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31 जुलाई : नवादा की मुख्य खबरें

अर्चना ने चाटर्ड एकांउटेंट की परीक्षा में सफल हो गांव व प्रखंड का नाम किया रौशन

नवादा : जिले के वारिसलीगंज प्रखंड अंर्तर्गत मकनपुर गावं निवासी संजय सिंह की पुत्री अर्चना ने चाटर्ड एकांउटेंट की परीक्षा में सफल होकर अपने परिवार, गांव एवं प्रखंड का मान बढ़ाया है। कहा गया है कि सपना वो नही जो देखते हैं, सपना वह है जो चैन से सोने नहीं देती। अर्चना बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थी। गांव में पांचवी तक पढ़ाई करने के बाद पिता के साथ दिल्ली में रहने लगी। दिल्ली से मैट्रिक की परीक्षा भी अच्छे अंकों से उतीर्ण किया। स्नातक की परीक्षा नागपुर से पास करने के बाद अपने करियर को लेकर सजग रहने वाली अर्चना ने अपने पिता संजय सिंह के दिशा निर्देश में चार्टेट अकाउंटेंट की पढ़ाई प्रारम्भ किया।

चार्टेड अकाउंटेट की पढ़ाई बहुत ही कठिन होती है। बेटियों को हमेशा सिविल सेवा या अन्य क्षेत्रों में ही ज्यादातर झुकाव होता है, लेकिन अर्चना ने करियर को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए लगातार चार वर्षाे तक अध्ययन में लगी रही तब जाकर इसे सफलता मिली। अर्चना की सफलता से परिवार ही नही गावं में भी हर्ष व्याप्त है। अर्चना जाने माने कम्युनिष्ट नेता स्व राम किशोर शर्मा की पौत्री है। अर्चना की बहन कंचन ने भी यूजीसी नेट परीक्षा क्वालीफाई कर चुकी है। उसका भी अस्सिटेंट प्रोफेसर बनना तय है। पिता संजय सिंह प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। वे करीब 25 वर्षाे से दिल्ली एवं नागपुर में रहकर अपने परिवार के साथ बच्चों को पढा रहे हैं।

संजय सिंह ने बताया कि हमने बेटों और बेटियों में कभी फर्क नही समझा । बदलते परिवेश में बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने की जरूरत है। वहीं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देने वाली अर्चना ने कहा कि करने के लिए मन में दृढ़ संकल्प होना चाहिए। लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए परिवार का सहयोग और सम्बल बहुत सपोर्ट करता है।

शिक्षिका ने फिर से खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा,शिक्षा विभाग पर दोरंगी नीति बरतने का आरोप

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित कौआकोल प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय रानीबाजार में कार्यरत अप्रशिक्षित पंचायत शिक्षिका जयप्रभा सिंह न्याय के लिए एक बार फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए इंसाफ की गुहार लगाई है। शिक्षिका जयप्रभा की मानें तो उनकी नियुक्ति वर्ष 2008 में द्वितीय चरण की शिक्षक नियोजन से सम्बंधित है।

उच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य अपीलीय प्राधिकार,पटना के न्यायादेश के बाद उन्होंने 5 दिसम्बर 2020 को पंचायत शिक्षक के पद पर योगदान दिया, बावजूद शिक्षा विभाग एक पुराने नियमावली का हवाला देकर उन्हें अप्रशिक्षित बताकर चयनमुक्त करने का आदेश दे रखी है, जिससे बाध्य होकर शिक्षिका ने एक बार फिर से हाई कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। शिक्षिका का स्पष्ट कहना है कि जब उनकी नियुक्ति ही अप्रशिक्षित शिक्षक के रूप में दिसम्बर 2020 में हुई, तो फिर सीडब्लूजेसी नंबर- 16214/2019 अताउर रहमान एवं अन्य बनाम राज्य सरकार तथा अन्य में पारित आदेश उन पर कैसे लागू होगी, यह समझ से परे है।

शिक्षिका का कहना है कि उनके द्वारा कई बार पत्राचार कर शिक्षा विभाग से प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन मांगा गया, परन्तु विभाग उनके प्रशिक्षण के लिए कोई ठोस विकल्प नहीं बताकर अचानक सेवा मुक्ति का आदेश निकाल दिया, जिससे वे मानसिक रूप से परेशान हो गयी हैं। आरोप है कि वर्ष 2008 में द्वितीय चरण में बहाल हुए शिक्षकों को सरकार द्वारा सवैतनिक प्रशिक्षण का लाभ दिया गया, परन्तु उनके साथ यह दोरंगी नीति क्यों अपनाई जा रही है।

