11 मार्च : नवादा की मुख्य ख़बरें

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अब तक ग्रामीणों को नहीं हुआ सड़क का दीदार

नवादा : आजादी के इतने वर्ष बाद भी पकरीबरांवा प्रखंड क्षेत्र के एरूरी पंचायत के आधा दर्जन गावों  के लोगों को आज भी सड़क का दीदार नहीं हुआ है। जिसके कारण एरुरी पंचायत के लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है। आक्रोशित ग्रामीणों ने एरुरी पंचायत की एरुरी गांव के देवीस्थान परिसर में एक बैठक आयोजित की जिसकी अध्यक्षता अर्जुन सिंह व मंच का संचालन श्यामदेव सिंह ने किया।

इस पंचायत के कौन-कौन गांव अछूते हैं, क्या है आबादी

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इस पंचायत के बगडीहा, बलियारी, एरुरी, भलकी, लक्ष्मीपुर तथा सलेमपुर गांव पथ से अछूता है। एरुरी में 4000, बगडीहा में 4000, सलेमपुर में 1200, भलकी 1500, बलियारी 2000, लक्ष्मीपुर 2000 की आबादी के लोग रहते हैं।

मुख्य पथ से कितनी दूरी पर है

मुख्य पथ से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। जबकि अंतिम सीमा पर सलेमपुर की दूरी मुख्यालय से 9 किलोमीटर है वंही रोह मुख्यालय की दूरी मात्र 4 किलोमीटर है। रोह व कौआकोल के अंतिम सीमा कालीकरण जो गई है वंही पकरीबरावां के एरुरी पंचायत के लोग आजादी के बाद भी पथ को नही देखा है।

इस पथ के बनने से कई है फायदा

इस पथ के बन जाने से एरुरी पंचायत के अलावे रोह के लोगों को भी काफी फायदा होगा। वर्तमान में इन प्रखण्डों को एक दूसरे प्रखंड में आने-जाने की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है । अगर यह पथ बन जाती है तो दोनों मुख्यालय की दूरी लगभग 13 किलोमीटर ही रह जाएगी।

ग्रामीणों ने आंदोलन के बजाय वोट बहिष्कार का रास्ता क्यों अपनाया

पंचायत के ग्रामीणों ने वर्ष 2015 में पथ निर्माण को लेकर नवादा-जमुई पथ को जाम किया था। इस दौरान गांव के दर्जनों लोगों के विरुद्ध पकरीबरावां थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ग्रामीणों ने कहा कि जबतक पथ नही बनेगा तबतक हमलोग किसी भी दल को वोट नही करेंगे। बैठक में पंचायत मुखिया कृष्णनदन प्रसाद, सरपंच रवेश सिंह, रामकिशुन प्रसाद, मुकेश प्रसाद, बिनोद महतो, जितेंद्र यादव एरुरी, शमशाद खान बगडीहा, अयोध्या चौहान, सीताराम चौहान सलेमपुर, धानों राजवंशी, राजो मांझी, इंद्रदेव राजवंशी बलियारी सहित अन्य गांव के ग्रामीण मौजूद रहे। स्थानीय जनप्रतिनधियो की सौतेलेपन के कारण ही इस पंचायत में पथ का निर्माण पर ग्रहण लग गया है। इस बार इस पंचायत के ग्रामीण किसी भी सूरत में झांसे में नही आएगा। वह हर-हाल में आगामी लोकसभा चुनाव में वोट नही करेगा। वह वोट का बहिष्कार करेगा।

जगदीश चौहान,भाकपा-माले के प्रखंड सचिव

67 बसंत पार कर गए हैं। अब मैं दुनिया को छोड़कर जाने को हैं। मुझे अब नही लगता है कि हम अपने जीवन काल मे कालीकरण पथ को देख पाएंगे। इसलिये अब लग रहा है कि इस बार लोकसभा का वोट नहीं करेंगे। क्योंकि इस बार की लड़ाई में हम ग्रामीणों के साथ है।

