पटना : बिहार के पत्रकारों ने आज प्रबंधन की ओर से किए जा रहे अत्याचार से श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा को अवगत कराया। बिहार में सक्रिय बिहार प्रेस मेंस यूनियन व नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट इंडिया सहित चार विभिन्न पत्रकार यूनियनों के बैनर तले करीब 200 पत्रकारों ने श्रम संसाधन मंत्री से मिलकर प्रबंधन द्वारा किए जा रहे गैरकानूनी व अनैतिक कार्यों की जानकारी उन्हें दी। पत्रकार संघ की ओर से श्रम संसाधन मंत्री को यह जानकारी दी गई कि पत्रकारों ने जब वेज बोर्ड के अनुरूप वेतन व भत्ता देने की मांग की तब प्रबंधन ने उन्हें जबरन काम से हटा दिया। पत्रकार संघ की ओर से श्रम मंत्री को यह भी जानकारी दी गई कि बिहार के बड़े मीडिया घरानों की ओर से पत्रकारों को वेज बोर्ड के अनुसार वेतन व अन्य सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। वेज बोर्ड के अनुसार वेतन व सुविधाओं की मांग करने वाले पत्रकारों को पहले प्रताड़ित किया जाता है, इसके बाद भी वे प्रबंधन के गैरकानूनी और अनैतिक कार्यों के सामने नहीं झुकते तो उन्हें नौकरी से हटा दिया जाता है।
ज्ञात हो कि बिहार स्थित विभिन्न मीडिया कंपनियों के प्रतिनिधि आज श्रम मंत्री से मिलकर पत्रकारों द्वारा किए गए मुकदमों के संबंध में उनसे राहत की मांग करने वाले थे। लेकिन पत्रकारों को प्रबंधन के अधिकारियों के श्रम मंत्री से मिलने के कार्यक्रम की जानकारी मिल गई थी। इस जानकारी के बाद करीब दो सौ की संख्या में पीड़ित पत्रकार श्रम मंत्री के कार्यालय के समक्ष एकत्रित हो गए और मंत्री से मिलने की जिद करने लगे। मंत्री सभी पत्रकारों से मिले और उनकी बातें सुनी। श्रम मंत्री ने पत्रकारों को आश्वासन दिया कि वे किसी के साथ अन्याय ना होने देंगे। पत्रकारों की ओर से अधिवक्ता मदन तिवारी ने इस मामले की पूरी जानकारी दी। पत्रकारों का यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा है। सर्वोच्च न्यायालय ने 6 माह के अंदर में वेज बोर्ड मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार पत्रकारों का बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद अखबारों के प्रबंधन ने इस मामले को कानूनी उलझन में फसा दिया। अब यह मामला फिर से पटना उच्च न्यायालय में दर्ज कराया गया है। इस मामले में सुनवाई हो रही है। इसी बीच प्रबंधन ने सरकार के मिलकर इस मामले को लटकाने का कोई दूसरा कुचक्र रचना शुरू कर दिया। इसकी जानकारी मिलने के बाद पत्रकार संगठन सक्रिय हुए और मंत्री से मिलकर पत्रकारों का पक्ष रखा। इसके बाद पत्रकार संगठनों की बैठक हुई। इसमें बिहार वर्किंग मेंस एसोसिएशन के प्रेम कुमार ने कहा कि प्रबंधन पैसे के बल पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू नहीं कर रहा। यह न्यायालय की अवमानना का मामला है। यह देश में अराजक स्थिति पैदा करने का प्रयास है। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट इंडिया के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णकांत ओझा ने कहा कि प्रबंधन न्यायालय को चुनौती दे रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।