पटना; दीक्षांत समारोह की परम्परा बिहार में ख़त्म हो गई थी। लेकिन अब बदलाव आ रहा है, जब भारत विश्व गुरु था। आज भारत बदल रहा है। शिक्षा और रोजगार की कोई कमी नहीं है। फिर भी हम अपने लक्ष्य को क्यों नहीं पा रहे है। देश और समाज में जो योगदान है, उसमें पटना विश्वविधालय का नाम रहा है। ये तमाम बाते पटना विश्वविधालय के वार्षिक दीक्षांत समारोह में बिहार के राज्यपाल लाल जी टंडन ने कही।
इस मौके पर मौजूद बिहार के शिक्षामंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा ने छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जो कुछ यहां से आप सीखें उसे अपने जीवन में उतारें और विश्विद्यालय का नाम रौशन करें। उन्होंने कहा कि महामहिम के आने के बाद पीयू में शिक्षा में गुणवत्ता और अनुशासन दोनों देखने को मिल रहा है। बिहार में शिक्षा व्यवस्था में बदलाव दिख रही है। छात्र और शिक्षा के हित में बिहार सरकार आप के साथ है। भारत का विश्व गुरु के रूप में गौरवशाली अतीत रहा है। वहां पहुंचने की कोशिश फिर से की जा रही है। साथ ही आप सब का सहयोग चाहते है।
इस समारोह के मुख्य अतिथि ब्रज बिहारी कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि शिक्षा ही समस्या बन गई है। लेकिन रास्ता भी शिक्षा के माध्यम से ही निकलता है। जीवन के दो दृष्टिकोण है। अपनी समस्या और समाज की समस्या आप को सुलझानें की प्रयास करें ताकि अपनी और आने वाली पीढ़ी के लिए उज्जवल भविष्य बना सके। इस मौके पर पटना विश्वविधालय के कुलपति प्रो डॉ रास बिहारी प्रसाद सिंह ने छात्र-छात्रों को सम्बोधन करते हुए कहां कि वर्ष 2019 में मात्र पांच महीने के अंदर हम दूसरा दीक्षांत समारोह आयोजित कर रहे है। शिक्षकों की कमी हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। इस दिशा में कार्य करते हुए, 95 अंशकालिक शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश दे दिया गया है। इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी । इन शिक्षकों के आने से नये सत्र में शिक्षकों की कमी की समस्या काफी हद तक निजात मिलेगी। इस प्रक्रिया के अंतरगर्त हमने सेल्फ फाइनेंस कोर्स के लिए रेगुलर टेम्पररी टीचर की बहाली का निर्णय लिया गया है। शोध कार्य को विश्वनीय बनाने के लिए इस वर्ष तीन महत्वपूर्ण कार्य प्रारंभ किया गया है। सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन फैसिलिटी जून से करने लगेगी। यह विज्ञान के क्षेत्र में अंतर-विषयक शोध की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बिहार सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध केंद्र तथा बिहार राज्य आपदा प्रबंधक प्राधिकरण सहयोग से भूकम्पीय तरंगों के रिकॉर्ड और विश्लेषण केंद्र स्थापना होने जा रहा है। उन्होंने कहां कि 21 वीं सदी का भारत कैसा हो, इसमें आपकी भूमिका क्या हो,इसके निर्णय की क्षमता आपके ऊपर ठीक वैसे ही छोड़ता हूं जैसे महाभारत युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने अपने सखा पार्थ को निर्णय हेतु छोड़ दिया था।
इस मौके पर बिहार के राज्यपाल लाल जी टंडन, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष डॉ ब्रज बिहारी कुमार, शिक्षामंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा, विविध विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं प्रतिकुलपति, पटना विश्वविधालय की प्रतिकुलपति प्रो डॉली सिन्हा, अभिषद, अनुषाद, अकादमी कौंसिल तथा वित् समिति के सदस्य,पटना विश्वविधालय के सभी संकायों के संकायध्यक्षक, विभागाध्यक्ष, प्राचार्य, शिक्षक आमंत्रित अतिथि मौजूद रहे । पटना विश्वविधालय के वित्त परामर्शी सि आर दिग्वाल,प्रो एन के झा, डॉ रजनीश मनोज मिश्रा, विश्वविद्यालयों के परीक्षा नियंत्रक, वित्त पदाधिकारी,विकास पदाधिकारी राजसभा एवं शिक्षा विभाग के पदाधिकारी, उपाधि ग्रहण करने वाले विधार्थी एवं उनके अभिभावक मौजूद थे।
वंदना कुमारी