नयी दिल्ली : भारत की मुस्लिम महिलाओं के लिए आज के दिन को उनकी वास्तविक आजादी के तौर पर याद किया जाएगा। क्योंकि अब तीन तलाक का बिल देश में एक कानून बन गया है। लोकसभा के बाद आज मंगलवार को राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पास हो गया। राज्यसभा में आज इसे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया। चर्चा के दौरान पक्ष विपक्ष के सदस्यों ने अपनी—अपनी बात रखी। इसके बाद सभापति ने विपक्ष द्वारा पेश पांच संशोधन प्रस्तावों पर ध्वनिमत से राय ली जिसके बाद विपक्ष के संशोधनों को नामंजूर कर दिया गया। इसके बाद सभापति ने बिल पर पर्ची के द्वारा वोटिंग कराई। इससे पहले चर्चा शुरू होते ही जदयू, एआईएडीएमके और टीआरएस के सदस्यों ने बिल के विरोध में वाकआउट किया। ऐसे में इस बहुप्रतिक्षित बिल के पास होने का रास्ता साफ हो गया।
नारी गरिमा और नारी उत्थान का सवाल : रविशंकर
तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पेश करने के बाद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कुछ लोगों को बिल में कुछ खामियां लगी, उन्हें लगा इसका दुरुपयोग हो सकता है तो हमने इसमें बदलाव किए। अब इसमें बेल और समझौता का प्रावधान भी रखा गया है। इस सवाल को वोट बैंक के तराजू पर न तौला जाए, यह सवाल नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी उत्थान का सवाल है। एक तरफ हमारी बेटियां गोल्ड ला रही हैं, फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं। चांद पर चंद्रयान भेजने वाली वैज्ञानिक बन रही हैं, वहीं हम उनसे उनकी आजादी एक परंपरा के नाम पर छीन रहे हैं
क्या है बिल में प्रावधान
इस बिल में तत्काल तीन तलाक को अपराध माना गया है और ऐसा करने वाले मुस्लिम पुरुषों को सजा देने का प्रावधान किया गया है। कई विपक्षी दल इस बिल का कड़ा विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार का कहना है कि यह बिल लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में एक कदम है।
- तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना।
- तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ़्तार कर सकती है।
- तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है।
- जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा।
- पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है।
- पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है।