31 अगस्त : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

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खेल दिवस पर पीएम ने शुरू की फिट इंडिया मूवमेंट

दरभंगा : राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत की। इस अवसर पर कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दूरदर्शन से किया गया। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के जुबिली हॉल में राष्ट्रीय सेवा योजना कोषांग द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम को देखने की व्यवस्था की गयी। दूरदर्शन द्वारा फिटनेस से जुड़ी शारीरिक और सांस्कृतिक गतिविधि को रंगारंग कार्यक्रम के द्वारा प्रस्तुत करने के बाद माननीय प्रधानमंत्री का व्याख्यान हुआ, जो फिटनेस की उपयोगिता और इस मुहिम की सार्थकता को स्पष्ट करता है। इस कार्यक्रम के पश्चात जुबिली हॉल में माननीय कुलपति प्रो॰ सुरेन्द्र कुमार सिंह ने शिक्षकों,  पदाधिकारियों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित किया और कहा कि आधुनिक भारत में जीवन शैली में आए व्यापक बदलाव से फिटनेस का प्रश्न छूटता जा रहा है, जिसपर ध्यान देने की जरूरत है। उत्तम स्वास्थ्य से ही व्यक्ति अपना सही विकास कर सकता है। फिटनेस के प्रति जागरूकता लाना तथा उसे अपने जीवन का अंग बनाना वस्तुतः हमारा कर्तव्य है। इसलिए डॉ सिंह ने जोर देकर कहा कि इस अवसर पर हमें स्वयं के प्रति स्वयं से शपथ लेने की जरूरत है कि हम स्वस्थ रहेंगे तथा आस-पड़ोस और सगे संबंधियों को भी इससे जोड़ेंगे। उन्होंने बताया कि इस मुहिम को व्यापक बनाने के लिए विश्वविद्यालय ने सद्भावना दौड़ का आयोजन किया, जिसमें 300 से अधिक छात्र-छात्राएं तथा शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने भाग लिया। सद्भावना दौड़ वस्तुतः सकारात्मक सोच की ऊर्जा के साथ स्वास्थ्य और विकास के पथ पर आगे बढ़ने का प्रतीकात्मक प्रयत्न है। इस कार्यक्रम में कुलसचिव कर्नल निशिथ कुमार राय, प्रो एन.के. अग्रवाल,प्रो मुनेश्वर यादव,प्रो अरुणिमा सिन्हा, प्रो ए.के. बच्चन, प्रो अजीत कुमार सिंह, प्रो हिमांशु शेखर, डॉ विजय कुमार, डॉ विजय यादव, प्रो जितेन्द्र नारायण, प्रो जयानंद झा, डॉ मनुराज शर्मा, डॉ विनोद बैठा, डॉ गौरव सिक्का, डॉ के.एन. श्रीवास्तव सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं मौजूद थे ।कार्यक्रम का संचालन डॉ आनंद प्रकाश गुप्ता ने किया।

खेल दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय ने किया खिलाड़ियों का सम्मान

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में पहली बार आयोजित खेल दिवस के उपलक्ष्य पर खेल और खिलाड़ियों से गुलजार रहा नागेंद्र झा स्टेडियम।

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कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रो० सुरेंद्र कुमार सिंह ने सद्भावना दौड़ को झंडी दिखाकर की। सद्भावना दौड़ को पाँच ग्रुप में विभाजित किया गया था जिसमें क्रमशः स्नाकोत्तर के छात्र, स्थानीय कॉलेज के छात्र, सभी स्नाकोत्तर और कॉलेज की छात्रा, विश्वविद्यालय के शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी, साठ वर्ष से ऊपर के अवकाश प्राप्त शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने भाग लिया।

जिसमें स्नाकोत्तर छात्रों के ग्रुप में पिंटू कुमार मंडल ने प्रथम और द्वितीय स्थान अमित कुमार ने प्राप्त किया। स्थानीय कॉलेज के छात्रों के ग्रुप में प्रथम स्थान बागेश्वर कुमार यादव और द्वितीय स्थान आदर्श कुमार ने प्राप्त किया।विश्वविद्यालय के शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी के ग्रुप में शंभु राम ने प्रथम और संतोष कुमार ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।