शिक्षिका का कहना है कि दिसम्बर 2020 के बाद आज तक वे विद्यालय में नियमित रूप से अध्यापन कार्य में भाग लेती आ रही हैं। उनके द्वारा विभागीय दक्षता परीक्षा भी उत्तीर्ण किया जा चुका है, बावजूद 18 माह का वेतन आज तक नहीं मिला है। बता दें कि जयप्रभा सिंह की प्रथम नियुक्ति शिक्षक नियोजन द्वितीय चरण वर्ष 2008 के तहत पत्रांक-36, 13 अगस्त 2010 को अत्यंत पिछड़ा वर्ग महिला सीट पर अप्रशिक्षित शिक्षक के रूप में हुई थी। नौ महीने तक इनके द्वारा अध्यापन कार्य किया गया, लेकिन तत्कालीन नियोजन इंकाईं द्वारा की गई अन्य गड़बड़ी के कारण जिला अपीलीय प्राधिकार ने सम्पूर्ण नियोजन रद्द कर पुनः नियोजन करने का आदेश दिया, जिसके बाद पुनः हुए नियोजन में इनका चयन न कर इनके स्थान पर कम अंक रहने के बावजूद अवैध ढंग से पूनम कुमारी नामक शिक्षिका का चयन कर लिया गया।

तत्पश्चात इन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली, जहां दस वर्ष की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद इन्हें न्याय मिला और उच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य अपीलीय प्राधिकार, पटना के न्यायादेश के आलोक में इनका नियोजन किया गया, परन्तु एक बार फिर से शिक्षिका न्याय के लिए अधिकारियों से लेकर उच्च न्यायालय से गुहार लगा रही है।

पत्रकार फिर हुआ पुलिस का शिकार, विरोध में खबर छपा तो प्राथमिकी होना तय

नवादा : जिले में पुलिस ने अघोषित आपातकाल लागू कर रखा है। इनके लिए संविधान या न्यायालय कोई मायने नहीं रखता। पत्रकार उत्पीड़न का मामला अकबरपुर से जो आरंभ हुआ उसका दायरा बढ़ता जा रहा है। पुलिस अधीक्षक से लगायी गयी जांच की गुहार का कोई असर नहीं होने से थानेदारों का मनोबल बढ़ता जा रहा है।

ताजा मामला सिरदला थाना का है जहां एक हिन्दी दैनिक के पत्रकार नरेश कुमार पर थानाध्यक्ष ने अपने मातहत से प्राथमिकी संख्या 293/23 दर्ज कराई है। घटना 18 जुलाई की बतायी गयी है।वैसे तो कुमार को न्यायालय ने जमानत दे दी है लेकिन दोनों के आरोपों में काफी विरोधाभास है।

कुमार ने एसपी को आवेदन देकर मामले की जांच की मांग की है। दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि घटनास्थल पर पत्रकार का मोबाइल बरामद हुआ है। मोबाइल बरामद होना पुलिस पर हमले को प्रमाणित करता है ? उक्त प्राथमिकी के चार नामजद को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस प्रकार दोनों आवेदनों को देखने से स्पष्ट है कि पुलिस बदले की भावना से काम कर रही है।

सदर अस्पताल में जल्द शुरू होगा सीटी स्कैन, मरीजों को मिलेगी राहत

नवादा : सदर अस्पताल में सीटी स्कैन लगने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सीटी स्कैन का जल्द ही वहां के लोगों को फायदा मिलेगा। जिले के मरीज आसानी से इसका लाभ उठा पाएंगे। महिला वार्ड के बगल में सिटी स्कैन मशीन को इंस्टॉल किया जाएगा जिसको लेकर काम तेजी से किया जा रहा है। सदर में करीब डेढ़ महीने बाद लोगों को सीटी स्कैन की सुविधा मिलने वाली है।

बता दें कि सीटी स्कैन के लिए मरीजों को सदर अस्पताल से 40 किलोमीटर दूर पावापुरी रेफर किया जाता है, लेकिन सदर अस्पताल में सिटी स्कैन की सेवा चालू हो जाने से मरीजों को पावापुरी नहीं जाना पड़ेगा। करीब 2 वर्ष पूर्व राज्य स्वास्थ्य समिति और कंपनी के बीच करार हुआ था, जिसके बाद जिला अस्पताल में मशीन का इंस्टॉलेशन होना था, लेकिन अस्पताल परिसर में जगह चिन्हित नहीं होने के कारण अभी तक मशीन इंस्टॉल नहीं हो सकी थी जिससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

