डॉक्टर व दवा से बचना है, तो जरूर करें ये योगासन

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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पाँचवी कड़ी में भी लोगों में उतना ही उत्साह देखने को मिल रहा है, जितना प्रधानमंत्री मोदी के भारत मे जन्मे योग के त्यौहार को पहली बार मनाने की घोषणा पर मिला था।
21 जून, एक ऐसा दिन जब केवल भारत ही नहीं समूचा विश्व एकजुट होकर “योग” के साथ-साथ एक दूसरे से भी जुड़ता है।
जब पूरी दुनिया आज की भागदौड़ में भी योग के महत्व को समझ इसे जीवन में तवज्जो दे रही है, तो आईए जानते हैं किन मुख्य योगासनों को प्रतिदिन करने से मानव शरीर शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है –

1. सूर्य नमस्कार – 12 आसनों के संगम से बने सूर्य नमस्कार को खाली पेट, उगते सूर्य की उपस्थिति में करने से सम्पूर्ण शरीर स्वस्थ रहता है, साथ ही साथ आँखों की रौशनी भी बनी रहती है।

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इन 12 आसनों का क्रम कुछ इस प्रकार है –
प्रणामासन, हस्तउत्तनासन, हस्तपादासन, अश्व संचलानासन, दंडासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन, अधो मुखा स्वानासन, अश्व संचालानासन, हस्तपादासन, हस्तउत्तनासन एवं अंत में ताड़ासन। चूँकि इन आसनों से सम्पूर्ण शरीर में खिंचाव होता है इसलिए सूर्य नमस्कार को अपने आप में ही सम्पूर्ण योगासन माना गया है।

2. अनुलोम-विलोम – पूरक (साँस लेने की प्रक्रिया), कुम्भक (साँस रोकने की प्रक्रिया) और रेचक (साँस छोड़ने की प्रक्रिया) पर आधारित इस प्राणायाम को किसी भी वक्त खाली पेट किया जा सकता है। अनुलोम का अर्थ होता है ‘सीधा’ यानी नासिका का दायां छिद्र और विलोम का अर्थ होता है ‘उल्टा’ यानी नासिका का बायां छिद्र। इस प्राणायाम को नियमित रूप से करने पर शरीर निरोग रहता है तथा वृद्धवस्था में भी जोड़ों की शिकायत नहीं रहती।

3. भ्रामरी प्राणायाम – इस मुद्रा को छात्र-छात्राओं को मुख्य रूप से अभ्यास करने की सलाह दी जाती है ताकि उनकी एकाग्रता बनी रहे। मुख से ‘ऊँ’ के उच्चारण की गूँज से मस्तिष्क की तंत्रिकाएँ सक्रिय होती हैं जो कि बच्चों के मानसिक विकास में भी असरकारी है।

4. शवासन – इस आसन का नामकरण को किसी शव को ही दृष्टि में रख कर किया गया है। पूरे शरीर को शव के समान ढ़ीला छोड़ना ही इस आसन की मुद्रा है। शवासन को पूरे योगासनों के अभ्यास के बाद करना ही उचित समझा जाता है ताकि शरीर से जितनी भी ऊर्जा का संचार व क्षय हुआ है वह शरीर के लाभ में कार्य करे।

योगासन को आज की तारीख में किसी दवाईयों से कमतर नहीं आँक सकते। भारत में योग को पुनर्जीवित करने वाले बाबा रामदेव ने स्वयं अपने लकवे की बीमारी को योग के नित्य अभ्यास से लगभग ठीक कर लिया था। यहीं नहीं आम लोगों को भी इसकी महत्ता इसके अभ्यास से पता चल रही है। किसी ने अपनी चीनी को इससे नियंत्रित किया है तो किसी ने योगासन से वज़न कम कर स्वस्थ जीवन की ओर रूख किया है पर इसके बढ़ते प्रसार से लोगों में कई अफवाहें भी फैली हैं। जैसे कुछ लोगों को लगता है कि वजन कम करने के लिए शरीर मे योग करते हुए अत्यधिक खिंचाव करना ज़रूरी है जबकि ऐसा करना सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। ऐसे ही भागलपुर की रहने वाली नूतन देवी को कुछ समय से रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत हुई, सबके आश्चर्य का कारण बना गलत तरीके से योग का अभ्यास। इसलिए योग की पूरी जानकारी होना आज इसके अभ्यास से पहले ज़रूरी है।
यही नहीं, दिल के मरीज़ों को शरीर को थकाने वाले योगासनों से बचना चाहिए।
लोगों में ये अफवाह भी है कि मुसलमान बंधु योग का विरोध बस इसलिए कर रहें हैं] क्योंकि उन्हें भी मंत्रों का उच्चारण करने के लिए दवाब दिया जाएगा। योग सृष्टि से आत्मा का जुड़ाव है, यह किसी सम्प्रदाय के विरोध की सराहना नहीं करता।
21 जून को हर वर्ष होने वाले योग दिवस में करोड़ों की संख्या में एक साथ योग प्रेमियों का रैला अलग-अलग स्थानों में जुटेगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में इसे संयुक्त राष्ट्र संघ के समक्ष पेश किया था और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहर्ष मंज़ूरी मिली।
(भूमिका किरण)

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