पटना: गणतंत्र दिवस हमें याद दिलाता है कि अपने बनाए संविधान पर चलते हुए 1950 से लेकर आजतक हमने जो यात्रा की है, उसे हमें और भी आगे ले जाना है। यानी भारत की प्रगति को गति देना है और गणतंत्र दिवस के अवसर पर यही हमारा संकल्प होना चाहिए। पहले कई समस्याएं थीं, जिस पर देश ने काबू पाया है। आज भी कुछ समस्याएं और चुनौतियां हैं, जिन्हें हम सब को मिलकर दूर करना है। उक्त बातें बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के कुलपति स्वामी केशवानंद ने कहीं। वे बृहस्पतिवार को विद्यापीठ के परिसर में 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर ध्वाजारोहण के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।
स्वामी केशवानंद जी ने कहा कि विगत 74 वर्षों में विज्ञान, कृषि, शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा आदि क्षेत्रों में भारत ने बहुत प्रगति की है। यह हमारे अनवरत परिश्रम का ही प्रतिफल है कि एक जमाने में पश्चिम से अनाज खरीदने वाला भारत आज कई विकसित देशों को अनाज से लेकर औषधि व मानव संसाधन उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के लिए स्वतंत्रता बहुत अमूल्य होता है और खुशी की बात है हमें यह प्राप्त हो चुका है। इसलिए अब इस स्वतंत्रता को खोना नहीं है और किसी भी कीमत पर इसे कायम रखना है।
गणतंत्र दिवस के साथ ही वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) की बधाई देते हुए स्वामी केशवानंद जी ने कहा कि वसंत पंचमी के दिन हम वाक्शक्ति की पूजा करते हैं। वाणी की शक्ति का हमारे पूज्य ऋषियों ने मानवीकरण किया और इस प्रकार मां सरस्वती के रूप में हम उनकी अराधना कर स्वयं के वाणी के विकास की प्रार्थना करते हैं। यह हमारे मन, बुद्धि, विद्या की पूजा है। उन्होंने कहा कि बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ शिक्षा से जुड़ी संस्था है और नई पीढ़ी को शिक्षित और संस्कारित करने में यह संस्था लगातार प्रयास कर रही है और आने वाले समय में व्यापक रूप से एफिलिएटेड स्कूल संचालित होगा, ताकि युगानुकुल शिक्षा मिल सके।
समारोह को संबोधित करते हुए पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि केवल बाह्य रूप से पूजा करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि असली ऊर्जा जो ब्रह्म के रूप में हमारे अंदर ही स्थित है, उसकी पूजा करने पर बात बनेगी। भौतिक विकास के साथ—साथ आंतरिक विकास भी अत्यावश्यक है। देश की जानीमानी चिकित्सक पद्मश्री डॉ. शांति राय ने कहा कि अगर हम अपने प्रति निष्ठावान रहकर अपने दायित्व का निर्वहन करें, तो इससे बड़ी देशसेवा कुछ नहीं होगी। स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. शीला शर्मा ने कहा कि बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ से जुड़कर उनके परिवार की चार पीढ़ियां सेवा कर रही हैं, इससे अधिक आत्मिक संतोष और कहीं नहीं मिलता। यह विद्यापीठ और प्रगति करे, इसके लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा।
लेखक व वरिष्ठ पत्रकार राकेश प्रवीर ने लोकतांत्रिक देश में मीडिया के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हर नागरिक की सजगता से ही सरकारी व्यवस्था दुरुस्त रहेगी और पत्रकारिता की गरिमा भी बरकरार रहेगी। धार्मिक ग्रंथों के आख्यानकर्ता कृष्णकांत ओझा ने ‘धर्म’ शब्द को अंग्रेजी के रिलीजन शब्द से अलग बताया और कहा कि हमारे पूर्वजों ने शब्द को ब्रह्म कहा है। हर शब्द की एक संस्कार यात्रा होती है। ‘धर्म’ शब्द कभी अंग्रेजी के रिलीजन शब्द या पंथ, मत, मजहब शब्दों का पर्याय नहीं हो सकता। कार्यक्रम को यूरोलॉजिस्ट डॉ. राहुल शर्मा, डॉ. ज्योति ने भी संबोधित किया। इससे पूर्व ध्वजारोहण के बाद सरस्वती पूजा और सांस्कृति कार्यक्रम के आयोजन हुए। इस अवसर पर बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के सचिव डॉ. सुरेंद्र राय, सत्यपाल श्रेष्ठ, गुणाानंद सदा समेत कई गणमान्य उपस्थित थे।