विधान परिषद में उठाया था मुद्दा

बिहार विधान परिषद में ध्यानाकर्षण सत्र में जिले के निर्दलीय विधान परिषद सदस्य अशोक कुमार ने जिला अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन लगाने को लेकर सवाल किया था। सत्र के दौरान उन्होंने मरीजों की समस्याओं का जिक्र भी किया था जिसके बाद सदर अस्पताल में सीटी स्कैन लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। काम करा रहे एजेंसी के अंकित बारूका ने बताया कि 45 दिनों के अंदर स्कैन की सेवा सदर अस्पताल में शुरू की जाएगी। सीटी स्कैन मशीन यूएसए से लाया जा रहा है।

12 घंटे से हॉस्पिटल में पीने के लिए पानी नहीं, खाली बोतल लेकर भटक रहे मरीजों के परिजन

नवादा : सदर अस्पताल में पानी की किल्लत से मरीज व उनके परिजन परेशान है। मरीजों के साथ आये परिजन पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। आरओ मशीन काम नहीं कर रहा है। इमरजेंसी कक्ष के पास लगा मशीन बिना पानी का पड़ा है। स्थिति यह है कि मरीज बाहर से पानी का बोतल खरीदकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं तो अस्पताल के कर्मी घर से बोतल में पानी लेकर आ रहे हैं।

सदर अस्पताल में इलाज कराने आए मरीज के परिजनों ने बताया कि रविवार सुबह से ही पानी की किल्लत है, रविवार की देर रात तक पानी नहीं आया। सरकारी अस्पताल में अधिकतर गरीब मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। यहां पानी न मिलना बड़ी समस्या है। इससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अधिकारियों को इस पर संज्ञान लेने की जरूरत है।

गरीब मरीज के पास इतना पैसा नहीं होता कि वे बाहर से पानी का बोतल खरीदकर पी सकें। मशीन बंद हो गया है, इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। अधिकारियों को किसी तरह पानी मिल जा रहा है लेकिन मरीज भटक रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ रामकुमार प्रसाद ने बताया कि इस संबंध में जानकारी मिली है कि मुहर्रम को लेकर पूरे शहर में लाइट नहीं है। इसी वजह से परेशानी का सामना करना पड़ा है। पूरे नवादा शहर में मुहर्रम का जुलूस रविवार को निकाला गया। इस वजह से 12 घंटा से अधिक समय तक लाइट कटी रही, आलम ये है कि लोग पानी के लिए भी तरस रहे हैं।

छात्र-छात्राओं ने इंजीनियरिंग कॉलेज में तालाबंदी कर कर्मचारियों को बनाया बंधक

नवादा : नगर के बुधौल स्थित गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्र-छात्राओं ने तालाबंदी कर दी है जिससे पूरे कॉलज के स्टाफ कई घंटों तक कॉलेज में बन्द रहे। आंदोलनकारियों ने कॉलेज के मुख्य बिल्डिंग में तालाबंदी कर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। इस दौरान छात्रों ने कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

छात्रों का आरोप है कि कॉलेज में उन्हें अच्छा खाना नहीं मिलता है।खानों में शिकायत के बावजूद कीड़ा निकल रहा है। इसके अलावा कॉलेज में कई ऐसी समस्याएं हैं जिसका आज तक निराकरण नहीं किया गया है। कॉलेज प्रबंधन से कई बार उन शिकायतों को दूर करने का आग्रह किया गया मगर एक भी शिकायत का समाधान नहीं किया गया। कॉलेज में वाई-फाई की सुविधा अभी तक नहीं मिली है, इसके अलावा लाइब्रेरी में समुचित किताब नहीं है जिससे छात्र अपनी पढ़ाई कर सके। खेलने को समुचित खेल ग्राउंड नहीं है, लाइट कटने के बाद उन्हें बगैर अंधेरे में रहना पड़ता है।

कॉलेज के प्राचार्य विनय कुमार चौधरी का कहना है कि उन्हें लिखित तौर पर एक भी शिकायत नहीं मिली है। छात्रों की समस्याओं को कई बार सुना गया है मगर छात्र उग्र हो जाते हैं। मेस की जो समस्या है उसके ऊपर भी छात्र एवं छात्राओं से चर्चा की गई। अगर वे अपने स्तर से मेस को चलाना चाहते हैं तो इसके लिए भी वे राजी हैं। फिलहाल छात्र कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ लगातार उग्र हैं और मांग पूरा होने तक आंदोलन करने की बात कही है।