पटना : इलेक्शन मैनेजमेंट के मास्टर और जदयू के उपाध्यक्ष पीके अब बिहार में चुप ही रहेंगे। इसकी वजहें भी हैं। पहली तो यह कि उन्होंने प. बंगाल में ममता दीदी का आंचल थाम उन्हें सहारा देने का निर्णय कर लिया है। और दूसरी वजह यह कि हाल ही में जब उन्होंने बयान दिया कि-वे मुख्यमंत्री बनाते हैं। तब पार्टी पदाधिकारियों ने उन्हें तरह—तरह की खरी-खोटी सुनायी।
जदयू प्रवक्ता तथा सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री नीरज कुमार ने उन्हें चुप रहने की नसीहत देते हुए यहां तक कह डाला कि उनके बनाने से कोई बनता नहीं है।
वैसे कार्यकारिणी की बैठक में उनकी कुर्सी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ठीक बगल में थी। पर, प्रशांत ने चुप रहना ही बेहतर समझा। उनकी इलेक्शन कंपनी के बारे में केसी त्यागी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनकी कंपनी स्वतंत्र है। कहीं काम करने के लिए। उससे पार्टी का कोई लेनादेना नहीं।
आज उम्मीद की जा रही थी कि वे कार्यकारिणी की बैठक में ममता दीदी से नये एग्रीमेंट तथा पार्टी के संबंध में कुछ बोलेंगे। पर, उन्होंने चुप रहना ही बेहतर समझा। पत्रकारों से बराबर कट कर रहने वाले पीके आज भी मीटींग समाप्त होते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पीछे-पीछे चलते हुए अपनी गाड़ी में जा बैठै।
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