छात्रों के ग्रुप में नंदनी कुमारी ने प्रथम और आशा कुमारी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। दौड़ के बाद पुरूष और महिला हैंडबॉल मैच का आयोजन हुआ, जो विश्वविद्यालय के टीम ए और टीम बी के बीच खेला गया पुरुष वर्ग में टीम ए ने 3 गोल से टीम बी को पराजित कर दिया और महिला वर्ग में भी टीम ए ने टीम बी को 5 गोल से पराजित किया। कार्यक्रम का समापन महिला और पुरुष कब्बड्डी मैच से किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय की महिला ए टीम ने बी टीम को 11 अंकों से पराजित कर अपना दम खम दिखाया। पुरुष वर्ग में बी टीम ने ए टीम को 8 अंकों से हरा दिया ।

कार्यक्रम के समापन सत्र में विश्वविद्यालय के पिछले वर्ष सत्र 2017-18 में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय में ल०ना०मि० विश्वविद्यालय को खेल के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया।

खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन कर रहे विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय ने अपने सम्बोधन में कहा कि खेल जीवन का अभिन्न अंग है और इस का समावेशी विकास छात्र जीवन से ही शुरू हो जाता है। कुलपति महोदय ने खिलाड़ियों को हर संभव मदद उपलब्ध कराने के बात के साथ साथ आगे के लिए शुभकामनाएं भी दी।

कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि इस वर्ष से एक नई परम्परा को जोड़ा गया है जिससे खिलाड़ी आगे अपनी मेहनत से खुद को और विश्वविद्यालय को गौरवान्वित करते रहेंगे।

मंच संचालन कर रहे विश्वविद्यालय के खेल पदाधिकारी डॉ० अजय नाथ झा ने कहा कि विश्वविद्यालय के खिलाड़ी ने समूचे बिहार में ही नही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय परिवार को गौरवान्वित होने का अवसर दिया है, इसलिए विश्वविद्यालय परिवार की ओर से खिलाड़ियों को ए टोकन ऑफ़ रिस्पेक्ट के रूप में चांदी के मेडल से सम्मानित कर विश्वविद्यालय परिवार हर्ष और उत्साह के साथ खेल उत्सव मना रहा है।

खेल दिवस पर कई खेल प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में महान खिलाडी ध्यान चंद के जन्म दिवस को समर्पित खेल दिवस का आयोजन समारोह पूर्वक किया गया। प्रातःकाल सद्भावना दौड का आयोजन किया गया जिसमें कुलपति, कुलसचिव समेत शिक्षकों, कर्मचारियों, पदाधिकारियों एवं छात्र छात्राओं की सहभागिता रही। तदुपरांत बालकों की हैंडबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। पूर्वाह्न दस बजे से जुबली हाल में एन एस एस के संयोजकत्व में फिट इंडिया कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सायंकाल बालिकाओं की हैंडबॉल एवं कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। समापन समारोह में पूर्वी क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं के प्रतिभागियों को कुलपति, कुलसचिव, वित्तीय परामर्शी आदि के क्रम कमलों से मेडल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो सुरेन्द्र कुमार सिंह ने वयोवृद्ध किंतु चिरयुवा श्री मगन चौधरी को विशेष रूप से पाग, चादर, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

समापन समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि खेल दिवस की हमने शुरुआत की है जो बदस्तूर जारी रहेगी। खिलाडियों को सम्मानित कर विश्वविद्यालय ने खुद को सम्मानित किया है। प्रो सिंह ने खेल दिवस के आयोजन के लिए कुलसचिव एवं खेल पदाधिकारी की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने मैराथन दौड गुल्ली डंडा के जल्द आयोजन की घोषणा की।

खेल दिवस के समापन सत्र में सद्भावना दौड के विजेताओं में वित्तीय परामर्शी, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो चन्द्र भानु प्रसाद सिंह, कबड्डी खिलाडियों में कोमल, पूजा, काजल, पारुल प्रिया, हैंडबॉल खिलाडियों में अन्नपूर्णा, सोनी, रिंकू, रितुप्रिया, वर्षा, कल्पना, शकुंतला, युवा महोत्सव के विजेताओं में पुष्कर, राजन, उत्सव, सौरभ, बलराम, राहुल आदि को सम्मानित किया गया। क्रिकेट की विश्वविद्यालय टीम तथा कर्मचारियों की फैन्सी टीम और कोचों-टोली प्रबंधकों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का निर्देशन खेल पदाधिकारी डॉ अजय नाथ झा ने किया, जबकि संचालन मनीष राज तथा सुमित ने किया। इस अवसर पर वित्त पदाधिकारी सुधीर कुमार, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो चन्द्र भानु प्रसाद सिंह, मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो प्रीति झा, प्रधानाचार्य डॉ  विद्यानाथ झा, डॉ रहमतुल्ला, उप परीक्षा नियंत्रक डॉ अरुण कुमार सिंह, अभिषद सदस्य डॉ विनोद कुमार चौधरी, श्री मती मीना झा, छात्र संघ महासचिव उत्सव पराशर आदि उपस्थित थे ।समारोह का समापन राष्ट्र गान से हुआ।

