नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका रद्द कर दी जिससेें मतदान के लिए मतपत्र की जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के इस्तेमाल की देश में शुरुआत हुई थी। कोर्ट ने साफ कहा कि ईवीएम से ही मतदान होगा।
न्यायमूर्ति कौल और जस्टिस सुंदरेश की बेंच ने जन प्रतिनिधित्व एक्ट 1951 की धारा. 61 ए को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से बिल्कुल इनकार करते हुए कहा कि याचिका में कोई गुण दोष नहीं दिखा जिससे इसे खारिज किया जाता है। याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 100 का हवाला देकर कहा कि यह एक अनिवार्य प्रावधान है। मैंने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा.61ए को इसलिए चुनौती दी क्योंकि इसे लोकसभा या राज्यसभा से वोटिंग के जरिए पारित नहीं किया गया।
इसपर कोर्ट ने कहा कि आप सदन में जो कुछ होता है, क्या उसे चुनौती दे रहे हैं या फिर चुनावी वोटिंग को चुनौती देना चाहते हैं। जब याचिकाकर्ता ने कहा कि वह धारा .61 ए को चुनौती दे रहे हैं जिसमें ईवीएम की इजाजत दी गयी है। याचिका में कानून मंत्रालय को भी एक पक्ष बनाया गया था।