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मिस्टर गांधी, आपको गिरफ्तार किया जाता है!

पटना : अप्रैल की कड़ी धूप में महात्मा गांधी चंपारण के इलाके में घूम रहे हैं। एक दरोगा आकर गांधी जी को एक कागज थमाते हैं। वह सरकारी पत्र मोतिहारी के मजिस्ट्रेट का था, जिसमें गांधीजी की गिरफ्तारी का आदेश था। दो दिन बाद गांधीजी एसडीएम कोर्ट में हाजिर होते हैं और अपनी दलील देते हैं। गांधीजी के चंपारण आने से नील किसान उत्साहित हैं। उन्हें लग रहा है कि अब उनका कष्ट दूर हो जाएगा। शराब को गांधीजी बुरा मानते हैं। गांधीजी कहते हैं कि उनको एक दिन के लिए भारत का तानाशाह बना दिया जाए, तो सबसे पहले वे शरब दुकानों को बंद करा देंगे और उनको कोई मुआवजा भी नहीं देंगे।

गांधीजी का खंडित चश्मे की प्रतिकृति

यह सारे दृश्य पटना के ज्ञान भवन में जीवंत हो रहे हैं। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के बवसर पर 2 से 7 अक्टूबर तक गांधीजी के जीवन को दिखाने वाली चित्र प्रदर्शनी लगी है, जिसमें मुख्य रूप से चंपारण सत्याग्रह, नशामुक्ति व बालविवाह आदि पर बने चित्र लगे हैें। कलाकार रोहित कुमार द्वारा गांधीजी के खंडित चश्मे के माध्यम से खंडित सपनों को दर्शाया गया है। मीनाक्षी झा बनर्जी द्वारा मानव के इतिहास को चित्रकारी के माध्यम से दिखाया गया है। मानव इतिहास की यात्रा में गांधी का आगमन एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, इसको चित्रकार ने बड़ी खूबसूरती से उकेरा है। सौ साल पहले चंपारण में किस प्रकार नील तैयार किया जाता था, इसकी पूरी प्र​क्रिया के बारे में चित्रों के माध्यम से बताया गया है।

गांधीजी द्वारा प्रकाशित अखबार की मूल प्रति

चित्रों के अलावा गांधीजी द्वारा प्रकाशित अखबारों की मूल प्रतियों की भी प्रदर्शनी लगायी गई है। छत्तीसगढ़ के भिलाई से आए दो मित्र सी. अशोक कुमार एवं आशीष कुमार दास ने भारत में घूम—घूमकर गांधीजी से जुड़े दास्तावेजों का अनुपम संग्रह किया है। गांधीजी के गिरफ्तारी के आदेश की मूल प्रति, हरिजन, नवजीवन, यंग इंडिया, ग्राम उद्योग पत्रिका आदि अखबारों की मूल प्रति उपलब्ध है। इसके अलावा 30 एवं 40 के दशक में फ्रांस, रूस, स्पेन, अमेरिका आदि देशों की पत्रिकाओं ने अपने कवरपेज पर गांधीजी की तस्वीर प्रकाशित की थी। उन पत्रिकाओं की मूल प्रतियां भी उपलब्ध हैं। आशीष कुमार दास ने बताया कि प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने 1930, 1931 और 1947 में गांधीजी को अपने आवरण पृष्ठ पर छापा था। उनके पास तीनों उपलब्ध हैं। आजादी के पहले एक तमिल परिवार ने शादी के कार्ड पर गांधीजी के चरखे की तस्वीर प्रकाशित करवाई थी। आशीष कहते हैं कि इन दास्तावेजों से पता चलता है कि गांधीजी का किस कदर प्रभाव लोगों में था।