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सासाराम में कांग्रेस पर भारी पड़ रहा राजद का पिछलग्गू होना

सासाराम : सहस्त्रबाहु और परशुराम के रोचक प्रसंगों को अपने में समेटे सासाराम को विरासतों की भूमि माना जाता है। तब ये सहसराम के नाम से जाना जाता था। ऐतिहासिक विरासत के अलावा यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से भी काफी उर्वर रहा है जहां से जगजीवन राम न सिर्फ 8 बार सांसद चुने गए, बल्कि 1977 में जनता पार्टी की सरकार में उप-प्रधानमंत्री भी रहे। इसके अलावा यहीं से जगजीवन राम की सुपुत्री मीरा कुमार ने संसद भवन का रास्ता तय किया और भारत की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष बनीं।

छेदी पासवान का ट्रैक रिकार्ड और पीएम की सभा

2019 के चुनाव में सासाराम लोकसभा क्षेत्र से एनडीए प्रत्याशी और सिटींग एमपी छेदी पासवान का मुकाबला कांग्रेस की मीरा कुमार से है। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में छेदी पासवान ने मीरा कुमार को 63,327 मतों से पराजित किया था। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सासाराम में चुनावी सभा की और बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेला। दरअसल, सासाराम सुरक्षित सीट है जहां कुर्मी और कुशवाहा वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इसके अलावा यादव मतदाता भी अधिक संख्या में हैं। सासाराम लोकसभा क्षेत्र से हालांकि कांग्रेस की ओर से मीरा कुमार 2004 और 2009 में सांसद चुनी गई थी। पर 2019 के लोकसभा चुनाव में मौजूद समीकरण कांग्रेस को आहत करने वाले ही नजर आ रहे हैं।

मीरा कुमार की शालीनता, लेकिन वोटबैंक खिसका

दरअसल, महागठबंधन की प्रत्याशी मीरा कुमार कांग्रेस से हैं और फिलहाल इस क्षेत्र में कांग्रेस के पारंपरिक वोटरों की संख्या बहुत तेजी से घटी है। एक समय में सासाराम कांग्रेस का गढ़ मन जाता था। पर 1989 के बाद यहां दलीय सूरत बिल्कुल बदल गई है। भाजपा ने अपना पहला खाता 1996 में मुन्नी लाल के नेतृत्व में खोला। अपनी कमजोर स्थिति को भांपते हुए कांग्रेस ने राजद से गठबंधन के सहारे उम्मीदवार उतारना शुरू किया। शुरुआती दिनों में या यूं कहें कि 2004 और 2009 के चुनावों में इसका सकारत्मक असर दिखा। पर धीरे-धीरे कांग्रेस के सवर्ण वोटर पार्टी के पारंपरिक वोटबैंक से निकल कर भाजपा के खेमे में चले आये। इस चुनाव में कांग्रेस को लोग राजद की पिछलग्गू पार्टी के रूप में देख रहे हैं, जिसकी वजह से यादव वोट तो शायद महागठबंधन को मिल भी जायें, लेकिन अन्य जातीय गणित पर भाजपा की धाक साफ नजर आती है।

सासाराम में जातीय समीकरण

सासाराम लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें हैं। मोहनिया, भभुआ, चैनपुर, चेनारी, सासाराम और करगहर। इस क्षेत्र में तकरीबन 17,71,935 मतदाता हैं जिनमें से 60 फीसदी पुरुष तो 40 फीसदी महिलाएं हैं। क्षेत्र में कई मुद्दे जोरों से उठते और दबते आए हैं। उन्हीं में से एक है कैमूर पहाड़ी पर स्थित बेलवाई जलाशय के निर्माण की मांग का। जिससे सासाराम विधानसभा क्षेत्र के तकरीबन 40 गांवों को सिंचाई का लाभ बड़े आराम से मिल सकेगा। दरअसल यह कार्य वन विभाग की लापरवाही का शिकार हुआ है। इसके अलावा क्षेत्र में महिला कॉलेजों का अभाव है जिसकी मांग समय-समय पर उठती आई है।

मुद्दों के आइने में सासाराम का आंकलन

सासाराम रोहतास जिले के अंतर्गत आता है। इस जिले में धान की खेती बहुत अच्छी होती है। एक खास किस्म का हाई क्वालिटी ‘कतरनी चावल’ इस क्षेत्र की खेतिहर विशेषता है। हालांकि लोगों का दर्द ये भी है कि इस क्षेत्र में अन्न का बाजार उतना सुलभ नहीं। इसकी व्यवस्था करना भी मुद्दों की सूची में शामिल है। इस लोकसभा चुनाव में एक रोचक बात यह भी है कि वर्तमान सांसद छेदी पासवान अब तक कोई चुनाव नहीं हारे। फिर चाहे वो विधायकी का हो या फिर आमचुनाव। अब यह देखना दिलचस्प है कि 2019 लोकसभा चुनाव में शेरशाह की इस धरती पर कौन प्रत्याशी बाज़ी मारता है।
सत्यम दुबे