पटना: केंद्र और राज्य सरकारों ने सवर्ण आरक्षण विधेयक को सदन में तो पारित करा दिया पर कई विश्वविद्यालयों में इसे लागू करने को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पटना विश्वविद्यालय में जहां इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के दिशा निर्देश जारी किये गए, वहीं विवि ने इससे पहले ही इस वर्ष के नामांकन का आधा काम निपटा लिया। इंट्रेंस टेस्ट भी ले लिया गया। अब सिर्फ रिजल्ट निकलना बाकी है। ऐसे में छात्रों के बीच भ्रम की स्थिति बन गई है कि अब क्या फिर से फार्म भरना होगा? क्या फिर इंट्रेंस परीक्षा देनी होगी?
हो चुकी इंट्रेंस परीक्षा, रिजल्ट निकलना बाकी
पटना विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस वर्ष के बीए, बीएसी आदि में नामांकन को लेकर छात्रों में फैल रही भ्रम की स्थिति को साफ करते हुए यह आश्वाशन दिया कि विवि पोर्टल पर फॉर्म में एक अन्य ऑप्शन जोड़ा जायेगा। इसमें सवर्ण आरक्षण का विकल्प होगा। इसके बाद उसी हिसाब से रिजल्ट निकला जायेगा। ऐसे में कई प्रवेश परीक्षाओं की तिथि को बढ़ाया भी जा सकता है। फिलहाल विश्वविद्यालय अन्य आरक्षण प्रावधानों पर भी विचार कर रहा है जिसके बाद आरक्षित और अनारक्षित सीटें तय की जाएँगी। विश्वविद्यालय ने हालांकि सीटों को बढ़ाने के फैसले पर कोई हामी नहीं भरी है।
एडमिशन के इच्छुक छात्रों में भ्रम की स्थिति
स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय के ताजा आश्वासन से इंट्रेंस टेस्ट दे चुके परीक्षार्थियों के सामने ये समस्या उत्पन्न होगी कि शायद उन्हें एक बार फिर से फॉर्म भरना होगा। ऐसे में अगर सेशन देर से शुरू होता है तो ये विश्वविद्यालय के अकादमिक कैलेंडर को प्रभावित कर सकता है।
मालूम हो कि विश्वविद्यालय ने जल्दबाजी के कारण इस वर्ष के नामांकन में सवर्ण आरक्षण के प्रावधानों को दरकिनार कर दिया था। लेकिन एक प्रतिष्ठित समाचार पात्र के वरीय संवाददाता चन्दन द्विवेदी के रिपोर्ट ने विश्वविद्यालय को दोबारा से इस पर विचार करने को बाध्य किया। दरअसल, विश्वविद्यालय प्रशासन ने दलील दी की शिक्षा विभाग की ओर से कोई भी नोटिफिकेशन नहीं जारी किया गया कि 10 फ़ीसदी सवर्ण आरक्षण को इसी वर्ष जगह दिया जाए। इसके बाद संवाददाता ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन से संपर्क किया। उन्होंने मामले पर जांच कर आगे अपडेट देने की बात कही। तब तक विश्वविद्यालय ने राजभवन में इस मुद्दे पर ज्ञापन सौंप दिया। राजभवन की ओर से प्रस्ताव पास कर दिया गया कि इसे लागू किया जाए।
सवर्ण आरक्षण लागू करने को रोके गए रिजल्ट
राजभवन से अनुमति मिलने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसी वर्ष इसे लागू करने की योजना बनाई। हालांकि तब तक कुछ देर हो चुकी थी। विश्वविद्यालय तब तक सभी 11 कॉलेजों में अलग-अलग पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने लग गया था। कुछ के रिजल्ट भी तैयार हो गए थे, जिन्हें रोक दिया गया ताकि आरक्षण के आधार को भी शामिल कर लिया जाए। नामांकन में 10 फ़ीसदी सवर्ण आरक्षण को शामिल करने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को विश्वविद्यालय के पोर्टल पर एक अन्य विकल्प भी रखना होगा। अन्य विकल्प के रूप में आर्थिक आधार पर आरक्षण को रखा जायेगा।
अन्य विश्वविद्यालयों में पटना पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने हालांकि अपने नामांकन फॉर्म में इसे जोड़ा जरूर था, पर इसे लागू करने की योजना पर कुछ विशेष सूचना जारी नहीं की गई थी। पटना विश्वविद्यालय में इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के बाद बिहार के अन्य विश्वविद्यालयों में भी इसका रोडमैप तैयार किया जाने लगा है।
सत्यम दुबे