वैश्विक साहित्यकार हैं रेणु : प्रशांत

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पटना : फणीश्वर नाथ रेणु की रचनाओं का जब हम सूक्ष्म अवलोकन करते हैं तो पाते हैं कि जो काम विलियम शेक्सपियर ने शब्द चयन और कथा संयोजन में किया वही काम हमारे यहां रेनू करते हैं। इस कसौटी पर देखें तो रेणु आंचलिकता से परे जाकर एक वैश्विक साहित्यकार हैं। उक्त बातें सोमवार को फिल्म अध्येता प्रशांत रंजन ने कहीं। पटना पुस्तक मेले में आयोजित इस चर्चा का विषय था: रेणु, शैलेंद्र और सिनेमा।

प्रशांत रंजन को सम्मानित करते आयोजक रत्नेश्वर

उन्होंने कहा कि रेणु शब्द चित्र खींचते हैं। एक तरह से कहें तो ये शब्दों के माध्यम से दृश्य की रचना करते हैं और इस लिहाज से अन्य साहित्यकारों की तुलना में रेणु की कृतियों पर फिल्म बनाना अपेक्षाकृत अधिक रोचक एवं सरल है। इसके अलावा फणीश्वर नाथ रेणु के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात है कि अगर उनकी कथावस्तु की बाहरी परतों को हटा दें , तो सूक्ष्म स्तर पर वे अपनी रचनाओं में समस्त मानव जाति की कथा-व्यथा कहते हैं।

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महान गीतकार शैलेंद्र द्वारा निर्मित फिल्म तीसरी कसम और उसकी कथा मारे गए गुलफाम को केंद्र में रखकर ‘दो गुलफाम के बीच’ पुस्तक के लेखक अनंत ने इस अवसर पर उसे फिल्म के बनने की घटनात्मक व्याख्या और उसके कई छिपे पहलुओं को सामने रखा। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे दो लाख रुपए के शुरुआती बजट में बनने वाली तीसरी कसम पूरी होते-होते 22 लाख रुपए की बजट वाली महंगी फिल्म बन गई।

फिल्म शिक्षक डॉ. कुमार विमलेंदु ने इस अवसर पर कहा कि इतालवी नवयथार्थवाद से प्रेरणा लेकर भारत में कई महान फिल्में बनीं। उन्होंने शैलेंद्र के गीतों और उनके दृश्यात्मक अपील पर चर्चा की। इस अवसर पर उन्होंने तीसरी कसम फिल्म का एक गाना गाकर सुनाया।

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