बिना भवन के चल रहे एक हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र, दाे साै की हालत जर्जर
नवादा : नवजात शिशुओं और नौनिहाल बच्चों को शुरुआती शिक्षा देने तथा देखभाल के लिए गांव-गांव में स्थापित आंगनबाड़ी केंद्र संसाधनों का अभाव झेल रहा है। 1400 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र भवन हीन है। ऐसे केंद्र या तो किराए के छोटे कमरे में चल रहे हैं या फिर किसी सरकारी भवन में।
अपना भवन नहीं होने के चलते गुणवत्तापूर्ण संचालन संभव नहीं हो पा रहा। जिले में करीब 2484 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें से 988 यानी करीब 1000 से कम ही आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन है। शेष आंगनवाड़ी केंद्र अन्य सरकारी भवनों, किराया के कमरे या अन्य जर्जर स्थानों पर चल रहे हैं।पिछले साल आंगनवाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए करीब 66 लाख रुपए का आवंटन हुआ था लेकिन इतनी राशि से बमुश्किल 10 आंगनवाड़ी केंद्र ही बन सकते हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण को लेकर कई तरह की परेशानियां आ रही है। कभी बजट का दिक्कत तो कभी जगह का। कहीं मामला भूमि विवाद का हो जा रहा है तो कहीं भूमि अधिग्रहण में परेशानी रही है। इसके चलते आंगनबाड़ी केंद्र का भवन निर्माण लंबित रह रहा है। इसके चलते सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पूरी तरह से अभावग्रस्त परिस्थितियों के बीच अक्षर बोध से जुड़ना पड़ रहा है।
कहीं छोटे कमरे तो कहीं बरामदे में केंद्र
जहां आंगनबाड़ी केंद्र का अपना भवन नहीं है वहां आंगनबाड़ी सेविका अपनी सहूलियत के अनुसार घर, दालान, स्कूल, सामुदायिक भवन आदि स्थानों पर आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन कर रही है। बताया जाता है कि करीब 900 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकानों में संचालित हो रहे हैं। करीब 80 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र स्कूलों में चल रहे हैं जबकि 450 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र विभिन्न सरकारी भवनों में संचालित हो रहे हैं।
आंगनबाड़ी में जाने वाले बच्चों की उम्र बहुत कम होती। 3 साल से 7 साल के बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में रहते हैं। लेकिन जर्जर भवन, छोटे और संकीर्ण कमरे, खुले आसमान के नीचे और खिड़की दरवाजा विहीन कमरों में इन बच्चों की जान सांसत में रहती है। गर्मी का समय आ चुका है तो यह परेशानी और बढ़ेगी। और सिर्फ गर्मी में ही नहीं बल्कि बरसात और ठंड के दिन में बच्चों को काफी कठिनाई होती है।
समय पर किराया का भी भुगतान नहीं
ऊपर से परेशानी यह है कि जिन किराया के भवनों में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं उनका किराया भी समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। आंगनवाड़ी सेविका सहायिका इसके लिए आंदोलन भी करते रहते हैं। बिहार राज्य आंगनवाड़ी सेविका सहायिका संघ के नेता बताते हैं कि किराए के भवन में चलने वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों को समाज कल्याण विभाग द्वारा किराए की राशि भी नहीं दी जा रही है। बार-बार गुहार लगाने और आंदोलन के बाद भी उन्हें किराए की राशि के लिए दर दर भटकना पड़ता है।
पीडीएस के माध्यम से दिया जा रहा निम्न स्तर का चावल
नवादा : जिले में जन वितरण के माध्यम से कम अनाज देने को ले कुछ दिन पहले नवादा विधायक द्वारा समाहरणालय पर अनशन किया गया था। तब जिलाधिकारी द्वारा जांच टीम की गठन की गई थी। जांच चल ही रही है। इस बीच जिले के गरीबों को खाने के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली चावल जो जन वितरण के माध्यम से गरीबों को उपलब्ध कराया जा रहा है। निम्न स्तर के साथ साथ आधे से अधिक चावल में खुद्दी मिला होने का मामला प्रकाश में आया है।
