पत्रकारिता कार्यशाला का दूसरा दिन, साक्ष्य एवं स्रोत समाचार की रीढ़

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कार्यशाला को संबोधित करते वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार पांडेय (ऊपर, बाएं) एवं प्रायोगिक कार्य करते प्रतिभागी

पटना : विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित पत्रकारिता कार्यशाला के दूसरे दिन शुक्रवार को प्रशिक्षुओं ने मीडिया के बारे में जानकारी प्राप्त की। वर्त्तमान में चल रहें मीडिया की कार्यशैली की भी जानकारी उन्हें दी गई। मीडिया एकेडमिक्स से जुड़े डॉ. गौरव रंजन ने अपने संबोधन में बताया कि प्रारंभ में सिर्फ प्रिंट मीडिया थी। लेकिन, धीरे-धीरे इसका विकास होता गया। 90 के दशक में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रभाव बढ़ने लगा। इसने प्रिंट मीडिया के स्वरूप को काफी हद तक प्रभावित किया। समाचार पत्रों के आकार और समाचार पत्रों में कटेंट की शैली बदल गई। 2010 के बाद सोशल मीडिया का दौर आया। इसने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को मोबाईल के अनुरूप बनने को बाध्य कर दिया। आज सभी प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मोबाईल एप्प उपलब्ध हैं। पाठक इनके माध्यम से त्वरित सुचनायें प्राप्त कर रहें हैं।

दूसरे सत्र में कार्यशाला को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार पांडेय ने बताया कि साक्ष्य एवं स्रोत समाचार की रीढ़ होते हैं। साक्ष्य द्वारा ही सत्य-असत्य की खोज की जाती है। समाचार पत्र जनता को प्रबुद्ध एवं जागरूक बनाते हैं। जन मानस को समाचार द्वारा ही ढ़ेर सारी सूचनायें प्राप्त होती हैं। समाचार का विश्वसनीय होना अति आवश्यक होता है। क्यों कि इसके माध्यम से जनता हमेशा जुड़ी रहती है एवं छोटी-बड़ी जानकारियां लेती रहती है। स्रोत चयन करने के लिए अपने विवेक का उपयोग करना आवश्यक होता है।

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ज्ञात हो कि विश्व संवाद केंद्र द्वारा यह कार्यशाला 20 वर्षों से आयोजित की जा रही है। इस कार्यशाला में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं न्यू मीडिया से संबंधित प्रायोगिक सत्र आयोजित की जाएगी।

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