नयी दिल्ली : प्रचंड बहुमत से जीत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जो सबसे बड़ा फैसला किया वह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गृहमंत्री बनाया जाना है। श्री शाह ने कल पदभार संभालने के साथ ही इसके संकेत भी दे दिये। अपने दोनों राज्य मंत्रियों—नित्यानंद राय और किशन रेड्डी के साथ अपने कार्यालय पहुंचकर उन्होंने यह साफ कर दिया कि आने वाले समय में देश को कठोर फैसले लेने होंगे तो इसमें वे थोड़ा भी गुरेज नहीं करेंगे। उनके राज्य मंत्रियों में नित्यानंद को उनका काफी करीबी और भरोसेमंद माना जा रहा है, तो दूसरे राज्य मंत्री किशन रेड्डी आरएसएस के दिनों के श्री नरेंद्र मोदी के साथी बताए जाते हैं। आइए टीम मोदी में टीम शाह को शामिल करने के पीछे क्या मकसद है।
ताकतवर अमित शाह ज्यादा इफेक्टिव
पिछली सरकार में गृहमंत्री रहे राजनाथ सिंह को ईमानदार और सुलझा हुआ तो माना जाता है, लेकिन जहां कठोर फैसले लेने की बारी आएगी वहां अमित शाह उनसे ज्यादा इफेक्टिव हो सकते हैं। नित्यनंद राय और किशन रेड्डी के रूप में उन्हें दो भरोसेमंद राज्य मंत्रियों का बल भी मिलेगा। श्री शाह के सामने सबसे बड़ी चुनौती कश्मीर में धारा 370 और 35 ए को हटाने की है। चुनाव कैंपेन के दौरान अमित शाह ने अपने भाषणों में इसकी खुलेआम मंच से घोषणा भी की थी। ऐसे में भारत के गृहमंत्री को ताकतवर होना ही चाहिए जो कड़े फैसले कर सके और वही भी सुझबूझ के साथ।
वरिष्ठता के लिहाज से राजनाथ अभी भी नंबर 2
अमूमन गृह मंत्रालय सरकार में नंबर दो की हैसियत वाले मंत्री को दिया जाता रहा है। अटल जी की सरकार में लालकृष्ण आडवाणी गृहमंत्री रहे। मुरली मनोहर जोशी को भी 13 दिन की सरकार में यह जिम्मा दिया गया था। यदि वरिष्ठता क्रम से देखें तो आज भी राजनाथ सिंह मंत्रियों की वरिष्ठता सूची में नंबर दो पर हैं।
दूसरी पारी में कुछ कर दिखाने की चुनौती
अभी तक मोदी-शाह के तालमेल ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। इस जोड़ी ने सफलतापूर्वक भाजपा का विस्तार समूचे देश में किया। मोदी सरकार को अपनी दूसरी पारी में अब देश के सामने कुछ कर दिखाने की चुनौती है। ऐसे में धारा 370, 35 ए जैसे वैचारिक रूप से भाजपा व संघ के अहम मुद्दों पर कुछ ठोस पहल किया जाना अपेक्षित है। साफ है कि शाह के गृहमंत्रालय में आने के बाद इन मुद्दों पर सरकार कठोर रुख अपनाने की मंशा रखती है।