मकर संक्रांति पर ब्रह्म विद्यालय में जुटे हजारों संत और श्रद्धालु

0

मढ़ौरा/डोरीगंज/छपरा : सदर प्रखंड के रउजा के ब्रह्म विद्यालय सह आश्रम में मकर संक्रांति पर संतों और श्रद्धालुओं का भारी जुटान हुआ। यूपी, एमपी, झारखण्ड, बंगाल और बिहार के कई जिलों से पधारे संतों एवं भक्तों ने इस अवसर पर चूड़ा—दही का प्रसाद ग्रहण किया।Iस्वामी व्याशानंद जी ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है। I इसलिए इसको उत्तरायणी भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि यानी नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है।
प्रवचन में बोलते हुए स्वामी सत्यानन्द जी महाराज ने कहा कि असत्य और सत्य के बीच में गुरु है। गुरु की विशेष कृपा से लोगों को सत्य का मार्ग प्राप्त होता है। व्यक्ति किताबों से ढेर सारा ज्ञान प्राप्त करके भी अध्यात्मिक ज्ञान से विरक्त रहता है। सत्य और असत्य के बीच के भेद को जाने बिना कोई भी व्यक्ति मोक्ष को नहीं पा सकता है। आत्मा और परमात्मा के बीच के अंतर को समाप्त कर व्यक्ति को ईश्वर की मौजूदगी से गुरु ही आत्मसात कराते हैं। मकर संक्रांति पर कहा कि भारत भगौलिक रूप से उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात भारत से दूर होता है। लेकिन मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अत: इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही सभी शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

भंडारे में करीब 3 हजार लोगों ने ग्रहण किया प्रसाद

इस मौके पर भंडारे में संतों के साथ काफी संख्या में जुटे 3000 से अधिक लोगों ने चूड़ा—दही के भंडारे का प्रसाद प्राप्त किया। महिलाओं की संख्या भी काफी रही। आश्रम में पहुंची महिलाएं सेवा भाव से जूठे वर्तन को साफ करने तथा भंडारे की वस्तुओं को तैयार करने में तल्लीनता से जुटी दिखीं।

swatva

छपरा से है विशेष लगाव

ब्रह्म विद्यालय सह आश्रम के संस्थापक गुरु श्री स्वामी आद्वेतानन्द जी महाराज का जन्म छपरा के सरयू नदी किनारे दहियावा में हुआ था। इसको लेकर इस आश्रम से जुड़े स्वामी और भक्तों का छपरा को लेकर विशेष आकर्षण रहता है। हालांकि बाद में स्वामी जी देश का भ्रमण करते हुए पाकिस्तान के टारी चले गए थे जहां आज भी उनकी समाधी है।

2005 से चलता आ रहा है भंडारा

छपरा में ब्रह्म विद्यालय सह आश्रम की स्थापना 2005 में हुई। आश्रम के निर्माण के उपरांत यहां हर वर्ष मकर संक्रांति पर चूड़ा—दही के भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। भंडारे की व्यवस्था में श्रद्धालु खुद सक्रिय रहते हैं। वहीं आश्रम में मढ़ौरा के प्रसिद्ध डॉ बीके सिंह, सोनू सिंह, सुनील मिश्रा, सुरेन्द्र साह सहित अन्य लोग सेवा भाव में जुटे दिखे।

संजीव, मढ़ौरा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here