जो संबंध खून का शरीर से है, वही मातृ भाषा का मस्तिष्क से : स्वामी विवेकानंद

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आज अंतराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस है

:- रामरतन प्रसाद सिंह रत्नाकर 

नवादा : मातृ भाषा के संबंध में स्वामी विवेकानंद ने कहा था जो संबंध खून का शरीर से है, वही मातृ भाषा का मस्तिष्क से है। बच्चे के प्रारंभिक समझ अध्यन और कौशल की बुनयादी अवधारणा को मातृ भाषा में अच्छी तरह सिखाया जा सकता है। हम बिहार मगही मंडप लगातार पिछले 50 बरसों से मगही के विकास, विस्तार करने में लगें है। इसका फल हुआ कि आज बड़ी संख्या में मगही के लेखक कवि साहित्यकार लिख रहे हैं।

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इन लेखकों के रचनाओं में ग्रामीण जीवन का सच उकेरा जा रहा है और समाज में नया संदेश भी जा रहा है। ग्रामीण भारत के लोग अपनी भाषा के माध्यम से संस्कृति एवम संस्कार समेटे हुए हैं। कितनी सत्ता और सरकार बदली लेकिन मातृ भाषा का महत्व ज्यों का त्यों बना हुआ है। इस संदर्भ में बिहार मगही मंडप ने पिछले 50 बरसों में लगभग 250 कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

50 से अधिक पुस्तक प्रकाशित किए हैं एवम अन्य संगठनों खास कर पटना सिटी प्रभात वर्मा के संगठन के द्वारा विधना नाच नचावे ने सहयोग किया और खुद बिहार मगही मंडप ने एक विडियो ऑडियो 40 मिनट का बनाया। इस बीच जब नवादा नालंदा शेखपुरा लाखीसराय जमुई गया 2000 में अशांत हुआ जो डेढ़ दशक तक चलता रहा। इस बीच अहिंसा का प्रचार करते हुए शांति का पैगाम को लेकर 160 आयोजन उपरोक्त जिलों में आयोजित करने का साहस किया और अपराधियों को खबरदार किया।

बिहार मगही मंडप एक मात्र संगठन है। जिसने मात्र कागज लिखने का काम नहीं किया बल्कि संगोष्ठियों के द्वारा समाज को जगाया। आज मातृ भाषा दिवस के अवसर पर हम सभी मगही साहित्य से जुड़े लोगों सुभचिंतकों मित्रों को अभिनंदन करते हैं और आग्रह करते है मगही भाषा के विकास में सक्रिय रहें।

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