नयी दिल्ली : यूपी में बुआ और बबुआ का गठबंधन खत्म हो गया है। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद आज नयी दिल्ली में हुई बीएसपी की बैठक में मायावती ने हार के कारणों की समीक्षा करने के बाद कहा कि इस गठबंधन से यूपी में बसपा को कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यूपी में यादवों का वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं हुआ। जाटों ने भी बहुजन समाज पार्टी को वोट नहीं दिये। इसके बाद मायावती ने यूपी में होने वाले आगामी विधानसभा उपचुनावों में अकेले लड़ने की घोषणा कर दी।
यहां गौर करने वाली बात है कि जहां 2014 के चुनाव में मायावती की बसपा को एक भी सीट पर जीत नहीं हासिल हुई थी। जबकि 2019 के चुनाव में गठबंधन करके लड़ने पर उन्हें 10 सीट हासिल हुइ। यानी इसबार सीधे 10 सीट का फायदा। लेकिन फिर भी मायावाती ने गठबंधन से अलग होते हुए कहा कि शिवपाल यादव ने यादवों का वोट काट दिया। जितनी सीटें गठबंधन को जीतनी चाहिए थी, उतनी नहीं मिली। यह धोखा नहीं तो और क्या है। मालूम हो कि हाल के चुनावों में बीएसपी केवल 10 सीटों पर ही जीत सकी जबकि एसपी को केवल 5 सीटें मिलीं। बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन ने 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी। आज की समीक्षा बैठक में मायावाती गठबंधन से बिल्कुल नाखुश दिखीं। मायावती द्वारा आगामी समय में उपचुनाव अकेले लड़ने के ऐलान ने विपक्षी एकता की हवा निकाल दी है।