नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्रीय जांच ब्यूरो में चल रहे विवाद का पटाक्षेप करते हुए अपना फैसला सुना दिया। जहां कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के फैसले को निरस्त कर उन्हें दोबारा पद पर बहाल कर दिया, वहीं यह भी कहा कि आलोक वर्मा फिलहाल कोई नीतिगत कदम नहीं उठा सकते। यानी एक तरफ जहां कोर्ट का निर्णय केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, वहीं आलोक वर्मा पर लटकी हुई जांच की तलवार भी अदालत ने लटकाए रखी है। कोर्ट ने आज यह साफ किया कि केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने का फैसला बिल्कुल गलत है। सरकार के पास सीबीआई चीफ को छुट्टी पर भेजे जाने का कोई अधिकार नहीं। दो व्यक्तियों के बीच की लड़ाई में पद की गरिमा रखना काफी जरूरी है।
कोर्ट के अनुसार सिर्फ एक हाई लेवल कमेटी ही इस प्रकार का फैसला ले सकती है। इस कमेटी में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही आलोक वर्मा दोबारा सीबीआई प्रमुख के पद पर तैनात हो गए, लेकिन अपने बचे हुए कार्यकाल में वे कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले पाएंगे। यानी कोई नई जांच को वे शुरू नहीं कर पायेंगे।
यही नहीं, आलोक वर्मा पर जो आरोप लगो और उनके खिलाफ जो जांच चल रही है, वह सभी जांच जारी रहेगी। अगले सात दिनों में हाई लेवल कमेटी इस संबंध में निर्णय सुनाएगी। आलोक वर्मा के खिलाफ कोई एक्शन भी यही कमेटी तय करेगी। तब तक आलोक वर्मा कोई बड़ा फैसला नहीं लेंगे। इसके साथ ही राकेश अस्थाना भी सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर पद पर बने रहेंगे।