तर्पण व पार्वण श्राद्ध की बारीकियों को बताएगा संस्कृत विश्वविद्यालय

दरभंगा : अब आप अपने कम्प्यूटर व मोबाईल को खोलकर एक क्लिक कीजिए और पहुँच जाइए  कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के वेबसाईट पर जहां आपको तर्पण व पार्वण श्राद्ध करने की सभी लाईव तौर तरीके मिल जाएंगे। यह सुविधा अगले माह के दूसरे सप्ताह की शुरुआत में उपलब्ध हो जाएगी।

भारतीय संस्कृति की संरक्षा व यहां की अलौकिक सभ्यता के संवर्धन के साथ- साथ पितरों के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए विश्वविद्यालय ने तर्पण व पार्वण श्राद्ध (बरसी) करने के शास्त्रीय स्वरूप को आमजनों के बीच सरल बनाने व समझाने का एक वृहत फैसला लिया है। इसके लिए विश्वविद्यालय मुख्यालय के दरबार हॉल में बाजाप्ता दो दिवसीय आठ व नौ सितम्बर को एक नायाब कार्यशाला आयोजित की जाएगी। दोनों दिन कार्यक्रम 11 बजे शुरू होगा और इस मौके पर स्नातकोत्तर विभागों के विद्वानों द्वारा यह बताने का भरपूर प्रयास किया जाएगा कि तर्पण व पार्वण कैसे किया जाय यानी किस किस विधि से यह श्राद्ध कर्म करना श्रेष्ठकर होगा। फोकस इस पर भी रहेगा कि यह श्राद्ध कर्म क्यों जरूरी है? आखिर पितरों की याद में इस कर्म के जरिये उन्हें कैसे श्रद्धांजलि दी जाय?

उक्त जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के पीआरओ निशिकांत ने बताया कि 14 सितम्बर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है जो 28 तक रहेगा। इस तिथि के दौरान ही अमूमन सभी पितरों का तर्पण व पार्वण श्राद्ध कर्म अर्पित करते हैं लेकिन शास्त्रीय अनभिज्ञता एवम कर्मकांड के असली जानकारों का अभाव इस पुनीत कार्य में बहुत बड़ा बाधक बन गया है। इसी समस्या को देखते हुए शास्त्रीय निदान निकलने लिए विश्वविद्यालय ने दो दिवसीय सार्वजनिक कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया है। उम्मीद की जा रही है कि कार्यशाला से सांस्कृतिक व शास्त्रीय लाभ उठाकर हरकोई अपने पितरों को नए सिरे से याद कर पाएंगे और उन्हें श्रद्धांजलि दे पाएंगे।

आमजन कर सकते हैं शिरकत

प्रस्तावित कार्यशाला की खासियत यह रहेगी कि कार्यक्रम में सभी वैसे बुद्धिजीवी भाग ले सकते हैं, शिरकत कर सकते हैं जिन्हें अपने पितरों के प्रति अपार श्रद्धा व सम्मान है और वे तर्पण व पार्वण श्राद्ध के साथ साथ एकोदिष्ट श्राद्ध की भी सुगम व सरल विधि को जानना व समझना चाहते हों। वे कार्यशाला में विद्वानों से सवाल भी कर सकते हैं।उन सभी अनसुलझे प्रश्नों का जबाव भी वे पा सकेंगे जो वर्षों से उनके दिलों-दिमाग मे उमड़ – घुमड़ रहे हैं।विद्वतजन सभी जिज्ञासाओं को शांत करेंगे।

पूरे कार्यक्रमों का होगा डिजिटाइजेशन

सांस्कृतिक प्रेमियों के लिए बहुत ही हर्ष का मौका रहेगा कि कार्यशाला में विधिवत प्रायोगिक तरीके से होने वाले सभी शास्त्रीय व लौकिक विधानों व प्रक्रियाओं की लाईव वीडियोग्राफी करायी जाएगी और उसे विश्वविद्यालय के वेबसाईट एवम यू-ट्यूब पर अपलोड भी किया जाएगा ताकि इसके सहारे भी लोग कर्मकांडों का सुचारू रूप से निष्पादन कर सके। ऐसा करने के पीछे सोच यह भी है कि तर्पण व पार्वण श्राद्ध के विधानों को आसानी से व्यापकता दी जाय और इस निमित्त उठ रही आशंकाओं को भी हल किया जाय।

