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गीता एक जीवनोपयोगी सूत्रात्मक ग्रंथ, समस्त संप्रदायों के लिए अनुकरणीय : प्रो. तरुण कुमार

पटना: पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग में गीता जयंती समारोह का आयोजन शुक्रवार को किया गया। देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवम् मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। उद्घाटन कर्ता के रूप में बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक डीएन गौतम ने गीता को सर्वशास्त्रमयी की संज्ञा देते हुए विभिन्न दृष्टांतों के माध्यम से गीता के विभिन्न उपदेशों को सरल ढंग से समझाया। इसके साथ ही उन्होंने कहा जीवन की सार्थकता इसी में है कि व्यक्ति भगवान की शरण में जाकर मात्र उसकी ही भक्ति करे क्योंकि इससे अलग कुछ भी करना व्यर्थ है।

मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी आरके झा ने गीता के भक्ति तत्व को स्पष्ट करते हुए कहा भक्त वही है जो पूर्ण समर्पण के साथ भगवान के प्रेम में तल्लीन रहे। हमे जो कुछ भी करना वह बहुत ही सोच समझ कर करना चाहिए क्योंकि समस्त संसार मो ह के चंगुल में जकड़े हुए हैं। इन्होंने भी विभिन्न दृष्टांतों के माध्यम से गीता के विभिन्न तत्वों को स्पष्ट किया।

सारस्वत अतिथि के रूप में मानविकी संकाय के अध्यक्ष एवं पटना कॉलेज के प्राचार्य प्रो. तरुण कुमार ने गीता को जीवनोपयोगी सूत्रात्मक ग्रंथ की संज्ञा दी। गीता निर्विवाद रूप से समस्त धर्मों एवं संप्रदायों के लिए अनुकरणीय है। भगवान की शरणागति की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा भगवान को आप जिस रूप में स्मरण करेंगे वो आपको उसी रूप में उपस्थित मिलेंगे।

विशिष्ट अतिथि के रूप में आईसीपीआर के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आरसी सिन्हा ने गीता को मानवता की रक्षा का एक अचूक औषधि बताया।इसके साथ ही उन्होंने गीता के विभिन्न संदेशों को प्रेषित करते हुए कहा प्रत्येक मनुष्य को गीता के स्थितप्रज्ञता का अनुपालन करना चाहिए।

अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए विभाग के अध्यक्ष प्रो. लक्ष्मी नारायण ने कहा कि गीता की यह यात्रा इसी प्रकार अनवरत चलती रहे, यही मेरी कामना है। गीता हमसबकी मां है। अतः मां गीता के प्रति हममें सच्ची आस्था होनी चाहिए।

इससे पूर्व गीता के श्लोकों की कंठोच्चरण प्रतियोगिता हुई जिसमें प्रथम पुरस्कार उपासना आर्या, द्वितीय प्रतीची कुमारी एवं तृतीय तन्नु कुमारी को प्रदान किया गया। मंच संचालन डॉ मुकेश कुमार ओझा एवं धन्यवाद ज्ञापन विभाग के सहायक आचार्य डॉ हरीश दास ने किया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य विद्वानों के साथ ही शिक्षक, छात्र एवम् शोधार्थीगण उपस्थित हुए।