Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured पटना बिहार अपडेट

डॉ सूरज नंदन कुशवाहा की पत्नी को एमएलसी बनाने की मांग

पटना : राजधानी के एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में दिवंगत भाजपा पार्षद प्रो. डॉ सूरज नंदन कुशवाहा को भजपा के वरिष्ठ नेता, अधिकारी व कार्यकताओं ने आज भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कई कार्यकर्ताओं ने कहा कि सूरज भैया के विधान पार्षद टर्म के डेढ़ साल बचे हुए हैं और उनकी पत्नी को यदि भाजपा पार्षद बना देती है तो निश्चित तौर से बिहार का पूरा कुशवाहा समाज उनके प्रति कृतज्ञ होगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि मानी जाएगी।
इस अवसर पर कुम्हरार के विधायक डॉ अरुण कुमार ने कहा कि उनके न रहने की सूचना पर सहसा विश्वास ही नहीं हुआ। उनके साथ बिताया गया हर पल यादगार है और उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। 1990 में मैं पटना भाजपा महानगर का अध्यक्ष बना और उसी के आसपास मेरी उनसे मुलाकात हुई। उनके जैसा योग्य महामंत्री पाकर मैं निहाल हो गया। मेरी और सूरज जी की टीम बन गई। पटना में उस समय मात्र 3 विधानसभा की सीट थी। संगठन ने हमसे पूछा कि कितनी सीट जीता सकते हैं? मैंने और सूरज जी ने कहा कि तीनों। लालू के उस शासनकाल में पटना की तीनों सीट हम जीते। और तब से लेकर आज तक पटना की सभी सीट हम जीत रहे हैं। तो ऐसे थे हमारे सूरज जी। अरुण कुमार ने कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी पत्नी को विधान पार्षद बनाए जाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि उनके परिवार के लिए कुछ न कुछ जरुर किया जाना चाहिए।
वहीं विधान पार्षद और भाजपा के मीडिया प्रभारी संजय मयूख ने कहा कि मैं और सूरज भैया एक साथ ही विधान पार्षद बने। संजय मयूख ने कहा कि उनके साथ मेरे बहुत सारे संस्मरण हैं।लेकिन आज तक उन्होंने कभी भी किसी काम के लिए ना नहीं कहा। जब भी उनके पास कोई जाता, हर वक़्त वो तैयार रहते थे। आज उनके जाने के बाद पटना सहित कई जगह श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई है। लोगों की उमड़ती भारी भीड़ उनकी लोकप्रियता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि सूरज नंदन कुशवाहा फॉउंडेशन की स्थापना की जानी चाहिए और उस फाउंडेशन के माध्यम से जितने भी वे कार्य करना चाहते थे या सोचते थे, उसे पूरा किया जाना चाहिए।
वहीं भाजपा की वरिष्ठ नेत्री किरण घई ने सूरज जी को याद करते हुए उन्हें अपने छोटे भाई की तरह बताया और कहा कि ऐसा लगता ही नहीं है कि वो आज हमारे बीच नहीं हैं। बड़े दुख और अफसोस के साथ मुझे उनकी श्रद्धांजलि सभा में आना पड़ा। जब तक सूरज जी कार्यालय में थे तब तक कार्यालय घर की तरह लगता था। उन्होंने कई संस्मरण भी बताए।
मानस दुबे