श्यामदेव सिंह,एरुरी

स्थानीय सांसद से लेकर विधायक तक गुहार लगाते-लगाते थक गए परन्तु कोई भी नही सुना। अब हम भी अंतिम पड़ाव पर है। हमारे बच्चे अब इस व्यवस्था से भी काफी नाखुश रहते हैं। जो हमे काफी झकझोर  रही है। अगल-बगल पंचायतों में तो रोड चकाचक है वंही हमारे पंचायत के लोग आजादी के बाद भी पथ नही देखा है। इसलिय इसबार हमलोग ग्रामीण लोकसभा वोट का वहिष्कार करेंगे।

अर्जुन सिंह,एरुरी

रोड नही तो वोट की तर्ज पर हम आधा दर्जन गांव  के लोग लोकसभा वोट का वहिष्कार करेंगें। बिहार विकसित राज्य की श्रेणी में गिनाते हैं परन्तु आज भी आधा दर्जन गांव के लगभग 16000 हजार लोग आजादी के बाद भी पथ विहीन है। इसलिय सभी गांव के लोग लोकसभा का वोट वहिष्कार करेंगे।

विनय मिश्रा, एरुरी

एरुरी पंचायत में मात्र एक गांव में ही अल्पसंख्यक के लगभग 4000 हजार लोग रहते हैं। पथ की दुर्दशा के कारण नमाजियों को काफी परेशानी होती है। पथ की दुर्दशा इतनी खराब है कि पथ पर ही नाली का गंदा पानी बहता है। पथ की दुर्दशा को देख कर रिश्तेदार भी आना पसन्द नही करते हैं। और तो और अब हमारे बच्चे भी घर आना नही चाहता है।   आजादी के लगभग 7 दशक बीत गया परन्तु पथ के कालीकरण के लिये आज भी गुलाम हैं । अगर विकास देखना हो तो इस पंचायत  में आकर देखें। जिसके कारण इस पंचायत के आधा दर्जन गांव के लोग लोकसभा चुनाव के वोट का वहिष्कार करेंगे।

 पैरोल पर गया सजायाफ्ता कैदी भागा

नवादा : अषाढ़ी गांव के सजायाफ्ता कैदी भागने के मामले में जेल अधीक्षक की भूमिका संदेह के घेरे में है। मामले की जांच आरंभ कर दी गयी है। बताया जाता है कि हत्या के मामले में सजायाफ्ता कैदी रहीश राजवंशी ने अपनी बेटी की शादी के नाम पर पैरोल पर अवकाश की मांग की थी। इस क्रम में उसने जेल अधीक्षक को शादी का कार्ड उपलब्ध कराया था। जिसमें राजनन्दनी पुत्री योगेन्द्र राजवंशी है न कि पुत्री रहीश राजवंशी। इससे यह स्पष्ट होता है कि उसने प्रशासन को चकमा दिया है। जेल अधीक्षक महेश रजक ने भी समाहर्ता को अपनी अनुसंशा में पुत्री की शादी का उल्लेख कर गलत बयां दी। यहां तक कि इसके पूर्व उन्होंने थानाध्यक्ष से जांच तक कराना उचित नहीं समझा। क़ानूनी रूप से किसी सजायाफ्ता कैदी को अवकाश के पूर्व थाने से इसकी जांच करानी आवश्यक है। ऐसे में जेल अधीक्षक की भूमिका संदेह के घेरे में है।

इस बावत आरक्षी अधीक्षक हरि प्रसाथ एस ने बताया कि सारा मामला संदिग्ध है। अवकाश देने के पूर्व आवश्यक नियमों का पालन क्यों नहीं कराया गया इसकी जांच आरंभ कर दी गयी है। जांच में दोषी पाए जाने पर जेल अधीक्षक के विरुद्ध कार्रवाई की अनुसंशा की जाएगी।

बता दें बेटी की शादी के नाम पर रहीश राजवंशी को तीन दिनों का पे रोल मिला था। शादी संपन्न होने के बाद वह अपने घर अषाढ़ी आ गया था। इस क्रम में रविवार की सुबह शौच के बहाने वह पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। सूचना के आलोक में एसपी के निर्देश पर मुफस्सिल थाने में प्राथमिकी दर्ज कर उसकी सुरक्षा में तैनात सभी पांच पुलिसकर्मियो को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है। एसपी ने मामले की जांच आरंभ कर दी है।

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