जन वितरण दुकानदारों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के अधिकांश जन वितरण प्रणाली के दुकानों पर फरवरी एवं मार्च का खाद्यान एक साथ उपलब्ध कराई गई है। जो गरीबों के बीच वितरण किया जा रहा है। लेकिन चावल निम्न स्तर के होने के साथ-साथ खुद्दी की अधिकता के कारण चावल खाने लायक नहीं है। जिस कारण चावल ले रहे गरीब उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं। वहीं चावल ले चुके गरीब उपभोक्ता अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।
बता दें की इस बार गरीब उपभोक्ताओं को उसना चावल दिया जा रहा है। खाने योग्य उसना चावल मिलने की जानकारी से उपभोक्ताओं में खुशी थी। लेकिन चावल में 50 से 60 फीसदी खुद्दी उक्त एवं निम्न स्तर का है जिससे उपभोक्ता परेशान हैं। चावल उठाव कर चुके जन वितरण दुकानदार भी निम्न स्तर का चावल से परेशान हैं। पूछने पर जविप्र विक्रेता बताते हैं कि इसी प्रकार का चावल का उठाव हुआ है जिसे लेने से उपभोक्ता साफ मना कर रहे हैं। जिसकी जानकारी कुछ दुकानदारों द्वारा संबंधित अधिकारियों को दी गई है।
जिले के राइस मिलों में तैयार चावल भेज दिया जाता है बाहर
बता दें कि जिले के राइस मिलों से तैयार उसना चावल जो खाने योग्य होता है प्रखंडों व जिला में वितरण करने के बजाय बाहर भेज दिया जाता है। जिसमें लाखों रुपए का खर्च सरकारी खजाने से दिया जाता है। उसके बाद उससे अधिक रुपया खर्च कर बाहर से घटिया व निम्न स्तर का चावल मंगा कर गरीबों के बीच वितरित किया जाता है। जिसका विरोध माले व अन्य पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा भी पिछले कुछ दिन पहले की गई थी। लेकिन अधिकारियों और चावल व्यापारियों की मिलीभगत से क्षेत्र में हो रहे चावल के बजाय बाहर से घटिया चावल मंगा कर गरीबों के बीच वितरित कराई जा रही है।
अगर चावल निम्न स्तर का है तो वापस कराया जाएगा
आपूर्ति पदाधिकारी अतुल कुमार कहते हैं कि अगर खराब चावल दिया गया है तो उसे वापस करवाया जाएगा। एमओ के अनुसार दुकानों तक चावल पहुंचाना एजीएम एसएफ़सी का काम है। वारिसलीगंज के प्रभारी एजीएम कुंदन कुमार से पूछने पर कहा गया कि डीएम एसएफसी से चावल के निम्न होने की शिकायत की गई है। बाद में डीएम एसएफसी धर्मेंद्र कुमार ने बातचीत में कहा कि जहां जहां निम्न स्तर के चावल आपूर्ति की शिकायत मिल रही है। वहां चावल बदलने की व्यवस्था की गई है। ऐसे में डीलर के घर पहुंची चावल की वापसी होगी या नहीं बाद कि बात है। लेकिन जिन गरीब उपभोक्ताओं ने दो महीने का उसना चावल लिया है। वह ठगा सा महसूस कर रहे हैं। साथ ही सरकारी सिस्टम को दोषी मान रहे हैं।
दो के बजाय एक महीने के चावल का वितरण
पीडीएस बिक्रेता की बल्ले-बल्ले है। पाश के माध्यम से पहले अंगूठा लगवाने के बाद नहीं लगा कहकर लाभुकों से दोबारा अंगूठा लगवाने के बाद एक माह का राशन दें विदा कर एक महीने की चावल की कालाबाजारी की जा रही है। ऐसे में बिक्रेताओं की बल्ले-बल्ले है।
आखिरकार पिता ने खोला पुत्री की हत्या का राज
नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली थाना क्षेत्र के डोपटा गांव में हुई इंटरमीडिएट की छात्रा मोनिका की हुई हत्या का जिन्न आखिरकार बाहर आ गया है। चार दिनों तक हत्याभियुक्तों द्वारा नजरबंद से मुक्त हुए माता-पिता ने थाने में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है। ऐसा तब हुआ जब मोनिका की हत्या की खबर का खुलासा इस संवाददाता द्वारा सोशल मीडिया पर किया गया।
