पटना : पीएम मोदी के शपथग्रहण समारोह से पटना लौटे नीतीश कुमार ने एयरपोर्ट से निकलते—निकलते जो कहा, उससे यह जाहिर हो गया कि जहां जेडीयू में ही कई शेर हैं जो मंत्रीपद की चाहत रखते हैं, वहीं सीएम की टिप्पणी से भाजपा को लेकर उनकी तल्खी भी उजागर हो गयी। नीतीश ने कहा कि भाजपा केवल सांकेतिक प्रतिनिधित्व देना चाह रही थी। लेकिन हमारी इसमें दिलचस्पी नहीं। हमने कुछ नहीं मांगा। एनडीए में बने रहने के सवाल पर नीतीश ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हमें कुछ नहीं चाहिए। हम ऐसे ही सरकार के साथ हैं। वहीं उन्होंने अटल बिहारी बाजपेयी सरकार का उदाहरण देते हुए उनके द्वारा अपनाए फार्मूले को सराहा तथा कहा कि इसबार भी वही फार्मूला अपनाना चाहिए था।
क्या था अटल जी का फार्मूला
नीतीश ने पहले ही दिल्ली में साफ कर दिया था कि भाजपा की तरफ से 1 मंत्रीपद का ऑफर था जिसपर जदयू नेताओं की बैठक में सहमति नहीं बनी। लेकिन पटना लौटे नीतीश कुमार ने अटल जी का जिक्र करते हुए यह कहा कि सीटों के अनुपात में सहयोगी दलों को मंत्री पद मिलना चाहिए था। अटल जी का यही फार्मूला था। साफ है कि नीतीश कुमार के इस बयान में उनका दर्द छलक उठा है। नीतीश ने कहा कि नई सरकार में सभी एनडीए घटक दलों को 1-1 सीट देने की बात कही गई। भाजपा के ऑफर पर जेडीयू की कोर टीम से बात की गयी और निर्णय लिया गया कि केंद्र में सांकेतिक भागीदारी की कोई जरूरत नहीं है। भागीदारी सही अनुपात में होनी चाहिए। नीतीश ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि अटलजी के कार्यकाल में भी हम साथ थे। सीट के हिसाब से मंत्री पद मिला था। गठबंधन सरकार में ऐसा ही होता है। उनके समय तो मंत्रिमंडल में शामिल होने से पहले ही मंत्रालय पर चर्चा कर ली जाती थी। उचित अनुपात में सभी पार्टियों को प्रतिनिधत्व मिलना चाहिए।
हालांकि मोदी 2.0 कैबिनेट में एक भी सीट नहीं मिलने के बाद भी नीतीश ने यह भी स्पष्ट किया कि वह भाजपा और एनडीए के साथ मजबूती से बने रहेंगे।
केसी त्यागी ने नाराजगी को किया खारिज
इसबीच जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने एक चैनल से बातचीत में एनडीए में असंतोष को खारिज करते हुए कहा कि ज्यादा मंत्री पद पर अड़ने की बात गलत है। जदयू की तरफ से किसी का भी नाम नहीं दिया गया था। केवल नाम मात्र के लिए ही सांकेतिक प्रतनिधित्व मंजूर नहीं है। भाजपा से कोई नाराजगी नहीं है, हम उनके साथ बने रहेंगे।