पटना : बिहार में एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन की छतरी तले राज्य में कुल तीन उपचुनावों में भाग लिया। इन तीन उपचुनावों में जहां एक सीट वे अपने महागठबंधन के सहयोगी राजद को दिलवा सके, वहीं दो सीटों पर भाजपा ने नीतीश के नेतृत्व क्षमता को धूल चटा अपनी जीत दर्ज कर ली। इन तीन उपचुनावों में से सबसे ताजा कुढ़नी सीट पर जदयू कैंडिडेट की हार से नीतीश टेंशन में आ गये हैं। एक तो सहयोगी राजद के कतिपय नेताओं से मिलती चुनौती उस पर अब प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात और बाकी जगहों पर मिली सफलता के बाद अपने संबोधन में यह कहकर नीतीश की हवा उड़ा दी कि बिहार के कुढ़नी में भाजपा को मिली सफलता आने वाले दिनों का स्पष्ट संकेत कर रही है।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात चुनाव के नतीजे आ जाने के बाद गुरुवार की शाम में भाजपा कार्यालय में अपने संबोधन के दौरान बिहार में भाजपा की कुढ़नी सीट पर मिली जीत का विशेष तौर पर जिक्र किया। अपने बयान में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह आने वाले दिनों का स्पष्ट संकेत है। उन्होंने कहा कि बिहार के उपचुनाव में भाजपा का प्रदर्शन आने वाले दिनों का स्पष्ट संकेत कर रहा है। लेकिन पीएम के इस बयान ने बिहार में गजब हलचल पैदा कर दी है। जहां जदयू के सामने वजूद का संकट खड़ा होता दिख रहा है, वहीं राजद मन ही मन खुश हो रहा कि उसके तो दोनों हाथों में लड्डू होगा। शायद पीएम मोदी भी इसी का संकेत कर रहे थे। क्योंकि राजद के कई नेता खुलेआम 2025 के विधानसभा चुनाव के बाद तेजस्वी को सीएम के रूप में प्रचारित करने में परहेज नहीं कर रहे।
दूसरी तरफ जदयू और नीतीश कुमार लगातार कमजोर होते जा रहे हैं। उनकी सियासी पकड़ का आलम यह है कि जहां गोपालगंज में महागठबंधन का प्रत्याशी भाजपा से हार गया, वहीं बाढ़ में नीतीश द्वारा प्रचार के लिए नहीं जाने के बावजूद अनंत सिंह की पत्नी राजद टिकट पर जीत गईं। नीतीश की कमजोर पड़ती सियासी पकड़ का सबसे बड़ा झटका कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में देखने को मिला जहां उनके सीटिंग विधायक को बीजेपी से करारी शिकस्त मिली। भाजपा का मानना है कि कुढ़नी में मिली जीत के बाद बिहार में यह साबित हुआ है कि नीतीश कुमार का एनडीए से नाता तोड़ना एक बड़े वर्ग को रास नहीं आया है। दूसरी तरफ नीतीश कुमार के सामने एक और बड़ी चिंता जदयू को एकजुट रखने की भी है। ऐसे में स्पष्ट है कि नीतीश काफी मुश्किल हालात में फंसते जा रहे हैं। उनके सामने सरेंडर या फिर सर्वाइवल की चुनौती सामने से भी है और पीठ पीछे भी।