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चांद पर पानी की स्थिति बताएगा चंद्रयान—2, इसरो के वैज्ञानिक ने दिया व्याख्यान

पटना : काॅलेज आॅफ काॅमर्स, आर्ट्स एण्ड साइंस में बुधवार को इसरो के सेवानिवृत वैज्ञानिक प्रो. राजमल जैन ने ‘ब्रह्मांड के रहस्य’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया। प्रो. राजमल जैन चन्द्रयान—1 टीम के प्रिसिंपल इंवेस्टीगेटर तथा पूरी टीम के एक प्रमुख वैज्ञानिक थे।

Prof Rajmal Jain, former scientist, ISRO

प्रो. जैन ने अपने व्याख्यान के पहले भाग में चन्द्रयान 2 मिशन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि चन्द्रयान 2 चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, जिसका तापमान निगेटिव है। इसे डार्क जोन कहा जाता है। उन्होंने बताया कि इसका सारा उपकरण देश के अंदर विकसित किया गया है। उन्होंने इसके प्रक्षेपण और लैडिंग की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला तथा कहा कि इसके द्वारा चन्द्रमा पर दो तरह के प्रयोग किए जायेंगे। इन प्रयोगों में चन्द्रमा पर पानी कहां और किस अवस्था में है या था, इसका पता किया जायेगा। उन्होंने चाँद के बनने का सिद्धान्त भी बताया। चाँद 5 बिलियन साल पहले बना। चाँद शुरू में जब 24000 किलोमीटर दूर था, तब पृथ्वी पर जीवन नहीं था। जीवन पनपाने के लिए धीरे-धीरे दूर गया। इसलिए इसे पृथ्वी का भाई कहते हैं।

science students present at the lecture on Chandrayan 2

इन्होंने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) द्वारा विश्वविद्यालयों को स्पेस प्रोग्राम के लिए शोध हेतु सहायता प्रदान किया जाने का प्रावधान है। इन्होंने ब्रह्मांड के बनने की प्रक्रिया को भी बहुत रोचक तरीके से समझाया। डार्क मैटर, डार्क इनर्जी एवं ब्लैक होल के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। यह भी बताया कि सूर्य के परिधि में 108 पृथ्वी समा सकती हैं और भविष्य में महतम 111 पृथ्वी तक समा सकती है। इसीलिए पूजा के माला में 108 मनके होते हैं और तीन अलग से लटके रहते हैं। इस तरह के कई उदाहरणों से उन्होंने सिद्ध किया कि भारतीय वांग्मय में लिखी बातें विज्ञान से प्रमाणित हो रहीं हैं। प्रो. जैन ने अपने द्वारा अविष्कृत एक्स—रे स्प्रेक्टोमीटर की भी विस्तृत चर्चा की, जो 100 मिली सेकेंड में 256 फोटो ले सकता है।

Prof TK Shandilya, Principal, College of Commerce, Arts and Science

कार्यक्रम में उपस्थित काॅलेज आॅफ काॅमर्स, आर्ट्स एण्ड साइंस के प्राचार्य प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि इस महाविद्यालय का प्रयास है कि विज्ञान को रुचिकर अंदाज में छात्रों को बताया जाए, ताकि वे इसके सूक्ष्म सिद्धांतों को समझकर युगानुकुल अन्वेषण कर सकें। व्याख्यान के दौरान सैकड़ों की संख्या में विज्ञान संकाय की छात्र—छात्राएं उपस्थित थीं।