2 सितंबर : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

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नामांकन तिथि बढ़ाने के लिए एबीवीपी ने सौपा ज्ञापन

दरभंगा : सोमवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दरभंगा जिला इकाई द्वारा स्नातक प्रथम खंड में नामांकन तिथि को बढ़ाने के लिए अध्यक्ष छात्र कल्याण के समक्ष एक ज्ञापन प्रदेश कार्यसमिति सदस्य पिंटू भंडारी व सुमित सिंह के नेतृत्व में सौंपा गया।

इस अवसर पर पिंटू भंडारी ने कहा कि स्नातक में नामांकन हेतु ऑनलाइन आवेदन फॉर्म सर्वर में आई दिक्कत के कारण कई छात्र नहीं भर सके जिस कारण उनकी अब तक नामांकन नहीं हो पाई है, अतः अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यह मांग करती है की छात्रों के समस्याओ को ध्यान में रखकर अध्यक्ष छात्र कल्याण महोदय पुनः नामांकन हेतु तिथि प्रकाशित करे ताकि छात्र अपना नामंकन ले सके।

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वहीं इस अवसर पर प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुमित सिंह ने कहा कि इस वर्ष ऑनलाइन नामांकन के वजह से काफी छात्रों को समस्याएं उत्पन्न हुई है  और ऐसे कई छात्र अभी भी चारों जिला में मौजूद हैं जो सर्वर में आई कठिनाई के कारण अपना नामांकन फार्म हेतु ऑनलाइन अप्लाई नहीं कर पाए जिस कारण आज हम लोग अध्यक्ष छात्र कल्याण महोदय के समक्ष अपनी बातों को रखे हैं  और उनसे आग्रह किए हैं कि छात्र के भविष्य को देखते हुए नामांकन की तिथि पुनः जारी किया जाए, तांकि छात्रों का भविष्य एक वर्ष बर्बाद होने से बच सकें, इसके लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दरभंगा जिला इकाई आपका सदा आभारी रहेगा।

एक रन से छात्र एकादस ने फैंसी क्रिकेट मैच जीता

दरभंगा : फिट इंडिया मूवमेंट के उपलक्ष्य में आयोजित फैंसी क्रिकेट मैच को छात्र एकादस ने  शिक्षक-पदाधिकारी एकादस से एक रन से जीत लिया। टॉस जीतकर पहले खलने उतरी छात्र एकादस की टीम ने 10 ओवर में 3 विकेट खोकर 92 रन बनाए सिद्धिनाथ ने सबसे अधिक 27 रन बनाया और उन्हें में ऑफ द मैच घोषित किया गया। छात्रसंघ महासचिव प्रियांशु राज एवं शारीरिक अनुदेशक के सफल संयोजन में खेले गए मैच का उद्घाटन कुलपति प्रो0 सर्व नारायण झा ने सिक्का उछलकर किया और उन्होंने बल्लेबाजी भी की। बॉलिंग प्रो0 शिवलोचलन झा ने की शिक्षक एकादस की तरफ से कप्तानी अनुदेशक पवन सहनी (कप्तान), आलोक कुमार, डॉ सत्यवान कुमार, प्रमोद मिश्रा, अखिलेश कुमार, विकाश कुमार, डॉ शिवेंदु पाठक, राघवेन्द्र कुमार, अवन कुमार, वरुण कुमार, राजेश कुमार एवं छात्र एकादस में कप्तान, भावेश झा, प्रियांशु राज, विभव झा, धीरज कुमार, भारतेंदु कुमार, राजा कुमार, सिद्धिनाथ झा, आनंद कुमार, सलेश कुमार, कुंदन कुमार, राज कुमार तिवारी व अन्य इस दौरान मौजूद रहे।