बकौल मृतका के पिता उमेश पाण्डेय पांच बहनों में बड़ी बहन मोनिका कुमारी इंटरमीडिएट की छात्रा थी। पढ़ाई के क्रम में एक दिन गांव के ही युवक सोनू कुमार पिता रुपा सिंह ने मोनिका के साथ उस समय सूनसान स्थान पर जबरन दुष्कर्म किया जब वह पढ़कर घर वापस आ रही थी। लोकलाज के कारण मामले को तुल देना उचित नहीं समझा। बावजूद सिलसिला कमने के बजाय जारी रहा।
इस क्रम में मोनिका गर्भवती हो गरी लेकिन अपने पहले प्यार को जाया करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही सोनू पर शादी का दबाव बनाना शुरू कर दिया लेकिन मां- बाप ऐसा करने को तैयार नहीं थे। इस बीच मोनिका को उसके माता-पिता ने चार दिन पूर्व दोपहर में अपने घर बुलाया तथा गर्भपात कराने तथा सोनू को भूल जाने का दबाव बनाना आरंभ कर दिया। नहीं मानने पर शरीर पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी जिससे मोनिका की मौत हो गई।
मौत की सूचना मिलते ही जब पत्नी के साथ सोनू का घर पहुंचा तब मोबाइल छिनकर न केवल कमरे में बंद कर दिया बल्कि साक्ष्य छुपाने के लिए शव को जला डाला। हत्या में सोनू वह उसके माता-पिता की प्रमुख भूमिका रही है। उन्होंने थानाध्यक्ष को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है। अब जब पीड़ित ने थाने को आवेदन दिया है तब सारे परिवार घर छोड़ फरार होने में सफल रहा है। इस प्रकार मोनिका की हत्या का गेंद अब पुलिस के पाले में है। पीड़ित को न्याय मिल पायेगा या नहीं यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन हत्या का जिन्न आखिरकार बाहर निकल पाने में सफल रहा है तो खबर की सत्यता पर मुहर लगी है।
ह्रदय गति रुकने से युवक की मौत, परिजनों में मचा कोहराम
नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित गोविंदपुर थाना क्षेत्र के हरनारायणपुर गांव में हृदय गति रुकने से 35 वर्षीय युवक की मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। बताया जाता है कि स्व वालेश्वर यादव के पुत्र 35 वर्षीय सरोज यादव की तबीयत देर रात अचानक बिगड़ गई। आनन फानन में परिजनों ने उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया जहां इलाज के क्रम में मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया।
मृतक अपने पिछे पत्नी कामिनी देवी समेत तीन पुत्रियां वह दो पुत्र छोड़ गया है जिसके लालन-पालन की जिम्मेदारी विधवा के कंधे पर आ गई है। बीमार की सूचना मिलते ही जद यू महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश महासचिव सह गोविंदपुर पंचायत पूर्व मुखिया अफरोजा खातुन ने अस्पताल पहुंच अपनी ओर से हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास किया लेकिन भगवान को कुछ और मंजूर था। उन्होंने अंतिम यात्रा में शामिल होकर परिजनों को सांत्वना देते हुए हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
नीतीश-लालू पर खूब बरसे कुशवाहा, समर्थकों ने लगाया बिहार का सीएम कैसा हो उपेंद्र कुशवाहा जैसा हो का नारा
नवादा : आरएलजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा अपनी विरासत बचाओ नमन यात्रा के दूसरे चरण में शुक्रवार को नवादा पहुंचे। जिले के उग्रवाद प्रभावित कौवाकोल के सेखोदेवरा में जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर जनसभा संबोधित किया। कुशवाहा ने कहा लोक नायक जयप्रकाश नारायण की कर्मभूमि हैं और हम उन्हें याद करने आए हैं। उन्होंने देश की आजादी के बाद दूसरी लड़ाई जे पी ने लड़ा था उनका सपना था अच्छा देश और अच्छा राज्य बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि जेपी का आंदोलन कुछ सफल हुआ कुछ नहीं हुआ क्योंकि जयप्रकाश नारायण के जो शिष्य थे उन शिष्यों पर बिहार के चलाने का दायित्व जनता ने सौंप दिया. कर्पूरी ठाकुर जैसे लोगों ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया। लेकिन बाद में लालू यादव 1990 में गरीब गुरबों की बात कर सत्ता में आए। वे गरीबों के बदले खुद के घर का खजाना भरने में लग गए। नतीजा है कि आज तक लालू यादव उन्हीं कारणों से क़ानूनी जकड़न में हैं।
