आज चांदनी बरसायेगी अमृत, जानें शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त्त

0

पटना : हिन्‍दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे साल में केवल इस दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से निपुण होता है और इससे निकलने वाली किरणे इस दिन धरती पर अमृत बरसाती हैं। ऐसी मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

पौराणिक आख्यानों में शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्‍मी और भगवान विष्‍णु की पूजा का विधान है।
इस दिन की चांदनी और स्वच्छ—साफ आसमान, मॉनसून के पूरी तरह चले जाने का प्रतीक है। कहते हैं कि ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है।

swatva

Image result for शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्‍मी और भगवान विष्‍णु की पूजा का विधान है।

क्या है शरद पूर्णिमा का महत्व

कहा जाता है कि जो विवाहित स्त्रियां इस दिन व्रत रखती हैं उन्‍हें संतान की प्राप्‍ति होती है। जो माताएं इस व्रत को करती हैं उनके बच्‍चे दीर्घायु होते हैं। अगर कुंवारी लड़कियां ये व्रत रखें तो उन्‍हें मनचाहा पति मिलता है।
इस दिन प्रेमावतार भगवान श्रीकृष्ण, धन की देवी मां लक्ष्मी और सोलह कलाओं वाले चंद्रमा की उपासना से अलग-अलग वरदान प्राप्त किए जाते हैं।

रात में खुले आकाश के नीचे खीर रखने की परंपरा

Image result for रात में खुले आकाश के नीचे खीर रखने की परंपरा

शरद पूर्णिमा की रात में आकाश के नीचे खीर रखने की भी परंपरा है। इस दिन लोग खीर बनाते हैं और फिर 12 बजे के बाद उसे प्रसाद के तौर पर गहण करते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन चंद्रमा आकाश से अमृत बरसाता इसलिए खीर भी अमृत वाली हो जाती है। ये अमृत वाली खीर में कई रोगों को दूर करने की शक्ति रखती है।

कब है पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त

अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 13 अक्टूबर, रविवार को है।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 अक्‍टूबर 2019 की रात 12 बजकर 36 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 14 अक्‍टूबर की रात 02 बजकर 38 मिनट तक
चंद्रोदय का समय: 13 अक्‍टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 26 मिनट

Image result for शरद पूर्णिमा व्रत करने की विधि

शरद पूर्णिमा व्रत करने की विधि

  • पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए।
  • इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए।
  • ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।
  • लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है।
  • इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  • रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
  • मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।

ज्योर्तिविद् नीरज मिश्रा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here