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यूं हुआ था भारत का सबसे बड़ा जेल अटैक जहानाबाद जेल ब्रेक कांड

जहानाबाद : बात लगभग 17 साल पुरानी है, तारीख थी 13 नवंबर 2005, शहर जहानाबाद, वक्त रात के तकरीबन 9 बज रहे थे, रविवार होने की वजह से मार्केट में यूं ही रफ्तार कम थी, ये वो दौर था जब बिहार में घरों में बिजली होना लग्जरी एहसास था, अधिकांश शहर अंधेरे में था लोग उनींदी हालत में थे और सोने ही जा रहे थे।

इधर बिहार की सरकार मशीनरी ने 13 नवंबर 2005 बिहार विधानसभा का तीसरे चरण का मतदान संपन्न और प्रशासन ने चैन की सांस ली थी, अब बस आखिरी चरण का मतदान रह गया था। लेकिन, ये चैन महज कुछ पलों का था, जहानाबाद इस रात के सन्नाटे में एक ऐसे अनापेक्षित उपद्रव और हिंसा का इंतजार कर रहा था, जो युद्ध सरीखा था और इससे दिल्ली में गृह मंत्रालय, पटना में राजभवन और जहानाबाद में जिला मुख्यालय तक ताप बढ़ाने वाला था।

खामोशी से लक्ष्य की ओर बढ़े 1000 जोड़ी पैर

13 नवंबर 2005 की उस शाम को जहानाबाद शहर में जैसे ही धुंधलका छाया, लगभग 1000 जोड़ी निगाहें चौकस हो उठीं, ये लोग शहर में अलग अलग जगह पर थे, शहर में अंधेरा होते ही एक हजार जोड़ी पैर खामोशी के साथ अपने-अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे थे,इस दस्ते ने अपने साथ बड़ी संख्या में स्वचालित मशीनगन और राइफलें छिपा रखी थीं।
गोलियों की रोशनी से चमक उठा जहानाबाद का अंधेरा आसमान

रात के 9बजे तकरीबन कुछ मिनट ही गुजरे होंगे जहानाबाद पुलिस लाइन के पास एक जोरदार धमाका हुआ, लोग बाहर निकले तो एक टायर में ब्लास्ट हुआ था, 9.30 बजते बजते सारे शहर मेंगोलियों की रोशनी से चमक उठा सारे शहर में धांय-धांय की आवाज गूंजने लगी, बम फटने लगे,लगा मानों किसी ने हमला कर दिया हो।

जेल पर नक्सलियों का कब्जा

ये घटना अभूतपूर्व थी,बिहार में नक्सलियों का वर्चस्व था, सरकार, इंटेलिजेंस इस बात को मानती तो थी, लेकिन ये गुरिल्ला स्टेट की संप्रभुता को खुलेआम चुनौती देने की हालत में थे, इसका मुजाहिरा पहली बार हुआ।

मिनटों में जहानाबाद जेल पर नक्सलियों का कब्जा हो गया। नक्सलियों की संख्या के सामने जेल प्रहरी बेबस थे, इस जेल में लगभग 600 कैदी थे, जिसमें दर्जनों नक्सलियों के साथी सहयोगी ही थे, बता दें कि तब जहानाबाद लाल आतंक का गढ़ हुआ करता था। इसलिए यहां पुलिस ने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां की थीं और इन्हें इस जेल में बंद कर रखा था।

रणवीर सेना के बड़े शर्मा और विशेश्वर राय का कत्ल

जेल में दाखिल होकर नक्सली चुन चुन कर अपने साथियों को ढूंढ़ रहे थे, उन्होंने वार्ड के दरवाजे खोल दिए और सभी कैदियों को आजाद कर दिया, इस जेल में पुलिस ने रणवीर सेना के भी कुछ बड़े नेताओं को कैद कर रखा था, नक्सलियों ने ऐसे दो कैदियों का कत्ल कर दिया, ये कैदी थे बड़े शर्मा और विशेश्वर राय

जनता से बैर नहीं, प्रशासन से लड़ाई

इस पूरे ऑपरेशन से आधा घंटा पहले माओवादियों का कुछ दस्ता बाइक पर सवार होकर शहर में घोषणा करने लगा था कि उनकी लड़ाई पुलिस और प्रशासन से है, इसलिए वे घरों के अंदर रहें और उनके दस्ते से टकराव मोल न लें,दरअसल जब नक्सलियों ने शहर में फायरिंग की तो इसके जवाब में शहर में कुछ लोग अपने लाइसेंसी हथियारों से आसमानी फायरिंग करने लगे, इन्हें आगाह करते हुए नक्सलियों ने कहा कि वे उनके ऑपरेशन में बाधा नहीं बनें।

(रवीश कुमार, जनसंचार विभाग, पटना विवि)