डॉ विजय कुमार झा के सेवानिवृति पर मिलन-समारोह का आयोजन

दरभंगा : आज के समय में किसी भी व्यक्ति के लिए नौकरी के दौरान अपने दायित्वों का पूर्ण निर्वहन करते हुए बेदाग अवकाश ग्रहण करना बड़ी बात है। इस अर्थ में डॉ विजय कुमार झा भाग्यशाली रहे। इन्होंने अपने नाम के अर्थ को चरितार्थ करते हुए हम लोगों की सभी शिकायतों को सुनते रहे पर खुद कभी किसी से शिकायत नहीं किया। इन्होंने महाविद्यालय परिवार के हर व्यक्ति  के दिलों पर विजय प्राप्त की है। डॉ झा अच्छे शिक्षक तथा अच्छे प्रशासक दोनों रूपों में सफल रहे। उक्त बातें सीएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने महाविद्यालय के गणित विभागाध्यक्ष व परीक्षा नियंत्रक डॉ विजय कुमार झा के अवकाश ग्रहण के उपरांत आयोजित शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के मिलन-समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि अवकाश के बावजूद डॉ झा महाविद्यालय परिवार के सदस्य बने रहेंगे तथा अपेक्षित सहयोग भी करते रहेंगे।

अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ अवनि रंजन सिंह ने डॉ झा के स्वभाव की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इनके साथ काम करने का अनुभव यादगार रहेगा, विशेष रूप से इनका शांत, हसमुख और सहयोगात्मक स्वभाव। उन्होंने डॉ झा के स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की मंगलकामना की। शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ अमरेंद्र शर्मा ने कहा कि डॉ झा गणित एवं परीक्षा विभाग को प्रसन्नतापूर्वक एवं कुशलतापूर्वक चलाए। इनकी सहनशीलता तथा मिलनसार प्रकृति हमें सदा इनकी याद दिलाती रहेगी। अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो इंदिरा झा ने उनके मृदुल स्वभाव एवं महाविद्यालय में अत्यधिक समय देने हेतु उन्हें धन्यवाद दिया तथा उनके धार्मिक दांपत्य-जीवन की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्हें भरपूर सहयोग देने के लिए उनकी धर्मपत्नी  को भी साधुवाद दिया। प्रो विकास कुमार ने डॉ झा के साथ बिताए पलों को याद करते हुए उन्हें धैर्य एवं सहनशीलता की प्रतिमूर्ति बताया।

ज्ञातव्य है कि डॉ विजय कुमार झा 31 अगस्त को अवकाश ग्रहण किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि एमएलएस कॉलेज, सरसोपाही, मिल्लत कॉलेज, दरभंगा तथा सीएम कॉलेज, दरभंगा के 37 वर्षों के सेवाकाल में इस महाविद्यालय परिवार से मुझे भरपूर सहयोग एवं स्नेह मिला है, जिसे मैं पूरे जीवन-काल तक नहीं भुला सकूंगा। मैंने आचार्य श्रीराम शर्मा के आदर्श वाक्य व्यस्त रहो-मस्त रहो, पर अस्त-व्यस्त न रहो को अपने जीवन में अपनाकर काम किया है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय को जब भी मेरी जरूरत होगी, मैं सदा सेवा देने के लिए तैयार रहूंगा। समारोह को प्रो विश्वनाथ झा, डॉ अशोक कुमार पोद्दार, डॉ अनुपम कुमार सिंह, प्रो रमनबिहारी लाल, प्रो राजानंद झा, प्रो चंद्रशेखर मिश्र, सृष्टि चौधरी, बिंदेश्वर यादव, अरुण कुमार झा आदि ने संबोधित किया। इस अवसर पर प्रो मंजू राय, डॉ आर एन चौरसिया, डॉ सुरेश पासवान, डॉ नरेंद्र झा, डॉ प्रीति कनोडिया, डॉ मो असदउल्लाह, डॉ शशांक शुक्ला, प्रो रागनी रंजन, डॉ अभिलाषा कुमारी, डॉ चंदा कुमारी, विपिन कुमार सिंह सहित करीब 100 व्यक्ति उपस्थित थे।

मिलन समारोह में डॉ झा की पत्नी कल्याणी विजय, पुत्र सौरभ विजय तथा साकेत विजय, बहू अचला झा, बेटी निक्की मिश्रा, दामाद साकेत मिश्रा, पोती आदित्या झा, नाती सास्वत मिश्रा नतिनी शुभांगी मिश्रा आदि उपस्थित थे। समारोह में डॉ झा को पाग-चादर तथा एनसीसी की ओर से वस्त्र एवं बैग आदि प्रदान किए गए। प्रोफेसर मंजू राय ने डॉ झा की पत्नी कल्याणी विजय को वस्त्र एवं उपहार देकर सम्मानित किया। समारोह को सफल बनाने में स्वयंसेवक अरबाज खान, प्रकाश कुमार तथा मो अशलम एवं एनसीसी के कैडेटों ने सक्रिय सहयोग किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो नारायण झा ने कहा कि डॉ विजय कुमार झा का महाविद्यालय के शिक्षक संघ की ओर से विधिवत् विदाई 31 जनवरी, 2020 को बृहत रूप से दी जाएगी। धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ आर एन चौरसिया ने किया।

