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आरएसएस की ‘खुफियागीरी’ पर मचा सियासी बवंडर

पटना : एनडीए कहने को तो आपसी समझ और विश्वास पर बना गठबंधन है, लेकिन सियासत में कोई किसी पर भरोसा नहीं करता। तभी तो बिहार के सीएम ने अपनी पुलिस को सहयोगी दल भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस के बारे में जानकारी जुटाने का आदेश दिया है। यह आदेश राज्य सरकार ने 28 मई को ही स्पेशल ब्रांच की खुफिया इकाई को दिया गया। अगले साल बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इससे पहले स्पेशल ब्रांच के सारे डीएसपी को एसपी ने आदेश जारी कर कहा कि वे आरएसएस पदाधिकारियों और सहयोगी संगठनों के पदाधिकारियों के बारे में पता करें कि इनके नाम, पता, पद और व्यवसाय क्या हैं?

आरएसएस खुली किताब, नीतीश आयें और खुद देख लें

इस मामले के सामने आते ही बिहार की राजनीति गरमा गई। भाजपा और आरएसएस ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तो खुद लोगों को अपने यहां आमंत्रित करता है कि आयें और देखें कि स्वयंसेवक कैसे तैयार होते हैं। यहां कुछ भी खुफिया नहीं, बल्कि यहां का मंच सबके लिए खुला होता है। फिर कैसी खुफिया जानकारी मांगी जा रही है।

लिस्ट में दिए गए गलत नाम, कई संगठन है हीं नहीं

राज्य सरकार के आदेश में आरएसएस के अलावा वीएचपी, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, हिंदू राष्ट्र सेना, धर्म जागरण समिति, राष्ट्रीय सेविका समिति, दुर्गा वाहिनी स्वदेशी जागरण मंच, शिखा भारती, भारतीय किसान संघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी व अन्य संगठनों के नाम शामिल किये गए हैं। आरएसएस के एक नेता ने स्पष्ट किया कि कई संगठनों के नाम पत्र में गलत लिखे हुए हैं। लिस्ट में कई ऐसे संगठनों के भी नाम हैं, जो वास्तव में हैं ही नहीं।

भाजपा विधायकों ने गंभीर मुद्दा बता कड़ी आपत्ति जताई

भाजपा विधायक संजय सरावगी ने कहा कि राज्य सरकार की उस मंशा की ही जांच करायी जानी चाहिए कि वह यह जानकारी क्यों जुटाना चाह रही है। जिस अधिकारी ने यह पत्र जारी किया है, उसकी जांच और उसपर कार्रवाई होनी चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा एमएलसी संजय पासवान ने कहा कि बिहार की पुलिस को राज्य सरकार द्वारा आरएसएस के लोगों के बारे में जानकारी जुटाने का आदेश देना गंभीर मुद्दा है। इस बात को भाजपा और संघ दोनों गंभीरता से ले रहे हैं। वहीं भाजपा विधायक नितिन नवीन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि मामले से वरिष्ठ पार्टीजनों को अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस खुली किताब की तरह हैं।
यहां कुछ भी खुफिया नहीं होता।

जदयू ने रूटीन मामला कहा, विद्वेष से इनकार

इधर जदयू ने इसे रूटीन मामला बताते हुए कहा कि राज्य सरकार ऐसी सूचनाएं हर वर्ष जुटाती है। इसमें किसी संगठन विशेष को टार्गेट करने जैसी कोई बात नहीं है। केसी त्यागी ने इसे रूटीन मामला बताया। जदयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि इसमें कुछ भी विद्वेषपूर्ण नहीं है।