नयी दिल्ली : बिहार के नियोजित शिक्षकों की आखिरी उम्मीद पर भी आज सुप्रीम कोर्ट ने पानी फेरते हुए उन्हें समान काम, समान वेतन के प्रश्न पर झटका दे दिया। सर्वोच्च अदालत ने समान काम-समान वेतन के लिए नियोजित शिक्षकों की तरफ से दायर रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया। इस फैसले से बिहार के करीब 3.7 लाख नियोजित शिक्षक मायूस हो गए।
बीते 10 मई को भी सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन देने का आदेश देने से इनकार कर दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका मंजूर कर ली थी और पटना हाईकोर्ट का शिक्षकों के पक्ष में दिया आदेश रद्द कर दिया था। इसके बाद शिक्षकों ने यह पुनर्समीक्षा याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रिव्यू पिटिशन पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पुराने फैसले में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है।
समान कार्य के लिए नहीं मिलेगा समान वेतन
मालूम हो कि बिहार के नियोजित शिक्षक लगातार समान काम-समान वेतन की मांग करते रहे हैं। लेकिन, बिहार सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता। कोर्ट में पूर्व में सौंपी गई रिपोर्ट में सरकार ने यह कहा था कि वह प्रदेश के नियोजित शिक्षकों को महज 20 फीसद की वेतन वृद्धि दे सकती है। बिहार सरकार की दलील को केंद्र सरकार ने भी सही ठहराया था और कहा था कि अगर शिक्षकों की बात मानी गई तो और राज्यों में भी ये मांग उठेगी।