प्रासंगिक विषयों पर शोध के लिए कुलपति ने दिया जोर

दरभंगा : नैतिकता का बोध जबरन नहीं कराया जा सकता है बल्कि व्यक्ति को उसे खुद जागृत करना होगा उक्त बातें कुलपति ने आज शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा प्रोफेसर उमाकांत चौधरी मेमोरियल व्याख्यान के तहत शैक्षिक शोध में नैतिकता का महत्व विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। प्रोफेसर सिंह ने कहां कि ऐसा ज्ञान जो व्यक्ति समाज और देश के लिए उपयोगी हो उसी पर शोध होना चाहिए साथ ही वह सामाजिक रूप से प्रासंगिक भी हो और समस्याओं का हल करने में सहायक हो। उन्होंने कहा कि आज देश मे 40,000 शोध में सिर्फ 1,000 शोध ही मूल शोध हो रहे हैं। यानी मात्र 2.5 फीसदी। 97.5 फ़ीसदी शोध किसी काम का नहीं है। अब शोधकर्ताओं को सोचना होगा कि वे 2.5 में रहे या 97.5 फ़ीसदी की श्रेणी में। उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय का रीढ़ शोधार्थी  होते है। शोधार्थीसृजन के लिए उन्हें अतिरिक्त प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षक और शोधार्थी को निर्णय लेना होगा कि विश्वविद्यालय की पहचान मात्र डिग्री देते रहने की श्रेणी में रहे या शोध कार्य में अलग पहचान के लिए।

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सर्व नारायण झा ने कहा कि रक्त में नैतिकता का बीज हरेक व्यक्ति में है लेकिन इसे कोई व्यवहार में नहीं लाते हैं। उन्होंने शोधर्थियों का आहवान किया कि वे अपने शोध में सत्य धर्म और का उपयोग करें। सत्य का अनुसरण रहे तो नैतिकता का स्वयम विकास हो जाता  है। उन्होंने कहा कि हरेक व्यक्ति की अपनी प्रवृति होती है जो उसका धर्म होता है।अर्थात अपनी प्रवृति के अनुरुप लोगो को चलना चाहिए।साथ ही उन्होंने स्वाध्याय पर जोर देते हुए कहा कि इसका दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर प्रेम नारायण सिंह ने कहा कि शोधार्थी को जिज्ञासू  होना चाहिए तभी वह ज्ञान प्राप्त  कर सकता है। ज्ञान नहीं तो शोध नहीं। उन्होंने कहा कि शोधार्थी को कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना होगा ।नैतिकता उचित अनुचित का विवेक है। नैतिक मूल्यों का संबंध जीवन मूल्यों से है तथा जीवन मूल्यों का संबंध व्यक्तिगत स्तर पर व्यक्तिगत समाज के स्तर पर समाजिक तथा राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय होना चाहिए। नैतिकता  का विकास बाहर से नहीं बल्कि मनुष्य के अंदर से आता है।

डॉ जाकिर हुसैन शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ डी एन सिंह ने कहा कि शिक्षा में नैतिकता के बिना गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की बात बेमानी है।उन्होंने कहा कि शोधार्थी से जो उम्मीद होती है उसे शिक्षक को अपने व्यवहार में प्रस्तुत करना चाहिए।अन्यथा नैतिकता की चर्चा बेमानी होगी ।

दूर शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ सरदार  अरविंद सिंह ने शोधार्थी को समसामयिक विषय पर शोध करने की अपील की। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के उपनिदेशक डॉ विजय कुमार ने कहा कि शोध प्रोन्नति या नौकरी के लिए नहीं करना चाहिए बल्कि समाज के लिए उपयोगी होना चाहिए। मानू के प्राध्यापक डॉ फ़ैज़ अहमद शोध नेआने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला। आगत अतिथियों का स्वागत शिक्षा शास्त्रविभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार चौधरी ने किया वहीं धन्यवाद ज्ञापन डॉ रौली द्विवेदी ने किया।

मुरारी ठाकुर

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