पटना : बिहार की सबसे हॉटसीट बेगूसराय पर पूरे देश की नजर थी। टुकड़े—टुकड़े गैंग के सरगना जेएनयू ब्रांड कन्हैया कुमार यहां से चुनाव लड़ रहे थे। देशभर के तमाम वामपंथी सोच वाले लेखक, फिल्मकार आदि उनके लिए यहां कैंपेन करने पहुंचे। उनका मुकाबला भाजपा के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह से था। लेकिन तमाम तामझाम और मीडिया हाइप के बीच जनता ने कन्हैया को बिल्कुल ही नकार दिया। आइए जानते हैं कि बेगूसराय की जनता ने किस मोड में वहां वोटिंग की।
काम न आई जावेद अख्तर, स्वरा भास्कर की तिकड़म
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पौत्र और सिमरिया निवासी अरविंद दिनकर के अनुसार वामपंथ के नए चेहरे के रूप में उभर रहे कन्हैया कुमार की लुटिया उनके इन्हीं साथियों ने डुबोई। बेगूसराय में भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह से मुकाबले की बातें राष्ट्रीय स्तर तक तैर रही थी। चुनाव परिणाम आते ही यह साफ हो गया कि वहां सारी बातें हवा हवाई ही थी। गिरिराज सिंह ने कन्हैया कुमार को तकरीबन 4 लाख 20 हजार वोटों से पराजित किया। यह बहुत बड़ा मार्जिन है।
सोशल मीडिया पर जमे रहे कन्हैया, राष्ट्रवाद ने दिया झटका
बेगूसराय में शुरूआती समीकरण भी कभी कन्हैया कुमार के पक्ष में नहीं दिखे। इसके बावजूद मीडिया में कन्हैया कुमार की कड़ी टक्कर की खबरें ट्रेंड करती रही। दरअसल, बेगूसराय में तकरीबन 5 लाख वोटर भूमिहार थे जो कन्हैया कुमार की देश-विरोधी छवि से उनसे नाराज चल रहे थे। इसके अलावा बेगूसराय की लड़ाई राष्ट्रवाद बनाम देशद्रोह वाली हो गई थी। जहां एक ओर भाजपा उम्मीदवार गिरिराज सिंह राष्ट्रवादी खेमे के अलंबरदार की भूमिका में थे, वहीं महागठबंधन उम्मीदवार तनवीर हसन को पछाड़ दूसरे नंबर पर रहे भाकपा के उम्मीदवार कन्हैया कुमार टुकड़े—टुकड़े छवि से जूझते रहे।
दूसरे नंबर पर आकर तेजस्वी को गलत साबित किया
बेगूसराय को बिहार का लेनिनग्राद कहा जाता है। यहां तकरीबन सवा लाख वामपंथ के निश्चित वोटर माने जाते हैं। इनके और कुछ मुस्लिम वोटों के चलते महागठबंधन के पिछले वर्ष के रनर अप रहे प्रत्याशी तनवीर हसन को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। कन्हैया कुमार ने राजद उम्मीदवार के मुस्लिम वोटरों में सेंध मारी और उन्हें दौड़ से बहार उखाड़ फेंका। लेकिन जब बात राष्ट्रवाद की आई तो कन्हैया को भी अपनी औकात पता चल गयी। बेगूसराय में फिल्मी सितारों से लेकर बड़े-बड़े मीडिया का भी बड़ा बाज़ार लगा था। चुनाव के परिणाम और गिरिराज सिंह की इतनी बड़ी जीत का अंदाज़ा किसी को नहीं था। खैर जो भी हो, कन्हैया कुमार ने बिहार में महागठबंधन उम्मीदवार को चैलेंज कर खुद को सही और राजद सर्वेसर्वा तेजस्वी यादव को तो गलत साबित करा ही दिया। युवा नेता के रूप में तेजस्वी यादव के सामने कम से कम अब एक विकल्प जरूर आ गया है।
सत्यम दुबे