सिवान में सांसद नहीं, आतंक से मुक्ति चुनते हैं लोग, क्यों?

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सिवान : देश में लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 542 पर लोग सांसद चुनते हैं। लेकिन एक सीट ऐसी है जहां आज भी कथित रूप से चुनाव सांसद चुनने के लिए नहीं, बल्कि शांति और सुरक्षा चुनने के लिए होता है। यह खास सीट है बिहार का सिवान संसदीय सीट जहां कल 12 मई को मतदान होने वाला है। यहां का चुनाव खास इसलिए है क्योंकि सिवान लंबे काल तक आतंक और दहशत की मार से गुजरा है और एक बार फिर यहां यही मुद्दा लोगों की जुबां पर है। जानते हैं कि यहां ऐसा क्यों है?

बाहुबली शहाबुद्दीन के आतंक की सिहरन

चंदा बाबू के तीन जवान बेटों का निर्मम कत्ल, जेएनयू छात्रसंघ नेता चंद्रशेखर की हत्या, पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या समेत यहां ब्राह्मण, यादव, राजपूत, दलित, पिछड़ों आदि के सैंकड़ों लोगों की चीखें आज भी चित्कार कर रही हैं। इन सभी मामलों में अंगुली घूम—फिरकर राजद के बाहुबली नेता सैयद शहाबुद्दीन के स्थानीय जंगलराज पर ठहर जाती है। ऐसे ही मामलों में वे सजायाफ्ता होकर जेल में बंद हैं, लेकिन उनके गुर्गे आज भी सक्रिय हैं। इस बार के चुनाव में यहां से उनकी पत्नी हिना शहाब चुनाव लड़ रही हैं। उनके मुकाबले में यहां एनडीए की तरफ से जदयू की कविता सिंह मैदान में हैं। कुछ कतिपय लोग दहशत के उस आलम को दरकिनार कर प्रोग्रेसिव होने की बात भी कह रहे हैं। लेकिन उन प्रोग्रेसिव लोगों को आज भी शहाबुद्दीन के हत्या के प्रोग्रेसिव तरीकों को जरूर याद करना होगा जिसमें दीवाली के पटाखे की तरह एके—47 की गूंज और तेजाब के कुंड में जिंदा नामोनिशां मिटाने की विभत्सता प्रमुख है।

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मोदी के एनडीए की मजबूत किलेबंदी

कल भाजपा के वरिष्ठ नेता और डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने भी अपने रोड शो के दौरान उसी दौर की याद दिलाते हुए लोगों को सावधान भी किया। उन्होंने कहा कि
एक समय ऐसा था, जब सिवान में किसी पार्टी का झंडा, बैनर और पोस्टर नहीं लगता था! सभी दुकानों, घरों, संस्थानों पर एक ही झंडा लगता था। झंडा लगाने का जो विरोध करता था उसे आतंक के ठेकेदारों द्वारा मार दिया जाता था। बाहर से आने वालों से सिवान स्टेशन पर ही उनका सामान ले लिया जाता था। बड़े व्यवसायियों को धमकी देकर मारपीट कर उनको भगा दिया गया और उनकी संपत्ति बंदूक की नोंक पर लिखवा ली गयी। जेपी चैक के आस—पास ऐसे कई कायस्थ परिवार के लोगों की जमीनें औने पौने दाम पर जबरन लिखा ली गईं। अब आपको तय करना है कि आने वाला समय भय, हतया, अपहरण, खौफ में जीना चाहते हैं या शांति और सुरक्षा के माहौल में।

भय के आगे विकास का मुद्दा गौण

साफ है कि सिवान में लोगों के लिए विकास और अन्य मुद्दों का कोई स्थान नहीं है। यहां एक ही मुद्दा है, आतंक से मुक्ति। यह यूं ही नहीं है। सिवान के आतंक ने जाती, वर्ग, समुदाय आदि के आधार पर कोई भेद नहीं किया। ब्राह्मण, यादव सभी इसका शिकार बने। सिवान के कृष्णा सिनेमा परिसर में दाढी बनाते समय सुधीर पांडेय की गला रेतकर हत्या कर दी गयी। शहाबुद्दीन का खौफ इतना था कि सुबह में हत्या हुई और शाम तक कोई शव के पास गया तक नहीं! सुधीर पांडेय की पत्नी शव उठाकर घर ले गयी। डर से कंधा देने वाला भी कोई नहीं था। उस समय भाजपा नेता राजदेव सिंह व संजय पांडेय ने जनाजे को कंधा दिया व श्मशान ले गये।

ब्राह्मण, यादव सभी की कुर्बानी से भागा आतंक

ऐसा ही एक मामला ब्राह्मण नेता पपौर निवासी योगेन्द्र पांडेय की हत्या का है। योगेन्द्र पांडेय स्वाभिमानी थे और शहाबुद्दीन के दरबार में नहीं गए। इसीलिए उनकी द्विवेदी पंप पर हत्या कर दी गई। इसी प्रकार भाजपा नेता रामाकांत पाठक के पिता और उनके पुत्र सोनू की हत्या शहाबुद्दीन के गुर्गों द्वारा कर दी गयी थी। मालवीय नगर के प्रतिष्ठित कैलाश दुबे को सरेआम दिन में दुर्गा मंदिर के पास पीटा गया। वे भी शहाबुद्दीन के दरबार में जाने से इनकार कर गए थे।

आतंक के पर्याय बन चुके ​शहाबुद्दीन के आतंकराज के भुक्तभोगियों की लिस्ट लंबी है-पत्रकार आशा शुक्ला, अधिवक्ता दिनेश तिवारी, वीरेन्द्र पांडेय, सिसवन नगई के बांके दुबे, निकेश चंद तिवारी आदि दर्जनों ब्राह्मणों पर या तो हमले करवाये गए या उन्हें सरेआम बेइज्जत किया गया। लेकिन ये स्वाभिमानी ब्राह्मण प्रताडना सहने के बावजूद शहाबुद्दीन के आतंक के आगे नहीं झुके। यहां के वोटरों को यह पता है कि यदि यहां से राजद विजयी हुआ तो जो आज चुप हैं, वे खुलेआम फिर आतंकराज कायम कर देंगे।

स्पष्ट है कि आज भी सिवान में चुनाव का मतलब आतंक, भय और डर को हमेशा के लिए खदेड़ देने का एक मौका ही माना जाता है। यही कारण है कि कल के डिप्टी सीएम सुशील मोदी के रोड शो के दौरान सिवान शहर भाजपा के भगवा टोपी से पट गया था। रोड शो में भगवा रंग के परिधान व भाजपा के झंडे लेकर हजारों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। उत्साही लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुखौटा लगाकर माहौल को मोदीमय बना रहे थे। यह सिवान में कल 12 मई को होने वाले मतदान के संकेतों को उजागर कर रहा था।

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