मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे अजय ने प्रसाद की तरह बांटे हैं आतंकियों से मंगाए गए हथियार

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Ajay Rai is Contesting from Varnasi LS seat on congress ticket

वाराणसी से कांग्रेस के टिकट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे अजय राय के सबंध देशद्रोहियों से हैं। उनके अच्छे संबंध नेपाल तथा कश्मीर के आतंकियों से भी हैं। उन्होंने आतंकियों के माध्यम से ही प्रतिबंधित अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा मंगाया और उसे महाप्रसाद की तरह बिहार के बाहुबलियों यथा, पूर्व सांसद और अभी तिहाड़ में सजा काट रहे शहाबुद्दीन को दिए, कुछ हथियार बिहार के ही एक विधायक को तथा एक रणवीर सेना को।

फौजी ने उगले थे विक्रमगंज में उसके राज

उपर्युक्त तथ्यों की तस्दीक गुप्तचर एजेंसियों की रिपोर्ट से तो होती है। पुलिस रिकार्ड में दर्ज रोहतास जिले के विक्रमगंज थाना में जोगिया गांव निवासी नंदगांपाल पांडेय उर्फ फौजी के 6 फरवरी 1999 को दिये गये बयान से भी होता है। पांडेय ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया था कि अजय राय ने श्रीनगर के किसी आतंकी संगठन से सांठगांठ कर कई एके-47 रायफलें मंगवायी थीं। उनमें 10 रायफलें पूर्व सांसद शहाबुद्दीन ने खुद रख ली थी। गुप्तचर एजेंसियों का मानना है कि हथयारों के तस्करों का एक सफेदपोश गैंग बिहार और यूपी में सक्रय है जिनका सबंध कश्मीर और नेपाल में बैठे आतंकियों से हैं। अगर कश्मीर सीमा पर सेना शिकंजा कसता है तो तस्कर आसान बार्डर मानकर नेपाल के रास्ते तस्करी करवाते हैं।

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10 एके—47 शहाबुद्दीन, 4 अजय व 4 सुनील पांडेय और अनिल शर्मा को

पांडेय की रिपोर्ट के मुताबिक 10 रायपफलें तो शहाबुद्दीन ने ही रख ली। चार रायफलें अजय राय को मिलीं और चार रायफलें रांची-बिहार के कुख्यात अनिल शर्मा के पास चलीं गयीं। उनमें एक रायपफल अनिल शर्मा ने प्रतिबंधित रणवीर सेना को दानस्वरूप दे दिया था। बताया जाता है कि इन सफेदपोश लोगों नें संगठित रूप से एक सर्किल बनाकर हथियारों की तस्करी करते रहे हैं। इनमें और कई लोग उत्तर बिहार के भी शामिल हैं।

दाउद के खास शूटर रहे अवधेश त्यागी ने दिल्ली में की थी तस्दीक

तहलका संपादक तेजपाल की ली थी उसने सुपारी

इसके अतिरिक्त दाउद इब्राहिम का खास शूटर रहे भूपेन्द्र त्यागी उर्फ अवधेश त्यागी ने जब नेपाल में दाउद के निर्देश पर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को अस्थिर करने के लिए तहलका के संपादक तरूण तेजपाल की हत्या की योजना बनायी, तो योजना का पूरा खाका भारतीय गुप्तचर संस्थाओं के हाथ लग गया। त्यागी ने तेजपाल की हत्या की एक किस्त भी नेपाल के परीगंज में ले ली थी। उसने भारत के सीमाई शहर रक्सौल से जैसे ही उसने दिल्ली के लिए रेलगाड़ी पकड़ी वैसे ही उसके ठीक पीछे गुप्तचर एतेंसियों के स्मार्ट अफसर सवार हो गये। अब अवधेश भारतीय गुप्तचर एजेंसियों के निशाने पर था। पर, अफसरों को निर्देश था कि उसकी गतिविधियों की गहनता से परख करते हुए उसी के गंतव्य पर दबोचना है। त्यागी को दिल्ली के ही रास्ते में ही रेल की चेन पुलिंग कर अत्याधुनिक हथियार दिए गये तथा अतिरिक्त धनराशि भी।

सिनेमाई अंदाज में घिर गया था त्यागी

त्यागी जैसे ही दिल्ली स्टेशन नर उतर कर जिप्सी पकड़ी वैसे ही दिल्ली पुलिस ने उसे धर दबोचा। सिनेमाई तरीके से खुद को घिरा देख कर तुरंत सरंेडर कर दिया। उसे लोधी काॅलोनी थाना ले जाया गया। थाने में दर्ज प्राथमिकी संख्या 154/2001 के फर्द बयान में उसने कबूला है कि शहाबुद्वीन से उसकी कई बार मुलाकात हुई है। उसके संबंध पाकिस्तन की खुफिया एजेंसी आईएसआई से हैं। शहाबु ने हथियारों की कई खेप श्रीनगर से सेब के ट्रकों से मंगवायी। जिनमें कुछ वाराणसी के अजय राय को मिली तथा कुछ सुनील पांडेय और कुछ अनिल शर्मा को।

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