भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा में देश के साथ विदेशी भक्तों ने भी लिया भाग

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अरवल पुरी उड़ीसा – भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारंभ असार माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मुख्य मंदिर द्वार से प्रारंभ किया गया रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपने मंदिर से निकलने के बाद पूरी नगरी का भ्रमण करते हुए गुंडीचा मंदिर पहुंचे जंहा भगवान धार्मिक मान्यता के अनुकूल कुछ दिनों के लिए विश्राम करेंगे।

मालूम हो कि भगवान जगन्नाथ को भगवान श्री कृष्ण का अवतार माना जाता है। पूरी स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत की पवित्र धामों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष रथ यात्रा का शुभारंभ में आषाढ़ माह के द्वितीया तिथि को विधि-विधान पूर्वक मंत्रोचार के साथ रथ यात्रा किया जाता है मालूम हो कि भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा में भारत के कोने कोने के अलावे विदेशों में रहने वाले भक्तों ने भी भाग लिया।

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इस दौरान जय जगन्नाथ जय जगन्नाथ बलभद्र महाप्रभु की जय सुभद्रा माता की जयकारे की गूंज से पूरी नगरी गुंजायमान होता रहा। रथ यात्रा को लेकर नगर के विभिन्न चौक चौराहों पर चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है। आने जाने वाले लोगों पर पुलिस की पैनी नजर रखी जा रही है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष के 11वे दिन भगवान जगन्नाथ की वापसी के साथ यात्रा का समापन किया जाएगा। जगन्नाथ पुरी का मंदिर चार पवित्र धामों में एक है। जहां पर श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के साथ हमको बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा होती है जगन्नाथ मंदिर में तीनों की मूर्तियां विराजमान होती हैं।

मंदिर शिखर पर नहीं बैठते पक्षी

पुरी के मंदिर के ऊपर से ना कभी कोई प्लेन उड़ता है और न कभी कोई पक्षी मंदिर के शिखर पर बैठता है भारत के किसी दूसरे मंदिर में भी ऐसा नहीं देखा गया है।

स्वर्ग का स्वरूप है पुरी धाम

पौराणिक मान्यता के अनुकूल जब श्री कृष्ण का जन्म मानव के रूप में हुआ तो प्राकृतिक के नियम के अनुकूल मनुष्य की मृत्यु सुनिश्चित है जब भगवान श्री कृष्ण के देह त्यागने के बाद अंतिम संस्कार किया गया तो पूरा शरीर पंचतत्व में विलीन होने के बाद भी उनका हृदय धड़कता रहा मान्यताओं के अनुसार यह हृदय आज भी जगन्नाथ की मूर्ति में धड़कता है।

 इस तिथि को होगा कार्यक्रम, बीस जून को रथ यात्रा प्रारंभ

पचीस जून तक भगवान अपनी मौसी के घर रहेंगे। सताइस जून को भगवान जगन्नाथ संध्या दर्शन के लिए लोगों के बीच में रहेंगे। अठाइस जून को भगवान की घर वापसी होगी। उन्तीस जून को जगन्नाथ मंदिर लौटने के बाद भगवान अपने भाई बहन के साथ शाही रूप लेंगे। तीस जून को दूध पनीर चीनी मेवा केला जायफल मसालों आदि से बना पन्ना पिलाया जाएगा। एक जून को पुरी मंदिर के गर्भगृह में भगवान को सिहासन पर विराजमान किया जाएगा।

देवेंद्र कुमार की रिपोर्ट

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