पटना : पुलिस में अनुसंधाकर्ताओं की अब खैर नहीं। उन्हें नियत समय में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश जब निरंतर फेल होने लगे तब पटना सेंट्रल के एसपी विनय तिवारी ने सेंटल इन्वेस्टिगेशन रूम बना कर अनुसंधानकर्ताओं को रिपोर्ट लिखने की व्यव्स्था की है। अपने किस्म की इस अनोखी पर सख्त शैली से मामलों के अनुसंधान करने वाले पुलिस अफसरों के पसीने छुटने लगे हैं।
एसपी—डीएसपी करेंगे माॅनिटरिंग
सूत्रों ने बताया कि अकेले पटना मध्य में करीब 8000 मामले निष्पादन के लिए लंबित पड़े हैं। मिली जानकारी के अनुसार, अनुसंधानकर्ता के लिए सीआईआर में 24 घंटे अनुसंधानकर्ताओं के बैठने की सुविधा है। चाय भी है और पानी भी। बाथरूम के लिए कहीं नहीं जाना है। पटना मध्य अर्थात सेंटल पटना में 13 थाने हैं। उन थानों के अनुसंधानकर्ताओं को निर्देश है कि प्रत्येक दिन सीआईआर में वे जाकर 6 घंटा रिपोर्ट लिखेंगे ही। एक छात्र की तरह। उन्हें माॅनिटर करेंगे इंस्पेक्टर, डीएसपी तथा एसपी। केस डायरी अनुसंधान में थानेदार को चार घंटे, डीएसपी को दो घंटे तथा एसपी को घंटा समय सीआईआर में देना होगा।
आईओ लंबित मामलों की 24 घंटे लिखेंगे रिपोर्ट
एसपी ने कहा है अगर केस डायरी में किसी तरह की कोताही बरती गयी अथवा कागजात में हेराफेरी कर मामले को दबाने की कोशिश की गयी तो अनुसंधानकर्ता के घर में छापेमारी कर कागजात बरामद होने के बाद प्राथमिकी भी दर्ज हो सकती है। केस डायरी भी अगर समय पर तैयार नहीं की गयी तो अनुसंधानकर्ता पर प्राथमिकी दर्ज होगी।
इस संबंध में बता दें कि पूरे सूबे में लाखों मामले अनुसंधानकर्ताओं द्वारा समय पर रिपोर्ट नहीं सौपने के कारण विभिन्न न्यायालयों में लंबित पडै हैं। नतीजा, समय पर पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता। कई बार तो कोर्ट ने पुलिस को लताड़ भी लगायी है। यही नहीं, सही भादवि की उपयुक्त धारा नहीं लगाने के कारण भी मामला इधर से उधर हो जाता है। यही कारण है कि कई निर्दोष सलाखों के पीछे हैं।