पटना: बिहार में एनडीए ने भले ही यह आधिकारिक घोषणा नहीं की हो कि कौन-कौन सी सीटों पर बीजेपी और इसकी सहयोगी पार्टियों के उम्मीदवार आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन बीजेपी के कद्दावर नेताओं के सूबे में हालिया हुए दौरों ने यह संकेत तो दे ही दिया है कि उन—उन सीटों पर वह इंटरेस्टेड है। केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी ने पश्चिम चंपारण के बगहा में कई योजनाओं की शुरुआत तथा आधारशीला रखी। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने राजपूत बहुल समस्तीपुर के दलसिंहसराय में एक कार्यक्रम में भाग लेकर यह सन्देश देने का प्रयास किया कि उजियारपुर सीट से बीजेपी ही चुनाव लड़ेगी। बगहा (अब वाल्मीकिनगर) सीट से बीजेपी के सतीश दुबे पिछली बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। ज्ञात हो कि उजियारपुर सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय 2014 में चुनाव जीते थे। समस्तीपुर सीट पर एनडीए के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी का अभी कब्ज़ा है। उसी तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पूर्णिया दौरा बीजेपी की वहां की सीट पर दावेदारी की पुष्टि करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हाल ही में बेगूसराय में कार्यक्रम करके गए हैं। बेगूसराय सीट से स्वर्गीय भोला प्रसाद सिंह बीजेपी कैंडिडेट के तौर पर 2014 में सफल हुए थे। इसका यह अर्थ निकला जा रहा है कि बीजेपी ने सीट शेयरिंग से पूर्व सवर्ण बहुल लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है।
वैशाली और खगड़िया सीट पर एडजस्टमेंट संभव
राजनितिक विश्लेषकों का कहना है कि एनडीए के लिए उत्तर बिहार में सीटों का बंटवारा एक कठिन टास्क साबित होनेवाला है। वैशाली, सीतामढ़ी, दरभंगा जैसे सीटों को लेकर जिच हो सकती है। सूत्र बताते हैं कि वैशाली सीट जो एलजेपी के खाते में थी और जहां से रामा सिंह चुनाव जीते थे, इसबार जेडीयू को मिल सकती है। रामा किशोर सिंह एलजेपी छोड़ कर नई जमीन तलाशने में जुटे हुए हैं। हाल ही में उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से रांची जाकर जेल में मुलाकात की थी। सीतामढ़ी सीट से जेडीयू के उम्मीदबार के चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है। उसी तरह दरभंगा के बीजेपी से सांसद कीर्ति आजाद ने इस्तीफा देकर कांग्रेस का रुख किया है। ऐसे में भाजपा यह सीट अपने सहयोगी जदयू के लिए छोड़ सकती है जहां से जदयू के संजय झा उम्मीदवारी के लिए जोर मार रहे हैं।
चौंकाने वाले प्रत्याशियों के लिए भी रिक्ती
एनडीए अपने पाले में आंतिम क्षणों में आने वालों के लिए भी रिक्ती रखना चाहता है, ताकि उन्हें अपनी छत के नीचे एडजस्ट किया जा सके। यहां जीतनराम मांझी फिट हो सकते हैं। गया में हरि मांझी को बदले जाने की चर्चा है। वहां यदि जीतनराम मांझी पाला बदलते हैं, तो उन्हें एनडीए प्रत्याशी बनाया जा सकता है। मुंगेर लोकसभा सीट से जेडीयू के ललन सिंह चुनाव लड़ने वाले हैं। पिछली बार वो एलजेपी की उम्मीदवार और बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी बीना देवी से पटखनी खा गये थे। इसबार बाहुबली अनंत सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर मुंगेर से चुनाव लड़ने की अपनी मंशा जताई है। नवादा सीट लोजपा के खाते में जा रही है जहां से वीणा देवी प्रत्याशी बनेंगी।
चुकि जेडीयू ने पिछला लोक सभा चुनाव अकेले लड़ा था और इसबार एनडीए के साथ लड़ना है इसलिए उसे उत्तर बिहार कि कई सीटों को घटक दल के लिए छोड़ना पड़ेगा। सारण, तिरहुत एवं दरभंगा प्रमंडल के अधिकांश सीटों पर बीजेपी का अभी कब्जा हैं। जिन सिटिंग एमपी का टिकट काटेगा वो पार्टी को आगामी चुनाव में भारी नुकशान पहुंचा सकते हैं, ऐसा पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं का विचार हैं। पार्टी आलाकमान इस तरह के असंतोष की भरपाई के बारे में गंभीरता से विचार कर रहा है। पिछले दिनों बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित साह एवं जेडीयू के अध्यक्ष श्री नीतीश कुमार ने 17-17 सीटों पड़ लड़ने की घोषणा की थी। बाकी सीट एलजेपी के लिए छोड़ देने की बात कही जा रही है।