पटना : राज्यसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने बिहार से पूर्व सांसद सतीशचंद्र दुबे के नाम पर मुहर लगा दी। सतीशचंद्र दुबे को राज्यसभा भेजने की कहानी के पीछे भाजपा के कद्दावर नेता ई. सच्चिदानंद राय द्वारा ब्रह्मजन को उचित प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए किए गए संघर्ष है। याद कीजिए लोकसभा चुनाव के समय भाजपा के अंदर किस प्रकार पार्टी को एकजुट रखने की चनौती आ गई थी, जब उसके आईआईटियन एमएलसी सच्चिदानंद राय ने पार्टी में ब्रह्मजनों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए बगावत कर दी थी। महाराजगंज से चुनाव लड़ने तक का एलान कर दिया था। उनके समर्थन में सतीशचंद्र दुबे का आना, भाजपा आलाकमान को तनाव दे दिया था। तब डैमेज कंट्रोल करते हुए पार्टी नेतृत्व ने सच्चिदानंद राय और सतीशचंद्र दुबे को आश्वस्त किया था कि चुनाव के बाद ब्रह्मजनों को उचित प्रतिनिधित्व पर विचार किया जाएगा। इसके बाद सच्चिदा बाबू पार्टी लाइन पर सहमत हुए थे। आज सतीश दुबे का राज्यसभा में जाना उसी ‘क्षतिपूर्ति’ का उदाहरण है। इस तरह यह पहली बार हुआ है कि बिहार भाजपा कोटे से किसी ब्रह्मण को राज्यसभा भेजा गया है।
वैसे सच्चिदानंद राय कहते हैं कि ब्रह्म्जनों में ऐसी अवधारणा बन रही थी कि भाजपा में उनकी उपेक्षा हो रही है और वहां उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है. विपक्षी इस स्थिति को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत कर रही थी. ऐसे में पार्टी के हित के लिए मुझे आवाज़ उठानी पड़ी .
दुबे को राज्यसभा भेजे जाने की घोषणा होते ही राय ने ट्वीट किया – ” आठ जून 2019 को मैंने अपने इस पोस्ट के माध्यम से भाजपा नेतृत्व से ब्राह्मण समुदाय के दलीय साथी को राज्यसभा भेजने का आग्रह किया था। 4 अक्टूबर 2019 को वह फलीभूत हो रहा है। महज़ तीन महीने के अंदर यह सुअवसर आया। मैं गदगद हूं कि दलीय नेतृत्व ने इस कनिष्ठ कार्यकर्ता की प्रार्थना को स्वीकार किया।”