उन्होंने कहा कि लालू यादव के भ्रष्टाचार के खिलाफ हम लोगों ने आंदोलन किया था। नीतीश कुमार नेता और और जॉर्ज फर्नांडिस का आशीर्वाद था। नीतीश कुमार की सत्ता 2005 में आई और उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करेंगे लेकिन आज स्थिति है कि भ्रष्टाचार के बारे में बोलते नहीं है।नीतीश कुमार कहते थे जीरो टोलरेंस लेकिन आज भ्रष्टाचार के खिलाफ क्यों नहीं बोल रहे हैं। ऐसी स्थिति के पीछे बहुत बड़ा कारण है।
नीतीश कुमार उम्र के जिस पड़ाव पर पहुंचे हैं वह सठिया गए हैं। अब उनका दिमाग काम नहीं कर रहा है। जो जीवन में उन्होंने किया व्यक्तिगत रूप से भ्रष्टाचारियों से नीतीश कुमार ने समझौता नहीं किया, लेकिन कुछ महीने में जो राजनीति की पूरे जीवन की कमाई थी सबको दांव पर लगा दिया।नवादा पहुंचने पर उपेंद्र कुशवाहा का जोरदार स्वागत किया गया। कार्यकर्ताओं ने फूल माला से जोरदार स्वागत किया। इस दौरान बिहार का सीएम कैसा हो उपेंद्र कुशवाहा जैसा हो नारा भी लगा।
ई संजीवनी की समीक्षा बैठक में डीडीसी ने दिया निर्देश
नवादा : समाहरणालय के डीआरडीए सभागार में दीपक कुमार मिश्रा उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग का महत्वपूर्ण कार्यक्रम ई संजीवनी के बारे में विस्तृत समीक्षात्मक बैठक हुई। डा राम कुमार प्रसाद सिविल सर्जन ने बताया कि ई संजीवनी भारत सरकार द्वारा नागरिकों को दी जाने वाली आन लाईन ओपीडी परामर्ष सेवा है। ई संजीवनी एक सरकारी योजना है जो नागरिकों को आनलाईन ओपीडी डाॅक्टर परामर्श प्रदान करती है।
यह एक टेली मेडिसिन सेवा है जिससे आयुष्मान भारत स्वास्थ्य पहल के तहत डाॅक्टर से डाॅक्टर के बीच बातचीत के लिए लागू किया गया है। इसका मुख्य उद्देष्य आयुष्मान भारत के तहत सभी स्थापित डेढ़ लाख स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्र को जोड़ना है। यह ई संजीवनी सेवा बिहार राज्य के अलावे 22 राज्यों में लागू की गयी है। पीपीटी के माध्यम से ई संजीवनी के बारे में उपस्थित डाॅक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया।
सिविल सर्जन ने बताया कि अभी जिले में ई संजीवनी के 53 केन्द्र संचालित हैं, जिसे और सुदृढ़ किया जा रहा है। यहां डाॅक्टरों की प्रतिनियुक्ति एवं सभी प्रकार के आवश्यक दवाएं की सेवा उपलब्ध करायी जा रही है। यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलायी जा रही है। इसे राष्ट्रीय दूर संचार सेवा भी कहा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य जिले के रोगियों को उनके घरों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। इसमें आन लाईन मोड के माध्यम से एक डाॅक्टर और एक मरीज के बीच एक संरचित और सुरक्षित टेलीकन्टर्लेशन शामिल है।
बैठक में दीपक कुमार मिश्रा उप विकास आयुक्त ने कहा कि जिले के रोगियों को आवश्यक सुविधा के लिए सभी संचालित ई संजीवनी केन्द्रों को आधारभूत सुविधा से आच्छादित करना सुनिश्चित करें। इसके माध्यम से जिले के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना सरल हो जायेगा। जिले के वैसे ग्रामीण और पिछड़े और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को परामर्श सेवा प्रदान करें। ई संजीवनी ओपीडी मददगार हो सकती है। बैठक में डीपीएम के अलावे जिले के अन्य डाॅक्टर और स्वास्थ्य कर्मी आदि उपस्थित थे।