पटना : नीतीश कुमार ने आज अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। इस विस्तार को जदयू का विस्तार भी कहा जा सकता है, क्योंकि सभी 8 मंत्री पद जदयू ने अपने पास ही रखे। न तो भाजपा को कोई मंत्री पद मिला, न लोजपा को। नीतीश कुमार ने अपने सभी करीबियों और आगामी विधानसभा समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही यह मंत्रीमंडल विस्तार किया। आइए जानते हैं नीतीश के नए मंत्रियों और उनको मंत्री बनाए जाने के पीछे की वजह के बारे में।
दलित चेहरा अशोक चौधरी, सवर्ण खाते में संजय झा
कांग्रेस से जदयू में शामिल हुए अशोक कुमार चौधरी को भवन निर्माण मंत्रालय दिया गया है। अशोक चौधरी बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और साथ ही महागठबंधन की सरकार में कांग्रेस कोटे से शिक्षा मंत्री भी। दलित वोटरों पर अच्छी पकड़ रखने वाले अशोक चौधरी आगामी विधानसाभा चुनाव में महती भूमिका निभा सकने में सक्षम हैं। वहीं नीतीश कुमार के नए करीबियों में शामिल होने वाले संजय झा को जल संसाधन मंत्रालय का पदभार सौंपा गया है। संजय झा 2019 लोकसभा चुनाव में दरभंगा सीट से लड़ने का मूड बना चुके थे। पर यह सीट भाजपा के खाते में चले जाने से ख्वाब अधूरे ही रह गए। एक दिलचस्प बात यह भी है कि संजय झा ने पहले मंत्री पद की शपथ ली, अभी विधान पार्षद पद की शपथ वे कल यानी सोमवार को लेंगे।
श्याम की वापसी, बीमा के बहाने मंडल वोटरों पर नजर
लम्बे समय तक गंभीर बीमारी से जूझ कर आये श्याम रजक की भी उधोग मंत्री के रूप में धमाकेदार वापसी हुई। श्याम रजक शुरूआती दिनों में राजद में मंत्री रहे फिर जदयू में भी मंत्री पद संभाला। हालाँकि महागठबंधन की सरकार में लालू यादव के ऐतराज के बाद इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। बिहार में दलितों के बड़े नेता पर नीतीश कुमार ने फिर भरोसा जताया है। एनडीए सरकार में बिहार से जदयू की ओर से बीमा भारती को एकमात्र महिला नेत्री के रूप में गन्ना मंत्रालय का पदभार सौंपा गया है। रुपौली विधानसभा से जीत कर आईं बीमा भारती नीतीश के पहले कार्यकाल में भी मंत्री रह चुकी हैं और मंडल वोटरों पर अपनी मजबूत पकड़ का फायदा नीतीश कुमार को दिला सकने में सक्षम हैं।
लालू के गढ़ में जदयू का झंडा बुलंद करने वाले रामसेवक
नीतीश कैबिनेट में लालू के गढ़ में जदयू का झंडा बुलंद करने वाले हथुआ विधायक रामसेवक सिंह को समाज कल्याण मंत्री बनाया गया है। कुशवाहा वोटरों पर नीतीश की नजर को अमली जामा पहनाने का काम सारण के हथुआ विधायक रामसेवक सिंह के कंधों पर भी आ पड़ा है। रामसेवक सिंह इससे पहले जदयू के सचेतक भी रह चुके हैं। वहीं मधुबनी लोकसभा क्षेत्र के लौकहा विधायक लक्ष्मेश्वर राय को आपदा प्रबंधन मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। लक्ष्मेश्वर राय, लोकसभा चुनाव के दौरान भी नीतीश कुमार को पीएम मटेरियल बताने से नहीं चुके। अब नीतीश ने भी इनपर भरोसा जताने में कोई चूक नहीं की। इससे पहले लक्ष्मेश्वर राय पार्टी के अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं जिसके बाद इनकी जमीनी पकड़ काफी मजबूत भी हुई है। नीतीश कैबिनेट में कानून मंत्री बने आलमनगर विधायक नरेन्द्र नारायण यादव शरद यादव के करीबी माने जाते हैं। मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में यादव वोटरों की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में इन वोटरों को जदयू की ओर मोड़ने में काफी सहायक हो सकते हैं।
साफ है कि लोकसभा चुनावों के पटाक्षेप के बाद अब नीतीश कुमार के सामने बड़ा टास्क अगले वर्ष की आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव ही हैं। इस चुनाव को देखते हुए नीतीश सरकार का यह आखिरी कैबिनेट विस्तार माना जा रहा है। ऐसे में जिन्हेें भी नीतीश की टीम में मौका मिला है, उसके पीछे उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि, जातीय पकड़ और सांगठनिक कुशलता का पूरा ध्यान रखा गया है। इन्हीं सब आधारों को दृष्टिगत रखते हुए जदयू अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आज का कैबिनेट विस्तार किया है।
सत्यम दुबे