स्वयंसेवकों की पीड़ा; ‘राहतकार्य में बाधा डाल रहे सरकारी लोग’

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volunteers carry relief majors in flooded areas of Patna

पटना : ”एक तो खुद ये लोग कुछ कर नहीं रहे हैं, ऊपर से हमलोग मदद करना चाह रहे हैं, तो वह भी नहीं करने दे रहे।”— ये बोल उन स्वयंसेवक छात्रों के हैं, जो बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं, लेकिन उन्हें प्रशासन द्वारा रोका जा रहा है।

राजधानी पटना में हजारों लोग बारिश और जलजमाव के कारण भूखे—प्यासे घरों में फंसे हैं। सरकारी मदद नाकाफी होने के बाद पटना कॉलेज के छात्र सड़कों पर जमे पानी में उतरकर पीड़ितों को राहत सामग्री पहुंचाने लगे। राजेंद्र नगर रोड नंबर 12 में इस बीच एसडीआरएफ का दल पहुंच कर छात्रों को फूड पैकेट बांटने से रोका। उनका कहना था कि निजी व्यक्ति द्वारा फूड पैकेट बांटने की अनुमति नहीं है। उधर, मलाहीपकड़ी इलाके में भी सरकारी अफसर मदद कर करे युवाओं को राहत सामग्री बांटने से रोका। एक निजी संस्था से जुड़ी महिला ने मंगलवार को बताया कि संस्था के स्वयंसेवकों द्वारा दूध के पैकेट पीड़ितों के बीच ले जाने पर, प्रशासन के लोगों ने कहा कि दूध पैकेट को पहले एसके मेमोरियल हॉल के कैंप में जांच के लिए जमा करे। जांच होने के बाद ही उसे बांटा जाएगा। महिला का कहना था कि जांच होने की सरकारी प्रक्रिया में सैंकड़ों लीटर दूध फट जाएगा, फिर फटे दूध किसको बांटेंगे!

swatva

पटना विवि के छात्रों ने बताया कि सोमवार को कंकड़बाग अंचल के अधिकारी से राहत सामग्री बांटने हेतु ट्रैक्टर मांगा, तो देने से इनकार कर दिया, जबकि तीन ट्रैक्टर वहां उपलब्ध थे। बाद में जब छात्र उग्र हुए, तो थकहार कर प्रशासन ने ट्रैक्टर उपलब्ध कराया।

सोमवार को भी प्रशासन की संवेदहीनता के कई उदाहरण मिले। कदमकुंआ क्षेत्र में राहत सामग्री के रूप में मिले दूध के 75 पैकेट को एक डीएसपी ने अपने करीबी को दे दिया। बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवकों की मानें तो सरकारी कर्मचारी राहत सामग्री की बंदरबांट करने में लगे हैं। एक—एक कर्मचारी अपने साथ सैंकड़ों फूड पैकेट जमा कर छुपा दिया है। जिनके लिए राहत सामग्री भेजी जा रही, उन तक पहुंच ही नहीं रही।

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