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दरभंगा बिहार अपडेट

13 अक्टूबर : दरभंगा जिले की मुख्य ख़बरें

शिक्षा का मूल उद्देश्य मानव-कल्याण, मिथिला में गुरुकुल की प्राचीन एवं समृद्ध परंपरा

छात्र और शिक्षक समाज के अति महत्वपूर्ण एवं अभिन्न अंग हैं, जिनके ऊपर समाज को सही दशा एवं दिशा देने की जिम्मेदारी होती है। चरित्रवान एवं ज्ञानवान छात्र- शिक्षकों से ही हमारा शैक्षणिक,सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राष्ट्रीय विकास संभव है।छात्रों के चरित्र पर शिक्षकों के व्यक्तित्व का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है।शिक्षक का चरित्र व व्यक्तित्व छात्र के लिए मार्गदर्शक होता है। मिथिला में गुरुकुल की प्राचीन एवं समृद्ध परंपरा रही है। गुरु के लिए सभी छात्र समान होते हैं। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मानव-कल्याण होना चाहिए।

गुरु हमेशा शिष्य को अपने से ऊंचा देखना चाहते हैं। उनके लिए छात्र पुत्रवत् होते हैं। उक्त बातें विश्वविद्यालय इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो प्रभाष चंद्र मिश्रा ने भारत विकास परिषद् , विद्यापति शाखा, दरभंगा के तत्वावधान में दरभंगा सेंट्रल स्कूल, (वासुदेवपुर),दरभंगा में आयोजित गुरु वंदन-छात्र अभिनंदन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कहा। उन्होंने कहा कि सद्गुरु को प्रसन्नता तब अधिक होती है,जब उनके शिष्य उनसे भी आगे बढ़ते हैं। योग्य गुरु के बिना छात्र अधूरा होता है। हर छात्र में अपार क्षमता होती है,जिसे योग्यगुरु प्रेरित कर उसमें निखार लाते हैं।गुरु हमें ज्ञान तथा संस्कार दोनों देते हैं। विषय प्रवेश कराते हुए परिषद् के सचिन डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि आदर्श गुरु शिष्य के हृदय में सुसंस्कार के सृजक के नाते ब्रह्मा, उनके रक्षण-वर्धन के नाते विष्णु तथा अशुभ संस्कारों,कुविचारों तथा कुवृतियों के नाशक के नाते साक्षात् शिव हैं।जहां छात्र राष्ट्र के भविष्य हैं,वहीं गुरु भविष्य-निर्माता होते हैं।गुरु छात्र को अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। वे स्वयं दीप की तरह जलकर छात्रों को सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।शिक्षक छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत एवं आदर्श होते हैं।

सम्मानित अतिथि के रूप में परिषद् के उत्तर बिहार प्रांत के महासचिव राजेश कुमार ने कहा कि ‘गुरु वंदन-छात्र अभिनंदन’ परिषद् का एक विशिष्ट कार्यक्रम है। शिक्षा को छात्र अपनी पात्रता के बल पर गुरु से प्राप्त करते हैं। छात्रों को गुरु के अच्छे गुणों एवं वचनों को आत्मसात करना चाहिए।गुरु की पूर्णता योग्य छात्रों को तैयार करने से ही होता है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में महात्मा गांधी महाविद्यालय, दरभंगा के इतिहास विभाग के प्राध्यापक प्रो विनोद विनीत ने कहा कि शिक्षा का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य सांस्कृतिक विकास करना है। आज शिक्षकों एवं छात्रों के स्तर में काफी गिरावट आयी है,परंतु आज भी शिक्षकों पर छात्रों के भविष्य निर्माण का महत्वपूर्ण दायित्व है, जिनके बदौलत ही छात्र अपने जीवन में उच्चता को प्राप्त करते हैं। इस अवसर पर केंद्रीय विद्यालय दरभंगा की शिक्षिका डॉ शीला कुमारी झा, कोयलास्थान हाई स्कूल की शिक्षिका डॉ अंजू कुमारी, परिषद् सदस्य जीवछ प्रसाद चौधरी,विजय कुमार यादव, कोषाध्यक्ष आनंद भूषण, मथुरा प्रसाद अग्रवाल,चंदन कुमार सिंह,एस एन चौबे,डा अंजू अग्रवाल आदि ने गुरु- शिष्य संबंध की महत्ता पर प्रकाश डाला।
आगत अतिथियों का स्वागत विद्यालय के प्राचार्य डॉ ए के कश्यप,संचालन आयुष्मान कश्यप ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन परिषद् के पूर्व कोषाध्यक्ष श्रीरमण अग्रवाल ने किया।