क्या है जगह—जगह ईवीएम मिलने का सच? बहाने क्यों ढूंढ रहा विपक्ष?

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पटना : लोकसभा चुनाव के ख़ात्मे के बाद जबसे एग्जिट पोल के नतीजे आने शुरू हुए देशभर से इन नतीजों के समानांतर ही ईवीएम के साथ छेड़छाड़ और घपलेबाजी की खबरें भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं। विपक्षी नेताओं ने भी ऐसी खबरों को शेयर करने में बढ़—चढ़कर हिस्सा लिया। जगह-जगह ईवीएम मशीन मिलने की अफवाहें भी उड़ीं। बिहार के सारण, हाजीपुर समेत चंदौली, गाजीपुर आदि कई जगहों पर इसे लेकर अफवाहों का बाजार गर्म रहा। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रशासन दबाव में आकर ईवीएम बदलने की साज़िश रच रहा है। आइए जानते हैं कि ईवीएम और वीवीपैट से भरे ट्रकों से संबंधित सोशल मीडिया पर दी जा रही जानकारी का सच क्या है?

सोशल मीडिया पर ईवीएम को लेकर मचे बवाल की शुरुआत तब हुई जब इस बारे में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेत्री राबड़ी देवी ने ट्वीट किया कि ईवीएम मशीन से भरे हुए ट्रक पकड़े जा रहे हैं। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि देशभर के स्ट्रॉंग रूम के आसपास ईवीएम की बरामदगी हो रही है। ट्रकों और निजी वाहनों में ईवीएम पकड़ी जा रही हैं। ये कहाँ से आ रही है, कहां जा रही हैं? कब, क्यों, कौन और किसलिए इन्हें ले जा रहा है? क्या यह पूर्व निर्धारित प्रक्रिया का हिस्सा है? चुनाव आयोग को स्पष्ट करना चाहिए।

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सारण और हाजीपुर में भी ईवीएम मिलने की खबर मिली। इस पर सारण के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि 20 और 22 मई को कांउटिंग को लेकर ट्रेनिग होना तय है। इसके लिए ही वेयरहाउस में रखी रिजर्व ईवीएम निकाली गई थी। जबकि जिन ईवीएम पर वोट डाले गए वो इंजीनयरिंग कालेज के स्ट्रॉंग रूम में हैं। स्ट्रॉंग रूम वेयरहाउस से डेढ़ किलोमीटर दूर है। दोनों ही जगह सीसीटीवी लगा हुआ है और खुद राजद का चुनावी एजेंट किसी तरह की गड़बड़ी से इंकार कर रहा है।
मतलब साफ है कि राजनीतिक दल सिर्फ एग्जिट पोल के अनुमानों से खौफजदा होकर ऐसी अफवाहों का सहारा ले रहे हैं और उसे हवा दे रहे हैं। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है। पटना में राज्य निर्वाचन आयुक्त ने भी ऐसी किसी भी अफवाह को खारिज करते हुए कहा कि जो ईवीएम हमने ट्रेनिंग में लगाया है, उसे लेकर कोई सवाल उठाए तो यह नासमझी ही है। इसपर आयोग क्या जवाब दे। यह तो हमारे प्रशिक्षण का हिस्सा है।
राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने विपक्ष का बचाव करते हुए कहा कि आयोग की लापरवाही के कारण ऐसी शंकाएं उठ रही हैं। छपरा में भी किसी राजद कार्यकर्ता ने इतनी संख्या में गाड़ी में ईवीएम देखा। उसे शंका हुई तो उसने फोटो खींच ली। ये पार्टी की गलती नहीं है बल्कि चुनाव की निष्पक्षता को लेकर जो शंका बनी है, उसका नतीजा है।
स्पष्ट है कि बिहार समेत समूचे देश में ईवीएम को लेकर सोशल मीडिया पर जारी खबरों को हवा देकर विपक्ष अपने हार की कोई सॉलिड वजह तलाश रहा है, ताकि वह यह बता सके कि उसका काम नहीं, बल्कि ईवीएम मशीन ने उसकी लुटिया डुबोई है। काउंटिंग से पहले ही हार के बहाने तलाशते लोगों से ईवीएम मशीन भी एक सवाल पूछ रही है कि आखिर जीते तो ‘आपकी मेहनत’ और हारे तो ‘ईवीएम का दोष’ कैसे?

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