तेजस्वी नर्वस तो नीतीश श्रेय लेने की होड़ में दिखे, PM ने बिहार के वैभव को लेकर कही अहम बातें
पटना : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजधानी पटना में बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने शताब्दी स्मृति स्तम्भ का उद्घाटन, विधानसभा संग्रहालय का शिलान्यास तथा विधानसभा अतिथि गृह का शिलान्यास किया।
शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बिहार के लोकतंत्र को लेकर अहम बातें कही। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूर्व में विधानमंडल में हो रहे कार्यक्रमों का श्रेय लेने को आतुर दिखे। जबकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव संबोधन के दौरान काफी नर्वस दिखे। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने काफी सरलता और सौम्यता से इस कार्यक्रम का अध्यक्षता किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार का ये स्वभाव है कि जो बिहार से स्नेह करता है, बिहार उसे वो प्यार कई गुना करके लौटाता है। आज मुझे बिहार विधानसभा परिसर में आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होने का सौभाग्य भी मिला है। मैं इस स्नेह के लिए बिहार के जन-जन को हृदय से नमन करता हूँ।
पीएम ने कहा कि बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक, बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं। आज़ादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा जी ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी। आज़ादी के बाद इसी विधानसभा में जमींदारी उन्मूलन अधिनियम पास हुआ। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुये, नीतीश जी की सरकार ने बिहार पंचायती राज जैसे अधिनियम को पास किया।
पीएम मोदी ने कहा कि दशकों से हमें ये बताने की कोशिश होती रही है कि भारत को लोकतन्त्र विदेशी हुकूमत और विदेशी सोच के कारण मिला है। लेकिन, कोई भी व्यक्ति जब ये कहता है तो वो बिहार के इतिहास और बिहार की विरासत पर पर्दा डालने की कोशिश करता है।
उन्होंने कहा कि जब दुनिया के बड़े भूभाग सभ्यता और संस्कृति की ओर अपना पहला कदम बढ़ा रहे थे, तब वैशाली में परिष्कृत लोकतन्त्र का संचालन हो रहा था। जब दुनिया के अन्य क्षेत्रों में जनतांत्रिक अधिकारों की समझ विकसित होनी शुरू हुई थी, तब लिच्छवी और वज्जीसंघ जैसे गणराज्य अपने शिखर पर थे।
पीएम ने कहा कि विश्व में लोकतन्त्र की जननी हमारा भारत है, भारत Mother of Democracy है। और बिहार की गौरवशाली विरासत, पाली में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी इसके जीवंत प्रमाण हैं। बिहार के इस वैभव को न कोई मिटा सकता है, न छिपा सकता है।
बिहार ने आज़ाद भारत को डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति दिया। लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए। जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ, तो भी उसके खिलाफ बिहार ने सबसे आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका।
पीएम मोदी ने देशवासियों से आग्रह करते हुए कहा कि दुनिया के लिए 21वीं सदी भारत की सदी है। और भारत के लिए ये सदी कर्तव्यों की सदी है। हमें इसी सदी में, अगले 25 सालों में नए भारत के स्वर्णिम लक्ष्य तक पहुँचना है। इन लक्ष्यों तक हमें हमारे कर्तव्य ही लेकर जाएंगे। इसलिए, ये 25 साल देश के लिए कर्तव्य पथ पर चलने के साल हैं। हमें अपने कर्तव्यों को अपने अधिकारों से अलग नहीं मानना चाहिए। हम अपने कर्तव्यों के लिए जितना परिश्रम करेंगे, हमारे अधिकारों को भी उतना ही बल मिलेगा। हमारी कर्तव्य निष्ठा ही हमारे अधिकारों की गारंटी है।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री उपस्थित हुए हैं तो हम सब उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। ये पहली बार बिहार विधानसभा के परिसर में कोई प्रधानमंत्री आए हैं, ये कोई मामूली बात नहीं है।
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पीएम मोदी के सामने विधानसभा में हो रहे कार्यक्रमों का श्रेय लेने के होड़ में दिखे। उन्होंने कहा कि विधानसभा और विधान परिषद में कई तरह के कार्यक्रम लंबे समय से आयोजित हो रही है। सीएम नीतीश ने सांकेतिक रूप से यह भी कहा कि पूर्व में जितने भी कार्यक्रम विधानमंडल के प्रांगण में हुए उसकी रूपरेखा उन्होंने तैयार की है।
हालांकि यह सर्वविदित है कि विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह को लेकर जितने भी कार्यक्रम हुए हैं, उसमें बिहार विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने एकतरफा भूमिका अदा की है। शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी को लाने का प्रयास विजय कुमार सिन्हा ने ही किया है।
इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान नेता प्रतिपक्ष काफी नर्वस नजर आए। नेता प्रतिपक्ष ने अपना संबोधन भी पढ़ कर दिया। पढ़ने के दौरान वे कई बार शब्दों का सही उच्चारण नहीं कर पाए। हालांकि, उन्होंने अपना संबोधन पूरा किया इस दौरान उन्होंने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है अतः यहां से एक संदेश पूरे देश में जाना चाहिए। हम अलग-अलग दलों से इस विधानमंडल में है लेकिन हमारी वैचारिक प्रतिस्पर्धा राजनीतिक शत्रुता में नहीं बदलनी चाहिए।
समाज के हर वर्ग की आबादी के अनुसार भागीदारी और हिस्सेदारी से ही लोकतंत्र समृद्ध और समावेशी होगा। माननीय प्रधानमंत्री जी…जैसा मैंने पहले कहा कि हमारे राज्य के वैशाली से ही लोकतंत्र बाकी जगहों पर प्रसारित हुआ। अतः मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि School of Democracy & Legislative Studies जैसी एक संस्था बिहार में स्थापित हो। जिसके माध्यम से विधायी और लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं पर शोध एवं अध्ययन के अवसर और प्रशिक्षण दिया जा सके। पूरे देश के जनप्रतिनिधियों, युवाओं और संबंधित कर्मचारियों को इससे लाभ मिलेगा। आशा है आप हमारी इस मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे।
प्रधानमंत्री जी, आपने Deserving और विशेषज्ञ व्यक्तियों को पद्मश्री पद्म विभूषण इत्यादि सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार देने की एक स्वस्थ एवं सकारात्मक परंपरा स्थापित की है। इसी प्रांगण में हम जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की आदमक़द प्रतिमा के बगल में बैठे है। हमारी माँग है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देकर इस शताब्दी वर्ष समारोह एवं देश के किसी भी प्रधानमंत्री के बिहार विधानसभा प्रांगण में प्रथम आगमन को और अधिक यादगार बनाने की कृप्या करें। यहाँ उपस्थित हरेक सदस्य की यह हार्दिक इच्छा है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को अवश्य ही भारत रत्न मिलना चाहिए।
तेजस्वी ने कहा कि लोकतंत्र के समक्ष कई चुनौतियां हैं लेकिन हम सामूहिक प्रयास और संकल्प से जनतंत्र को धनतंत्र और छलतंत्र से बचा सकते हैं। हमारे पुरखों ने हमें लोकतंत्र की समृद्ध विरासत सौंपी। आवश्यकता है कि हम सब मिलकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करें। विधानसभा के शताब्दी वर्ष में यही चुनौती भी है और अवसर भी।