शास्त्रीय परेशानियाँ होंगी दूर : वीसी

संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सर्वनारायण झा ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला आयोजित करने के पीछे सिर्फ व सिर्फ यही मकसद है कि तर्पण व पार्वण को लेकर आमजनों को हो रही शास्त्रीय परेशानियों को दूर किया जाय। सभी लोग अपने अपने पितरों को कायदे से श्रद्धांजलि दे सके, बस यही विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक प्रयास है। वेबसाईट पर अपलोड सभी सरल नियमों को समझ-बूझ कर कोई भी पितरों को कहीं भी तर्पण अर्पित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पीजी के सभी विद्वान सक्षम व काबिल हैं।इसलिए कार्यशाला से सभी को लाभ लेना चाहिए।उन्होंने सभी से कार्यशाला में भाग लेने की खुली अपील की।

संस्कृत विश्वविद्यालय में भी चला फिट इंडिया मूवमेंट

दरभंगा : राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर आज संस्कृत विश्वविद्यालय में भी फिट इंडिया मूवमेंट के तहत सबसे पहले क्रिकेट प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसके बाद दरबार हॉल में पीएम मोदी का लाइव भाषण भी टीवी व प्रोजेक्टर पर सुनाया गया। मौके पर खुद कुलपति प्रो0 सर्वनारायण झा समेत सभी पदाधिकारी, कर्मी, छात्र व शिक्षक मौजूद रहे।

कुलपति प्रो0 झा ने कहा कि विश्वविद्यालय के जिमखाने को पूरी तरह से अपडेट किया जाएगा। वहां नए नए व्यायाम करने के उपकरण लाये जाएंगे। उन्होंने खुलासा किया कि इस पर गहन विचार किया जा रहा है कि कार्यावधि में ही कम से कम 20 मिनट के लिए कर्मी चाहे तो जिमखाना में जाकर व्यायाम कर सकते हैं। इसके लिए वृहत कार्य योजना बनाई जाएगी। उन्होंने विश्वविद्यालय एनएसएस इकाई के समन्वयक डॉ सत्यवान कुमार को इसके लिए कर्मचारी कार्ड तैयार करने को कहा। इसी कार्ड के सहारे जिमखाना का उपयोग कर सभी कर्मी अपनी सेहत सुधारेंगे।पीआरओ निशिकांत ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान सभी को डीन प्रो0 शिवाकांत झा द्वारा शपथ भी दिलाई गई।

लोहना की टीम विजयी

विश्वविद्यालय मुख्यालय में आज सुबह खेले गए क्रिकेट मैच में लोहना संस्कृत कॉलेज की टीम ने शिक्षा शास्त्र विभाग की टीम को 35 रनों से हरा दिया। अधिकांश खिलाड़ी धोती पहनकर खेल रहे थे जो सभी के लिए कौतूहल बना रहा। मैच का उद्घाटन सीसीडीसी प्रो0 श्रीपति त्रिपाठी की बैटिंग से हुआ। बाद में दोनों टीमों को शील्ड प्रदान किया गया।

ज्ञान-विज्ञान का शाश्वत एवं अक्षय स्रोत वेद

दरभंगा : वेद समस्त ज्ञान-विज्ञान का शाश्वत, अक्षय एवं विस्तृत स्रोत है। वैदिक ज्ञान की सर्वोपयोगिता को सभी स्वीकार करते हैं। वैदिक अध्ययन-अध्यापन हेतु साधक बनना आवश्यक है। इसकी ज्ञान-प्राप्ति हेतु चिंतन एवं मनन की अपेक्षा होती है। वैदिक ज्ञान भूत, वर्तमान तथा भविष्य के लिए समान रूप से उपयोगी तथा अपरिवर्तनीय है। वेद को जानने वाले सर्वज्ञ तथा सब कार्यों में कुशल होते हैं। वेद सभी शंकाओं को दूर करता है। गणित सभी शास्त्रों में श्रेष्ठ है, जिसका मूल स्रोत वेद है। उक्त बातें संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो देवनारायण झा ने गणित तथा संस्कृत विभाग सी एम कॉलेज, दरभंगा के संयुक्त तत्त्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में वैदिक गणित का स्वरूप एवं उसकी प्रासंगिकता विषयक राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में कहा। उन्होंने कहा कि वेद के 10 अर्थों में 8 अर्थ अधिक प्रचलित हैं। वैदिक गणित सूत्र रूप में है, जिन्हें विस्तार से आज जानने व समझने की जरूरत है। वैदिक गणित की आज भी काफी प्रासंगिकता है, जिनपर व्यापक शोध की अपेक्षा है। गणित और विज्ञान हमारे जीवन के हर क्षेत्र को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं।

