पटना : पटना में जलजमाव को लेकर जारी हाईलेवल मीटिंग में सीएम नीतीश कुमार के सवालों के जवाब न तो नगर विकास मंत्री के पास थे और न ही जल संसाधन मंत्री के पास। सब के सब चुप। कोई अफसरों को जिम्मेवार ठहरा रहा था तो कोई पटना नगर निगम को। और, मुख्यमंत्री सबके चेहरे को देख भर रहे थे।
किसी के पास जवाब ही नहीं, नीतीश भी सन्नाटे में
वैसे, सबने माना कि 1968 के बाद पटना की नाली पद्धति का न तो उद्धार हुआ और न ही समुचित उड़ाही। उड़ाही की बात आते ही बजट की भी बात आयी तो नगर विकास मंत्री ने कहा कि उड़ाही तो हुई है। उन्होंने बजट के तहत हुए खर्च का पक्ष देना चाहा, पर मुख्यमंत्री संतुष्ट नहीं हुए।
गायब नक्शे पर पूछा, क्या यह कोई सामरिक महत्व का था?
सवाल उठता है कि अगर उड़ाही के नाम पर खर्च हुए तो कहां हुए? कब हुए? कैसे हुए? जब खुद नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने स्वीकार किया है कि उनके पास नालों के नक्शे नहीं हैं। खुद विभाग के पास नहीं है। कहा गया कि बुडको के पास है। बुडको कहता है हमारे पास है ही नहीं। नगर निगम कहता है-हमारे पास भी नहीं।
बता दें, कुछ ही महीनों पूर्व बुडको के पास नगर विकास का जिम्मा भी आया। इसके पास भारी बजट है। यहां स्पष्ट कर दें कि नगर निगम बुडको के अधीन जाना ही नहीं चाहता था। दोनों में रस्साकशी भी चली। मेयर सीता साहू कहती हैं कि उनके पास भी नक्शा नहीं। तब बिना नक्शा के उड़ाही कैसे हुई।
बनेगी हाई लेवल जांच कमिटी, फिर होगी मीटिंग
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने असंतुष्ट भाव से कहा कि एक दूसरे पर दोषारोपण करने से काम नहीं चलेगा। मूल कारणों को जानना होगा। इसके जवाब में कहा गया कि नालों के लिए मूलतः तीन जगहों से राशि आवंटित होती है। नगर निगम, नगर विकास विभाग तथा जिला प्रशासन के फंड से। बैठक में डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, सुरेश शर्मा, मंत्री प्रेम कुमार, मंत्री नीरज कुमार तथा कई विभागों के आलाधिकारी मौजूद थे। हद तो ये कि जब संप हाउसों को खोला गया तो उसकी मशीनें मिनटों में हांफ कर बैठ गईं। संप हाउसों की बरसात के पूर्व मरम्मत की ही नही गयी। और, मरम्मत के नाम पर पैसे उठ भी गये।
कुछ बौद्विकों ने कहा-क्या नक्शा दुश्मन देश को बेच दिया गया?
वैसे खबर लिखे जाने तक किसी पर कार्रवाई हुई नहीं है। पर, ये माना जा रहा है कि हाईलेवल जांच कमिटी बनेगी। कमिटी में संबंधित विभाग के पदाधिकारिायों को नहीं रखा जाएगा।