पुस्तक को गुरु का दर्जा; पीयू को केंद्रीय विवि बनाने में मेरी रुचि : उपराष्ट्रपति
पटना : पटना विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय के शताब्दी समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए भारत के उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू पटना विवि को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग पर सहमति व्यक्त की। उप राष्ट्रपति ने कहा कि वे संवैधानिक पद पर हैं। लेकिन, सरकार में नहीं हैं। फिर भी केंद्र सरकार के संबंधित मंत्री को बुलाकर वे इस विषय पर बात करेंगे और केंद्रीय विवि बनाने के लिए उनसे जो भी बन पड़ेगा, वे करने में रुचि लेंगे। साथ ही उन्होंने बिहार के नवनियुक्त राज्यपाल सह बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति फागू चौहान से कहा कि वे एक दिन समय निकालकर इस विश्वविद्यालय में आएं और यहां की आधारभूत संरचनाओं का अवलोकन करें। फिर जो भी आवश्यक हो, उसे अपने स्तर पर पूरा करें। उनके संबोधन के दौरान हाथों में तख्तियां लिए कुछ छात्रों ने पटना विवि को केंद्रीय विश्वविद्यालय की मांग की। छात्रों की नारेबाजी सुनकर उपराष्ट्रपति ने अपनी बाद दुहराते हुए उनकी मांगों से सहमति व्यक्त की।
गौरवशाली इतिहास
पटना सांइस कॉलेज मैदान में बने विशाल सभागार में विश्वविद्यालय के हजारों छात्र—छात्राओं को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने पटना विवि के गौरवशाली इतिहास के अनुरूप अध्ययन करने की नसीहत दी। उन्होंने नालंदा व विक्रमशीला विवि की चर्चा करते हुए उस गौरव को विश्व में पुन: स्थापित करने की भी बात की। उन्होंने कहा कि हमारे यहां ज्ञान को बांटने का संस्कार रहा है। इसे आगे भी अक्षुण्ण रखा जाना चाहिए। नायडू ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उनके लिए यह सौभाग्य की बात है कि इतने पुराने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करने का मौका मिला।
ज्ञान का मंदिर
पुस्तक व पुस्तकालय के महत्व को रेखांकित करते हुए उप राष्ट्रपति ने पुस्तकालय को ज्ञान का मंदिर बताया। उन्होंने कहा कि पुस्तक पढ़कर मनुष्य को अपनी लघुता का एहसास होता है और वह ज्ञान अर्जन करने के बाद विनम्र हो जाता है। अपने पूर्ववर्ती डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि पुस्तकों के माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों को जान सकते हैं। बिना किताबों का कमरा, बिना आत्मा के शरीर जैसा होता है। पटना विवि के केंद्रीय पुस्तकालय के बारे में उन्होंने कहा कि वे अभी—अभी उसका अवलोकन कर आ रहे हैं। इतने पुराने व महत्वपूर्ण ग्रंथों को रखा गया है, यह गौरव की बात है। यह ऐतिहासिक पुस्तकालय दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी बने, ऐसा प्रयास करना चाहिए। नैशनल डिजिटल लाइब्रेरी में 60 करोड़ पुस्तकें व 15 लाख शोध पत्र हैं। इसका लाभ भी यहां के छात्रों को मिलना चाहिए।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तक को गुरु का दर्जा है। आज गूगल का जमाना है। लेकिन, गूगल की जानकारी के लिए भी गुरु की आवश्यकता होती है।
शिक्षक की भूमिका में
संबोधन के दौरान उप राष्ट्रपति शिक्षक की भूमिका में भी दिखे। उन्होंने विवि के विद्यार्थियों से खेलकूद में हिस्सा लेने, शुद्ध भोजन करने, जंक फूड से दूर रहने, योगाभ्यास करने की नसीहत दी। शिक्षक की तरह वे महत्वपूर्ण वाक्यों को दो या तीन बार बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने विभिन्नता में एकता, राष्ट्र की प्रगति में छात्रों के योगदान की चर्चा की। युवाओं से पांच चीजें हमेशा याद रखने को कहा। उन्होंने कहा कि माता, जन्मभूमि, मातृभाषा, मातृभूमि को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने बिहार के खान—पान खासकर मछली की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मातृभाषा आंख है, तो अंग्रेजत्री चश्मा है। बिना के आंख के चश्मे का कोई मोल नहीं होता। अत: मातृभाषा का प्रयोग हम सबकों अपने घरों में करना चाहिए।
अवलोकन
उप राष्ट्रपति के संबोधन के बाद उन्हें प्रतीक चिह्न के रूप में मधुबनी पेंटिंग देकर पटना विवि के कुलपति प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह ने सम्मानित किया। इस अवसर पर पटना कला व शिल्प महाविद्यालय के छात्र अमित कुमार द्वारा बनाया गया उनका तैल्य चित्र भी भेंट किया गया। इस दौरान पटना विवि के केंद्रीय पुस्तकालय पर एक स्मारिका का विमोचन और आवरण डाक टिकट भी उप राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया।
इससे पूर्व उप राष्ट्रपति पटना विवि के केंद्रीय पुस्तकालय में पुराने पांडुलिपियों, ऐतिहासिक पुस्तकों, शोध पत्रों, धर्म ग्रंथों का अवलोकन किया। समारोह के बाद वे विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में भोजन के लिए गए और वहां से आगे के कार्यक्रम के लिए प्रस्थान कर गए।
उप राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा, पटना विवि के कुलपति प्रो. आरबी सिंह आदि ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।