत का भी विकास हुआ। यह हमारी शिक्षा-पद्धति का अभिन्न अंग है।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रो रामानंद यादव ने कहा कि संगीत भावों को व्यक्त करने का एक सरल एवं सशक्त माध्यम है। इससे हमारा तन-मन प्रसन्न हो जाता है। संगीत हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। आजकल संगीत चिकित्सा से अनेक बीमारियों का इलाज भी किया जाता है। कार्यक्रम को डॉ भक्तिनाथ झा ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आयोजित गायनप्रतियोगिता में रचना रितु, शुभांगी झा, स्नेहा झा, सिमरन कुमारी, साक्षी कुमारी तथा स्नेहा कुमारी का चयन किया गया, जिन्हें 20 अक्टूबर,2019 को मुजफ्फरपुर में आयोजित प्रांतीय गायन-प्रतियोगिता में भेजा जाएगा। विजयी सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र तथा पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया।आगत अतिथियों का स्वागत फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ के के चौधरी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन परिषद् के कोषाध्यक्ष आनंद भूषण ने किया।
दीक्षांत समारोह की तैयारी में जुटा संस्कृत विश्वविद्यालय
दरभंगा : आगामी 28 नवंबर को आयोजित होने वाले दीक्षांत समारोह को भव्य एवम सफल बनाने के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय अभी से जुट गया है। इसी क्रम में आयोजन के लिए गठित समिति की डीन प्रो0 शिवाकांत झा की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमें कई अहम निर्णय लिए गए। तय हुआ कि समारोह का आयोजन शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रांगण में होगा और महामहिम कुलाधिपति सहित अन्य सदस्यों को तैयार होने के लिए स्नातकोत्तर भवन में व्यव्यस्था की जाएगी। वहीं विगत दीक्षांत समारोह के बाद 31 अक्टूबर 2019 तक घोषित आचार्य, विद्यावारिधि एवम विद्यावाचस्पति के सफल छात्रों व गवेषकों के प्रमाण पत्रों के निर्माण का निर्णय लिया गया।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि बैठक के दौरान मुद्रण समिति, भोजन व आवास व्यव्यस्था समिति, प्रेस समिति,स्वागत समिति समेत कुल आठ- नौ समितियां गठित की गई एवम इसके संयोजक सहित सदस्यों को भी नामित किया गया। साथ ही संयोजकों से अनुरोध किया गया कि वे अपनी- अपनी समितियों की बैठक बुलाकर 23 अक्टूबर तक व्यस्था सम्बन्धी प्रस्ताव कार्यक्रम के सचिव परीक्षा नियंत्रक डॉ विनय कुमार मिश्र को उपलब्ध कराएंगे।
इसके अलावा उपाधि प्राप्त करने वालों से 300 रुपये शुल्क लेने का भी निर्णय लिया गया।बताया गया कि पुरुष छात्र व गवेषक धोती कुर्ता अथवा उजले पायजामे में तथा महिलाएं उजले सलवार एवम लेमन येलो रंग के कुर्ता या फिर लेमन येलो रंग की लाल बार्डर युक्त साड़ी व लाल ब्लाउज पहनकर ही कार्यक्रम में आएंगे। उन्हें अंगवस्त्र व पाग विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।
उपशास्त्री, शास्त्री एवं आचार्य के नामांकन अवधि का हुआ विस्तार
दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय ने उपशास्त्री, शास्त्री एवं आचार्य की कक्षाओं में नामांकन लेने की अवधि बढ़ा दी है। अब छात्र 10 नवम्बर तक इन कक्षाओं में दाखिला ले सकता है। यह जानकारी पीआरओ निशिकांत ने दी है।
23 अक्टूबर तक शोधार्थी प्रस्तुत करें प्रस्तावित शोधकार्य
दरभंगा : विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने सभी शोधार्थियों को सूचित कर बताया है कि P A T 2018 का आयोजन 23 अक्टूबर 2019 को विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग में अपने प्रस्तावित शोधकार्य पर प्रस्तुतिकरण हेतु पूर्वाह्न साढे दस बजे अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेंगे। जिन्होंने अपना शोध प्रस्ताव समर्पित नहीं किया है वे अविलंब समर्पित कर दें, अन्यथा यह माना जायेगा कि उनकी रूचि शोधकार्य में नहीं है। उक्त तिथि के उपरांत शोध प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जायेगा।
मुरारी ठाकुर