दीप प्रज्वलित कर सेमिनार का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय गणित विभागाध्यक्ष-सह-लोक सूचना पदाधिकारी प्रो नवीन कुमार अग्रवाल ने कहा कि वेद ज्ञान का असीमित भंडार है। गणित का उद्भव प्राचीन भारत में ही हुआ था। शून्य, दशमलव तथा अंकों की खोज सर्वप्रथम यहीं हुआ, जिसे परिवर्तित कर विदेशियों ने भी अपनाया। प्राचीन भारत में आर्यभट्ट, भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त, विक्रमाचार्य, महावीराचार्य तथा बौद्धायान आदि अनेक गणितज्ञ तथा वैज्ञानिक हुए। वैदिक गणित के प्रयोग से हम आसानी से तथा शुद्धतापूर्वक तीव्र गति से गणना कर सकते हैं। वैदिक ज्ञान-विज्ञान का उपयोग कर हम किसी भी क्षेत्र में लाभ उठा सकते हैं। इस कारण इसका पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानांतरण आवश्यक है। वैदिक गणित व तकनीक काफी उन्नत एवं वैज्ञानिक हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में  विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो रामनाथ सिंह ने कहा कि वेद में विज्ञानपरक सभी शास्त्र यथा-गणित, ज्योतिष, चिकित्साविज्ञान,जीवविज्ञान आदि उपलब्ध हैं। भारतीय परंपरा अनुसार वेद की रचना दस हजार वर्ष पूर्व हुई थी, जिन्हें तीन हजार वर्ष पूर्व वेदव्यास ने उन्हें विषयानुसार चार भागों-ऋक्, साम,यजुर् तथा अथर्व में विभाजित किया। वेद ज्ञान-विज्ञान का प्राचीन एवं शाश्वत विश्वकोश है। बिना वेद-अध्ययन के अन्य ज्ञान अधूरा होता है।

मुख्य वक्ता के रूप में  अंग्रेजी विभागाध्यक्षा प्रो इंदिरा झा ने कहा कि शंकराचार्य द्वारा वैदिक गणित पर अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं। कंप्यूटर तथा दशमलव-प्रणाली वैदिक गणित की देन है। गणित और दर्शन में गहरा संबंध है,जिस पर शोध अपेक्षित है। गणित गणपति गणेश की प्राप्ति का सोपान है। यद्यपि वैदिक गणित अपेक्षाकृत कठिन है,पर इसकी वैश्विक उपयोगिता हेतु इसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। यूरोपीय देशों ने भारत के संख्यात्मक ज्ञान को अरब देशों के माध्यम से प्राप्त किया था। वेद सभी कलाओं, शास्त्रों तथा विधाओं का मूल स्रोत है। यह हमारी अमूल्य धरोहर है, जिसमें सर्वविद्ध कल्याण की भावना निहित है। इस अवसर पर प्रो विश्वनाथ झा, डॉ प्रभात कुमार चौधरी, डॉ शशांक शुक्ला, प्रो नारायण झा, डॉ सुरेश पासवान, डॉ आरती कुमारी, प्रो राजानंद झा, डॉ रुद्रकांत अमर, प्रो रागिनी रंजन, डॉ अभिलाषा कुमारी, डॉ चंदा कुमारी, डॉ दीनानाथ साह, डॉ सच्चिदानंद स्नेही, डॉ राम अवतार प्रसाद, डॉ त्रिलोक नाथ झा, प्रशांत कुमार, संजीत कुमार राम, कमलेश कुमार, विरोध राम, प्रकाश झा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में अरबाज खान, पंकज कुमार, मो असलम, पूजा कुमारी, सुधा कुमारी, रागिनी कुमारी, नीरज कुमार, बलराम कुमार, मो मोवाज हुसैन, आफताब आलम आदि ने सक्रिय योगदान किया। आगत अतिथियों का पाग, चादर तथा पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। राजेश्वर झा ने मंगलाचरण के रूप में वेदध्वनि प्रस्तुत किया।

आगत अतिथियों का स्वागत गणित विभागाध्यक्ष डॉ विजय कुमार झा ने किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्कृत विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया ने कहा कि सेमिनार में प्राप्त स्तरीय शोध आलेखों को ISSN नंबर युक्त संपादित ग्रंथ के रूप में छापा जाएगा।  धन्यवाद ज्ञापन गणित के सहायक प्राध्यापक डॉ अनुपम कुमार सिंह ने किया।

मुरारी ठाकुर

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