सिक्कों के भार से कराह रहे मीडिया हाउस, पहुंचे उपमुख्यमंत्री की शरण में

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पटना : बड़े-बड़ों की हेंकड़ी निकाल देने वाले बिहार के मीडिया हाउस इस समय सिक्कों के बोझ से इतने बेचैन हो उठे हैं कि वे बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री से गुहार लगाने पहुंच गए। ऊपर से तो यह समस्या उतनी गंभीर नहीं लगती, लेकिन जब आप इस समस्या के बारे में विस्तार से जानेंगे तो चौंक उठेंगे।

किसी के पास 55 तो किसी के पास 70 लाख के सिक्के

दरअसल, बिहार में अखबार प्रकाशित करने वाले सभी बड़े मीडिया हाउस के पास सिक्कों का बड़ा भंडार जमा हो गया है। किसी के पास 55 लाख तो किसी के पास 70 लाख। सिक्कों के इतने बड़े ढेर को संभालना अब इनके बस की बात नहीं। आप सोचते होंगे कि इनके पास इतने ज्यादा सिक्के कैसे एकत्रित हो गए। तो सुनिए। अखबार के स्थायी ग्राहकों के साथ ही खुदरा क्रेता भी होते हैं जो बस अड्डे, रेलवे स्टेशन या अन्य स्थानों से अखबार खरीदते हैं। ये हॉकर को खुदरा सिक्के ही देते हैं। ग्राहकों से मिलने वाले खुदरा पैसे हॉकर अपने पेपर एजेंट के पास जमा करता है।

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ग्राहकों ने हॉकरों से की पेपर की खरीद तो दिये सिक्के

पेपर एजेंट सिक्कों के रूप में प्राप्त राशि को लेने के लिए अखबार प्रबंधन को मजबूर करने लगे। अखबार प्रबंधन जब बैकों में सिक्के जमा करने पहुंचे तब बैंकों ने उतनी बड़ी राशि सिक्कों के रूप में लेने से इनकार कर दियां। इस प्रकार अखबार वालों के पास सिक्के एकत्रित होते होंते 50-60 लाख तक पहुंच गए। पटना के बैकों का कहना है कि उनके पास सिक्को को रखने एवं बल्क में गिनती कराने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके कारण वे इसे स्वीकार नहीं कर सकते।

डिप्टी सीएम ने दिया समस्या समाधान का निर्देश

इसके बाद अखबार वाले राज्य के उपमुख्यमंत्री व वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी से मिले और उनसे इस समस्या का समाधान करने की मांग की। उपमुख्यमंत्री ने स्टेट बैंक के सीजीएम महेश गोयल को इस समस्या का शिघ्र समाधान कराने का निर्देश दिया। स्टेट बैंक के अधिकारी ने बताया कि इस समस्या का समाधान रिजर्व बैंक के स्तर से ही संभव है। इसके बाद उपमुख्यमंत्री ने रिजर्व बैंक के रिजनल डायरेक्टर शंकर सुमन को तलब किया और इस समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया।

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